दैत्यनाशक, उत्पातनाशक, रोगनाशक, गमननाशक एवं आमर्षनाशक हैं माँ दुर्गा !
माँ दुर्गा के नाम में आने वाले स्वरों एवं व्यंजनों में ही छुपा है उनका अर्थ। दुर्गा का संधिविच्छेद करने पर द, उ, र, ग तथा आ आता है। माँ के नाम में आने वाले द का अर्थ दैत्यनाशक, उ का अर्थ उत्पात नाशक, र का रोगनाशक, ग का गमन नाशक और आ का अर्थ आमर्षनाशक है।
शक्ति की देवी दुर्गा दुर्गति दूर करने वाली हैं। माँ के नाम में आने वाले स्वरों एवं व्यंजनों में ही छुपा है उनका अर्थ। जी हां, दुर्गा का संधिविच्छेद करने पर द, उ, र, ग तथा आ आता है। माँ के नाम में आने वाले द का अर्थ दैत्यनाशक, उ का अर्थ उत्पात नाशक, र का रोगनाशक, ग का गमन नाशक और आ का अर्थ आमर्षनाशक है। अर्थात भक्तों को नवदुर्गा की नवद्धा भक्ति से सभी प्रकार के कष्टों एवं दुःखों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्र के नौ दिनों में प्रथम तीन दिन महाकाली की साधना, मध्य के तीन दिन महालक्ष्मी की उपासना एवं अन्तिम के तीन दिनों में महासरस्वती की आराधना करने से मानसिक दुर्गुणों का नाश एवं सात्विक गुणों की वृद्धि होती है।
नवरात्र के नौ दिनों में माँ के नौ स्वरूपों की पूजा एवं उपासना करने से कुमारी कन्याओं को मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है। जबकि विवाहित स्त्रियों को सुखमय जीवन, दीर्घायु पति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। उन्हें संतान सुख एवं संतान का कल्याण भी प्राप्त होता है।
माँ उपासकों का दुख एवं दारिद्रता नाश करती हैं एवं उन्हें लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। देवी दुर्गा की उपासना से साधक को परम पद और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ‘‘या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’’ का निरंतर जाप करने से माँ भक्तों की संपूर्ण मनोकामना पूर्ण करती हैं।
Comments (0)