जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नया सबेरा, लागू हुए हुए 106 केंद्रीय कानून, हालात में लगातार हो रहे हैं सुधार
देश की जन्नत कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून लागू हो गया। इसके साथ ही दोनों प्रदेशों में कई बड़े बदलाव भी हो गए। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी राज्य को बांटकर सीधे दो केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया गया है।अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का पद था, लेकिन अब दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल नियुक्त हो गए हैं। इसके साथ ही दोनों राज्यों में 106 केंद्रीय कानून लागू हो गए हैं।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए आज नया सबेरा हुआ है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। नए कानून लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर में आज पहला शुक्रवार है, जगह-जगग जुमे की नमाज पढ़ी गई और पढ़े जा रहे हैं।
वास्तव में देश की जन्नत कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून लागू हो गया। इसके साथ ही दोनों प्रदेशों में कई बड़े बदलाव भी हो गए। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी राज्य को बांटकर सीधे दो केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया गया है।
अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का पद था, लेकिन अब दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल नियुक्त हो गए हैं। इसके साथ ही दोनों राज्यों में 106 केंद्रीय कानून लागू हो गए हैं। आधार,आरटीआई, आरटीई कानून लागू हो ङी गए हैं। साथ ही 153 ऐसे कानून जम्मू-कश्मीर के खत्म हो गए, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था। 166 पुराने राज्य कानून और राज्यपाल कानून लागू रहेंगे।
जम्मू कश्मीर में पांच साल के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निर्वाचित विधानसभा और मंत्रिपरिषद होगी, जबकि लद्दाख का शासन उपराज्यपाल के जरिए सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा चलाया जाएगा। दोनों के पास साझा उच्च न्यायालय होगा। दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग-अलग होंगे। लद्दाख अधिकारियों की नियुक्ति के लिए यूपीएससी के दायरे में आएगा और जम्मू-कश्मीर में राजपत्रित सेवाओं के लिए भर्ती एजेंसी के तौर पर लोक सेवा आयोग बना रहेगा।
दोनों प्रदेशों के सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही वेतन मिलेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों के सरकारी भवनों और वाहनों में अब तक तिरंगा और जम्मू-कश्मीर का झंडा होगा। अब से केवल राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा। विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10 फीसदी से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकेंगे।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी। हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जम्मू-कश्मीर से पांच और लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा। जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद ही चुने जाएंगे।
गौरतलब है कि 5 अगस्त के बाद जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तो राज्य में सुरक्षा काफी बढ़ाई गई थी, साथ ही अन्य कई पाबंदियों को भी लगाया गया था। लेकिन अब पाबंदियों को हटाया जा रहा है। जैसे धारा 144 को हटा देना, बाजार खुलना, पोस्टपेड मोबाइल फोन की सुविधा का शुरू होना।
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