भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व है रक्षाबंधन
भारतीय परंपरा में विश्वास का बंधन ही मूल है और रक्षा बंधन इसी विश्वास का बंधन है। रक्षा बंधन प्रेम, समर्पण, निष्ठा और संकल्प के जरिए हृदयों को बांधने का भी वचन देता है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव' अर्थात 'सूत्र' अविच्छिन्नता का प्रतीक है,क्योंकि सूत्र बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है।
देशभर में 15 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाएगा। बहनें अपने-अपने भाईयों की कलाईयों पर रंग-बिरंगी राखियां बांधेंगीं। भाईयों को मुंह मीठा करवाएंगी। उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगीं। बाजारों में अभी से रक्षाबंधन की रौनक देखने को मिल रही हैं।
बाजार रंग-बिरंगी राखियों से अटे पड़े हैं। बाजारों में जहां एक से बढ़कर राखियां देखने को मिल रही हैं, वहीं नाना प्रकार के उपहार भी बाजारों में उपलब्ध हैं। दरअसल, राखी बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा की डोर है। राखी वह कोमल धागा है, जिसे बहनें अपने भाईयों की कलाई पर बांधती हैं। राखी की डोरी में ऐसी शक्ति है, जो हर मुसीबत में भाई की रक्षा करती है। बहनें अपने भाईयों को राखी बांधकर परमपिता परमेश्वर से सदा सुरक्षित रखने का आशीर्वाद मांगती हैं।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
इस साल रक्षा बंधन गुरुवार,15 अगस्त को है। इस दिन भद्रा नहीं है, यह सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए बहनें पूरे दिन अपने भाई को राखी बांध सकती हैं। सुबह 5.50 बजे से शाम 5.59 तक। पूर्णिमा तिथि 14 अगस्त को अपराह्न 3.45 बजे से शुरू होगी और 15 अगस्त की शाम 5.58 बजे तक रहेगी। इस दिन श्रवण नक्षत्र भी है सुबह 8 बजे तक। शुभ मुहूर्त दोपहर 1.48 बजे से शाम 4.22 बजे तक होगा।
रक्षा बंधन का अर्थ
रक्षा बंधन का पावन पर्व प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। अतः राखी बांधते समय बहन कहती है- 'भैया! मैं तुम्हारी शरण में हूँ, मेरी सब प्रकार से रक्षा करना! रक्षाबंधन स्नेह का वह अमूल्य बंधन है जिसका बदला धन तो क्या सर्वस्व देकर भी नहीं चुकाया जा सकता।
विश्वास का बंधन है रक्षा बंधन
भारतीय परंपरा में विश्वास का बंधन ही मूल है और रक्षा बंधन इसी विश्वास का बंधन है। रक्षा बंधन प्रेम, समर्पण, निष्ठा और संकल्प के जरिए हृदयों को बांधने का भी वचन देता है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव' अर्थात 'सूत्र' अविच्छिन्नता का प्रतीक है,क्योंकि सूत्र बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है। माला के सूत्र की तरह रक्षा-सूत्र यानी भी लोगों को जोड़ता है।
प्यार व दुलार का पुष्पहार है राखी
मानव जीवन में राखी का आदि एवं अनंत काल से गहन महत्व रहा है। राखी कच्चे सूत से बंधी पक्की डोर है। राखी बहना का अनंत प्यार और भाई का अटूट विश्वास है। राखी किसी पूछ-परख का रिश्ता नहीं, बल्कि बहना के हक की दरकार है। राखी देहरी पर बैठी बहना को भाई के आगमन के हिलोर देती शीतल बयार है। राखी महिलाओं के मायके का एक आसरा और सिर पर भाई के हाथ का सुकून और मीठा अहसास है। राखी जुदाई के गम में मिलन की आस और आंसूओं से छलकता प्यार है। राखी मीठी शरारतों का, बचपन की यादों का भाई-बहन के प्यार का और दुलार का पुष्पहार है।
कन्या भ्रूण संरक्षण का लें संकल्प
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन हम तभी मना पाएंगे। जब हम बेटियों और बहनों को बचाएंगे। कन्या भ्रूणहत्या जैसी सामाजिक कुरीति को जड़ से मिटाएंगे। बेटियों, बहनों और माताओं पर हो रहे अत्याचार का विरोध कर पाएंगे। बोटियों का कोख में हो रहे कत्ल को रोक पाएंगे। आज दहेज और इज्जत के नाम पर पिता, पति और भाई के हाथों मौत के घाट उतारी जा रहीं हैं बेटियां। कन्या भ्रूण हत्या पर रोक नहीं लगा, तो वह दिन दूर नहीं जब इस पावन पर्व पर ग्रहण लग जाए। तो फिर आईए रक्षाबंधन पर हम सभी बेटियों को बचाने का संकल्प भी लें।
Comments (0)