शुक्लवर्ण, श्वेतपद्मासना, हंसवाहिनी, वीणावादिनी, स्वेत वस्त्रधारनी हैं माँ सरस्वती
मां शारदा अत्यंत दयालु एवं उदार ह्रदय वाली हैं। ज्ञान से परिपूर्ण होने के कारण इनमें असीम करूणा है। बसंत पंचमी के दिन श्वेतपद्मासना, शुभ्रपद्मवासना, तुषार धवन कांति, शुभ्र हंसवाहिनी, श्रुतिहस्ता, वीणा मंडित करा, स्फटिक मालाधारनी मां भगवती भारती की पूजा-अर्चना का विधान है।
विद्या की देवी सरस्वती का जन्म भगवान ब्रह्मा के मुख से हुआ है। मां सरस्वती वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनका नामांतर शतरूपा भी है। मां सरस्वती के अन्य प्रयाय वागेश्वरी, वाग्देवी, भारती, ब्राह्मी, आनंदरू, त्रयीमूर्ति, एवं शारदा है। मां सरस्वती ही भाषा,श्रुतिरूपा तथा आनंदरूपा हैं। भगवती शारदा साक्षात ब्रह्मस्वरूपणी महामाया, महाशक्त्यात्मिक महालक्ष्मी और महाकाली हैं।
मां सरस्वती का मूल नाम श्री तथा श्री पंचमी है। ''विद्यावीणामृतम मय घटाक्ष स्रजा दीप्त हस्ता स्वेताब्जस्था भवदभिमत प्राप्तये भारती स्यात्''। अर्थात जो हंस पर विराजमान हैं। जिनका रूप चंद्रमा के समान है। जो कुंद के समान उज्जवल वर्ण वाली हैं। जो वाणी स्वरूपा हैं। जिनका मुख मंद मुस्कान से तथा मस्तक चंद्ररेखा से सुशोभित हैं। जिनके हाथ पुस्तक, वीणा, अक्षयमाला तथा अमृतमय घट से उद्दीप्त है। जो श्वेत कमल पर आसीन हैं। वही देवी सरस्वती लोगों की अभिष्ट सिद्ध करने वाली हैं।
मां सरस्वती का मुख पूर्णिमा के चंद्र तुल्य गौर है। मां सरस्वती का अंग कांति कर्पूर तथा कुंद फूल के समान है। मां का मस्तक अर्धचंद्र से अलंकृत है। मां सरस्वती का शरीर आभूषणों से विभूषित है। ये हंस पर आरूढ़ हैं। पुष्प एवं मोती इनके आभूषण हैं। श्वेत कमल गुच्छ पर ये विराजमान हैं।
मां सरस्वती के हाथ में वीणा सुशोभित है। मां सरस्वती शुक्लवर्ण, श्वेतपद्मासना, वीणावादिनी, स्वेत वस्त्रधारनी हैं। मां सरस्वती ही समस्त विद्याओं की अधिष्ठात्री हैं। यश मां सरस्वती की धवल अंग ज्योत्सना है। मां सरस्वती अनादि शक्ति भगवान ब्रह्मा के कार्य की सहयोगिनी हैं। इसलिए विश्व में सुख एवं सौंदर्य का सृजन मां सरस्वती ही करती हैं। मां सरस्वती की कृपा से ही प्राणी किसी भी कार्य हेतु ज्ञान प्राप्त करते हैं। मां सरस्वती का कलात्मक स्पर्श मात्र कुरुप को भी परम सुंदर बना देता है।
मां शारदा अत्यंत दयालु एवं उदार ह्रदय वाली हैं। ज्ञान से परिपूर्ण होने के कारण इनमें असीम करूणा है। बसंत पंचमी के दिन श्वेतपद्मासना, शुभ्रपद्मवासना, तुषार धवन कांति, शुभ्र हंसवाहिनी, श्रुतिहस्ता, वीणा मंडित करा, स्फटिक मालाधारनी मां भगवती भारती की पूजा-अर्चना का विधान है। मां सरस्वती मनुष्यों को महानतम संपत्ति यानी ज्ञान संपदा प्रदान करती हैं। अतः इनकी उपासना करने से मुर्ख भी विद्वान बन जाते हैं। अधम भी उत्तम हो जाते हैं।
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