शिवपाल यादव दे सकते हैं अखिलेश यादव को बड़ा झटका, तय कर चुके शिवपाल; BJP संग जाने पर सस्पेंस
शिवपाल सिंह यादव का अगला कदम क्या होगा? उत्तर प्रदेश में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है। प्रगतिशील समाजवाद पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल यादव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलों के बीच यूपी के उपमुख्ममंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया है कि अभी कोई वैकेंसी नहीं है।
शिवपाल सिंह यादव का अगला कदम क्या होगा? उत्तर प्रदेश में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है। प्रगतिशील समाजवाद पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल यादव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलों के बीच यूपी के उपमुख्ममंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया है कि अभी कोई वैकेंसी नहीं है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि शिवपाल के भाजपा संग जाने का अंतिम फैसला भले हुए ना हुआ हो लेकिन समजावादी पार्टी (सपा) से उनका अलगाव तय है।
बताया जा रहा है कि शिवपाल यादव ने गुरुवार को प्रसपा नेताओं के साथ बैठक में उन्हें बड़ी लड़ाई के लिए तैयार होने को कहा। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने यह तय कर लिया है कि सपा गठबंधन में नहीं रहना है। बड़े भाई मुलायम सिंह के कहने पर सपा से गठबंधन करने वाले शिवपाल पहले गठबंधन में महज एक सीट मिलने और अब सपा संगठन में बड़ी भूमिका दिए जाने से इनकार के बाद अपमानित महसूस कर रहे हैं। प्रसपा के नेता और कार्यकर्ताओं भी पहले से ही गठबंधन से असंतुष्ट हैं।
शिवपाल यादव अगले 2-3 दिनों में अपने अगले कदम का ऐलान कर देंगे। इस बीच अखिलेश यादव की ओर से उन्हें मनाने को कोशिश भी नहीं हो रही है। सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव ने भी शिवपाल को अपने हित में कोई भी फैसला कर लेने की छूट दे दी है। मुलायम परिवार के करीबी बताते हैं कि नेताजी को भी इस बात का मलाल है कि उनके साथ कड़ी मेहनत करने वाले शिवपाल उपेक्षित हैं। मुलायम के कहने पर ही शिवपाल ने अखिलेश का साथ मंजूर कर लिया था, लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
केशव प्रसाद मौर्य ने क्या कहा?
शिवपाल यादव के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच यूपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया है कि बीजेपी में फिलहाल ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। उन्होंने सीएम योगी से शिवपाल की मुलाकात को सामान्य बताते हुए कहा है कि विपक्ष का कोई भी नेता उनसे मिल सकता है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने शिवपाल की शर्तों को नरम करने के लिए भी यह दांव चला होगा। पार्टी अपने नफा-नुकसान को ध्यान में रखकर ही शिवपाल के साथ कोई समझौता करेगी।
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