केंद्र सरकार ने जाकिर नाइक के इस्लामी संगठन IRF को किया 5 साल के लिए बैन, कहा - वो सभी मुस्लिमों को आतंकी बनने के लिए उकसाता है
कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के खिलाफ भारत सरकार ने शिकंजा कस दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने बुधवार 30 मार्च 2022 को नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRA) को अवैध घोषित करते हुए पाँच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। विवादित उपदेशक पर अपने उपदेशों के जरिए लोगों को चरमपंथी और आतंकी बनाने का आरोप है।
कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के खिलाफ भारत सरकार ने शिकंजा कस दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने बुधवार 30 मार्च 2022 को नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRA) को अवैध घोषित करते हुए पाँच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। विवादित उपदेशक पर अपने उपदेशों के जरिए लोगों को चरमपंथी और आतंकी बनाने का आरोप है।
इस संगठन के संस्थापक जाकिर नाइक ही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मसले को लेकर 15 नवंबर 2021 को ही एक अधिसूचना जारी की थी। हाल में ट्रिब्यूनल ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत केंद्र सरकार के रूख को सुना और इस मामले में 9 मार्च 2022 को अपना फैसला सुनाया। ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद गृह मंत्रालय ने जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को बैन करने के लिए अधिसूचना जारी की।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, “आईआरएफ के संस्थापक जाकिर नाइक आतंकियों की तारीफ करते हैं औऱ ऐलान करते हैं कि हर मुस्लिम को आतंकी होना चाहिए। उनके भाषण आपत्तिजनक हैं। आत्मघाती बम विस्फोटों को सही ठहराने, हिंदू धर्म, हिंदू देवी देवताओं समेत दूसरे धर्मों को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करके जबरन इस्लामिक धर्मान्तरण को बढ़ावा दे रहा है।”
केंद्र की अधिसूचना में आगे कहा गया है, “जाकिर नाइक भारत और विदेशों में मुस्लिम युवाओं और आतंकवादियों को आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए उकसाता रहा है। गुजरात, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र और ओडिशा में आईआरएफ, इसके सदस्यों और सहानुभूति रखने वालों की अवैध गतिविधियाँ देखने को मिली हैं।”
सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, “ये गतिविधियाँ आईआरएफ और उसके लोगों द्वारा समुदाय में जानबूझकर नफरत का स्थायीकरण प्रतीकात्मक हमले का एक रूप है। उपरोक्त मैटीरियल से पता चलता है कि यह आईआरएफ को अवैध संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त है।”
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ट्रिब्यूनल में पेश हुए और दलीलें पेश कीं। उन्होंने ट्रिब्यूनल को बताया कि ऐसे कई सारे सबूत हैं, जिनमें जाकिर नाइक वीडियो के जरिए अपनी मजहबी तकरीरों व विभिन्न सोशल मीडिया साइटों के जरिए अपने फॉलोवर्स को भड़काता है।
दलीलों को सुनने के बाद ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा, “ट्रिब्यूनल संतुष्ट है कि आईआरएफ पर उक्त प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं क्योंकि इसकी गैरकानूनी गतिविधियाँ कई तरीकों से चल रही हैं और ये भारत की संप्रभुता, एकता, अखंडता, सुरक्षा और कारणों के लिए हानिकारक हैं इससे भारत के खिलाफ असंतोष बढ़ाया जा रहा है।”
इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने 15 नवंबर 2021 की अधिसूचना की पुष्टि की। ट्रिब्यूनल का मानना है कि रिकॉर्ड पर रखे गए सबूत जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गैरकानूनी साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।
जाकिर नाइक के इस्लामी उपदेशों के हिंसक रिजल्ट:
जाकिर नाइक के जहरीले भाषणों का लोगों पर बहुत ही बुरा असर हो रहा है। 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक विस्फोट हुआ था, जिसमें शामिल आतंकियों ने ये माना था कि वो जाकिर नाइक के उपदेशों से प्रभावित थे। इसी तरह से 2019 में मलेशिया में इस्लामिक उपदेशक ने मलेशिया में हिंदुओं और चीनी मलेशियाई लोगों के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी की थी, जिसके बाद उसके भाषणों पर रोक लगा दी गई थी। उससे घंटों की पूछताछ भी हुई थी। गौरतलब है कि जाकिर नाइक मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारत में वॉन्टेड है। उसके पीस टीवी को भारत सरकार पहले ही ऑफ एयर कर चुकी है।
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