Corona Update : कांग्रेस चुकाएगी प्रवासी श्रमिकों और कामगारों की रेल यात्रा किराया,सोनिया गांधी ने की घोषणा, केंद्र सरकार और रेलवे पर साधा निशाना
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कोरोना महामारी से प्रभावित श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों की रेल यात्रा किराया का भुगतान करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों और कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया। लेकिन दुर्भाग्य से न तो सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कोरोना महामारी से प्रभावित श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों की रेल यात्रा किराया का भुगतान करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों और कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया। लेकिन दुर्भाग्य से न तो सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने। इसलिए,कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक और कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी साथ ही इस बारे जरूरी कदम उठाएगी।
सोनिया गांधी ने कहा कि मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा। श्रमिक और कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक और कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए।
सोनिया गांधी ने कहा कि 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा है। हजारों श्रमिक और कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन। उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक और कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा। दुख की बात यह है कि भारत सरकार और रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते? '
खबरों के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से घर जा रहे मजदूरों से 50 रुपए ज्यादा किराया लिया जा रहा है। शनिवार को भिवंडी से गोरखपुर तक चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में हर यात्री से 800 रुपए लिए गए,जबकि वास्तविक किराया 745 रुपए ही था। पुरी से सूरत तक का किराया 710 रुपए लिया गया। आगरा कैंट से अहमदाबाद के 250 रुपए वसूले गए। नासिक से भोपाल तक का किराया 250 रुपए लिया गया।
बताया जा रहा है कि किराए के अलावा 30 रुपए सुपर फास्ट चार्ज और 20 रुपए अतिरिक्त चार्ज लिया जा रहा है। मजदूरों से किराया वसूलने पर रेलवे की ओर से कोई सफाई नहीं आई है। अधिकारियों ने इतना कहा था कि राज्यों को किराया देने में कोई आपत्ति नहीं है, झारखंड समेत कुछ राज्य तो एडवांस पेमेंट कर चुके हैं। गुजरात ने एक एनजीओ को किराया देने के लिए तैयार किया है।
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