बसंत पंचमी के पावन पर्व पर पीले रंग का क्यों है गहन महत्व? बसंत पंचमी को क्यों माना जाता है जीवन के आरंभ का दिन?
बसंत पंचमी ऋतुओं के राजा का पर्व है। यह बसंत ऋतु से प्रारंभ होकर फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि तक रहता है। बसंत पंचमी को जीवन के आरंभ का दिन भी माना जाता है। बसंत पंचमी खुशियों के आरंभ का दिन है। बसंत ऋतु सभी छह ऋतुओं में सर्वाधिक आकर्षक एवं मनमोहक होती है।
भारतीय सनातन संस्कृति में बसंत पंचमी का गहन महत्व है। यह हिंदू धर्म का महान पर्व है। बसंत पंचमी के दिन विद्यादात्री मां सरस्वती की पूजा तो की ही जाती है। इस दिन श्री हरि विष्णु, भगवान श्री कृष्ण और राधा के साथ-साथ बसंत स्वरूप कामदेव तथा रति का पूजन भी किया जाता है। कामदेव और रति का अबीर-गुलाल तथा पुष्पों से पूजन करने से गृहस्थ जीवन में सुख एवं शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन पीले फूलों से शिवलिंग की पूजा करना सर्व सिद्धिदायक होता है।
बसंत पंचमी के दिन मां शारदा की उपासना के साथ-साथ छोटी-छोटी कन्याओं को पीले मीठे चावल का भोजन कराया जाता है। मां शारदा और कन्याओं की पूजा के पश्चात कुंवारी कन्याओं को पीले रंग के वस्त्र तथा आभूषण प्रदान करने का भी विधान है। इस दिन निर्धनों, गरीबों और विप्रों को दान देने से ज्ञान, कला, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
दरअसल, पीला रंग ओज,ऊर्जा, सात्विकता एवं बलिदान का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना, पीले रंग के वस्त्र दान करना तथा पीले रंग की मिठाईयां और पकवान खाने का वेशेष महत्व है। पीले रंग का तात्पर्य यह है कि हमारे शरीर में ऊर्जा की वृद्धि हो। हम सात्विक बनें तथा स्वार्थ की भावना से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में बलिदान हेतु सदा तत्पर रहें।
बसंत पंचमी ऋतुओं के राजा का पर्व है। यह बसंत ऋतु से प्रारंभ होकर फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि तक रहता है। बसंत पंचमी को जीवन के आरंभ का दिन भी माना जाता है। बसंत पंचमी खुशियों के आरंभ का दिन है। बसंत ऋतु सभी छह ऋतुओं में सर्वाधिक आकर्षक एवं मनमोहक होती है। बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए इस दिन सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों का विधि-विधान के साथ आयोजन किया जाता है। बसंत पंचमी को देश भर में पतंगबाजी का उत्सव भी मनाया जाता है।
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