बदलाव के सारथी से सम्मानित ‘सचिन सिन्हा’ रच रहे हैं नया मुकाम
बिहार के सचिन सिन्हा ऐसे शख्सियत हैं जो उर्वरक मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी तो हैं ही साथ ही कैसे गांव को समृद्ध किया जाए, इसके लिए ये नियमित तौर पर गांव-गांव में रविवार को चैपाल के माध्यम से किसानों से सीधा संवाद करते हैं। चौपाल में किसानों से जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनकी प्रेरणा से देश के कई गांवों में जैविक खेती की शुरूआत हुई है।
बिहार के सचिन सिन्हा ऐसे शख्सियत हैं जो उर्वरक मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी तो हैं ही साथ ही कैसे गांव को समृद्ध किया जाए, इसके लिए ये नियमित तौर पर गांव-गांव में रविवार को चैपाल के माध्यम से किसानों से सीधा संवाद करते हैं। चौपाल में किसानों से जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनकी प्रेरणा से देश के कई गांवों में जैविक खेती की शुरूआत हुई है।
भारत सरकार में अधिकारी होने के बाद भी श्री सिन्हा का मन गांव, खेती और किसानी में लगता है। नीम कोटेड यूरिया की नीति बनाने एवं उसे अमलीजामा पहनाने में इनका अहम योगदान है। अपने पद से इत्तर कृषक समाज के लिए वो निरंतर कार्य कर रहे हैं। पिछले कई वर्षों से दूध एवं नकली शराब बनाने में यूरिया के प्रयोग को रोकने के लिए वो नीम कोटेड यूरिया के मुहिम को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
बदलाव की दिशा में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए सचिन सिन्हा को ‘बदलाव के सारथी’ सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। लोगों की उनसे आकांक्षा है कि ऐसे ही वो गांव को समृद्ध करते रहें।
दरअसल, 31 मार्च, 2019 को नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सार्थक बातचीत के लिए एक आयोजन किया गया, विषय था ‘बदलाव के सारथी’। आयोजन का मकसद था कि समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए कुछ अलग कर रहे लोगों के साथ बातचीत हो सके। एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ने के लिए एक दूसरे का हाथ थामा जा सके। एक दूसरे को प्रेरणा मिल सके।
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