शाबाश : शिक्षक माता-पिता की संतान मयंक प्रताप सिंह ने रचा इतिहास, देश में सबसे कम उम्र के बनेंगे जज, राजस्थान न्यायिक सेवा की परीक्षा में किया है टॉप
मयंक प्रताप सिंह देश के सबसे कम उम्र के जज बनेंगे। राजस्थान न्यायायिक सेवा यानी आरजेएस 2018 की परीक्षा में 197 अंकों के साथ टॉप किया। मयंक ने महज 21 साल 10 महीने 9 दिन की उम्र में यह परीक्षा पास की। यह उनका पहला प्रयास था। परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम उम्र पहले 23 साल थी, जिसे इसी साल घटाकर 21 किया गया है।
सफलता प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं होती। सफलता प्राप्त करने की कोई तय उम्र भी नहीं होती। इंसान चाहे तो अपनी मेहनत और लगन से किसी भी स्थिति और उम्र में सफलता को प्राप्त कर सकता है और ऐसा ही कर दिखाया है राजस्थान के मयंक प्रताप सिंह ने। करीब 22 वर्ष के मयंक प्रताप सिंह देश के सबसे कम उम्र के जज बनेंगे।
मयंक प्रताप सिंह देश के सबसे कम उम्र के जज बनेंगे। राजस्थान न्यायायिक सेवा यानी आरजेएस 2018 की परीक्षा में 197 अंकों के साथ टॉप किया। मयंक ने महज 21 साल 10 महीने 9 दिन की उम्र में यह परीक्षा पास की। यह उनका पहला प्रयास था। परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम उम्र पहले 23 साल थी, जिसे इसी साल घटाकर 21 किया गया है।
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ज्ञात हो कि न्यायिक सेवा की आरजेएस मुख्य परीक्षा 2018 का परिणाम मंगलवार को घोषित किया गया था। टॉप-10 अभ्यर्थियों में पहले और 10वें स्थान को छोड़कर बाकी 8 पर लड़कियों ने कब्जा जमाया है। मयंक पहले (197 अंक) और दूसरे पर तन्वी माथुर (187.5 अंक) रहीं। तन्वी महिला वर्ग में पूरे प्रदेश में अव्वल रही हैं। इंटरव्यू में शामिल हुए 499 अभ्यर्थियों में से 197 सफल घोषित किए गए।
मयंक प्रताप सिंह के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि उनके परिवार में लीगल फील्ड में जाने वाले वह पहले व्यक्ति हैं। मयंक का कहना है कि न्यायाधीशों की कमी के कारण ज्यूडीशियल सर्विस के प्रति हमेशा से ही उनका रुझान रहा। मयंक ने रोजाना 5 से 7 घंटे की पढ़ाई की। उन्हें खाली समय में उपन्यास पढ़ने का भी शौक है।
मयंक प्रताप सिंह ने 2014 में राजस्थान विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। इसी साल उन्होंने 5 साल का एलएलबी कोर्स पूरा किया। मयंक का कहना है कि सिलेक्शन तो तय था, लेकिन टॉप करूंगा, ये नहीं सोचा था। मयंक के पिता राजकुमार सिंह और माता डॉ. मंजू सिंह शिक्षक हैं।
मयंक ने बताया कि परीक्षा में 23 की जगह 21 साल की उम्र तय होने से उन्हें जल्द करियर शुरू करने को मौका मिला और वे सबसे कम उम्र में इस सेवा में आ सके। मयंक कई एनजीओ से भी जुड़े हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय परिवार, शिक्षकों और सहयोगियों को देते हैं।
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