माया-अखिलेश-तेजस्वी जी, राजनीति करनी हैं तो जगन मोहन रेड्डी से सीखिए, मान्यवर कांशीराम स्टाइल में कर रहे हैं राजनीति
आंध्र में जगन मोहन रेड्डी ने भी मान्यवर कांशीराम स्टाइल में राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने एक दलित गृह मंत्री और पांच अलग- अलग जातियों के विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाया हैं। मान्यवर काशीराम की हर सभा में ज्यादा से ज्यादा जातियों की भागीदारी सुनिश्चित होती थी। लेकिन आज दलितों-पिछड़ों के नाम पर सत्ता में भागीदारी की बात करने वाले नेता माया- अखिलेश और तेज़स्वी यादव पिछड़ों की राजनीति करने के बजाय पार्टियां अपने सहुलियत के हिसाब से राजनीति करती रही हैं ।
करीब एक दशक में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी खड़ी कर देना कोई मजाक नहीं है इसके लिए एक दृष्टि चाहिए जो मान्यवर काशीराम राम में थी। राजनीति के इतिहास में ये कालखंड पिछड़ों की राजनीति के लिहाज से स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया हैं। दरअसल मान्यवर काशीराम की हर सभा में ज्यादा से ज्यादा जातियों की भागीदारी सुनिश्चित होती थी। यानि पिछड़े, दलित, आदिवासी, मुस्लिम आदि बहुजन समुदाय को जोड़ने का काम करते थे।लेकिन आज दलितों-पिछड़ों के नाम पर सत्ता में भागीदारी की बात करने वाले नेता माया- अखिलेश और तेज़स्वी यादव पिछड़ों की राजनीति करने के बजाय पार्टियां अपने सहुलियत के हिसाब से राजनीति करती रही हैं ।
बहुजन राजनीति करनी हैं तो जगन मोहन रेड्डी से सीखिए
हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्तरप्रदेश में बसपा और सपा और बिहार में आरजेडी को सबक सीखना चाहिए। माया-अखिलेश जी, बहुजन राजनीति करनी हैं तो जगन मोहन रेड्डी से सीखिए जो मान्यवर कांशीराम स्टाइल में राजनीति कर रहे हैं. आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने पांच डिप्टी सीएम बनाने के साथ ही दलित महिला विधायक को गृह मंत्रालय का जिम्मा सौंपा। जगनमोहन रेड्डी ने अपनी टीम में 5 उपमुख्यमंत्रियों को शामिल किया है। देश में यह पहला मौका है, जब 5 उप मुख्यमंत्री सरकार का हिस्सा होंगे। जगनमोहन की कैबिनेट के 25 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। जगनमोहन ने 5 उपमुख्यमंत्रियों को शामिल करने को लेकर कहा है कि इसके जरिए राज्य के मुख्य समुदायों दलित, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और कापू को प्रतिनिधित्व दिया गया है। फिलहाल देश के 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डिप्टी सीएम हैं। गोवा और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं। आंध्र में अब डिप्टी सीएम हैं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। आंध्र में जगन मोहन रेड्डी भारी बहुमत से सत्ता में आए हैं। उनकी पार्टी ने विधानसभा की 151 सीटें जीती हैं।
विभाजित आंध्र की पहली महिला गृह मंत्री होंगी मेखाथोटि सुचरिता
मेखाथोटि सुचरिता को दलित महिला विधायक को गृह मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया हैं। मेखाथोटि सुचरिता को 24 अन्य विधायकों के साथ अमरावती के राज्य सचिवालय में आयोजित एक समारोह में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वह अलग तेलंगाना बनने के बाद आंध्र की पहली महिला गृह मंत्री होंगी। गुंटुर जिले की सुरक्षित सीट प्रातिपादु से जीत कर आईं मेखाथोटि सुचरिता राज्य की नई गृह मंत्री होंगी। जगन के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी ने भी महिला को आंध्र का गृह मंत्री बनाया था। वाईएस राजशेखर रेड्डी ने पी सबिता इंद्रा रेड्डी को राज्य का गृह मंत्री बनाया था. सबिता इंद्रा रेड्डी अब टीआरएस की विधायक हैं।
सपा- बसपा-आरजेडी सहुलियत के हिसाब से करती हैं राजनीति
दरअसल ये पार्टियां अपने सहुलियत के हिसाब से राजनीति करती रही हैं। मुस्लिमों को एकमुश्त वोट बैंक और हिंदुओं को जातियों में बाँट कर चलना ही फर्जी सेक्यूलरिज्म रहा है। अभी तक जीत का फ़ार्मूला रहा है सपा - मुस्लिम+यादव, बसपा- मुस्लिम+ब्राह्मण+जाटव और राजद- मुस्लिम+यादव। लेकिन अब ये फार्मूले ध्वस्त हो गए, क्योंकि अब दूसरी पिछड़ी जातियां भी जागरूक हो गयी हैं. उन्हें अब जहाँ प्रतिनिधित्व मिलेगा वो उन्हें वोट देने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। इसका ही फायदा 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उठाया हैं।
आइये जानते हैं मान्यवर काशीराम पॉलिटिक्स
दरअसल मान्यवर काशीराम की हर सभा में ज्यादा से ज्यादा जातियों की भागीदारी सुनिश्चित होती थी। यानि पिछड़े, दलित, आदिवासी, मुस्लिम आदि बहुजन समुदाय को जोड़ने का काम करते थे। जिस जाति का आदमी अध्यक्षता करता था, उस जाति का आदमी मंच संचालन नहीं करता था। स्वागत भाषण तीसरी जाति का आदमी देता था तो धन्यवाद ज्ञापन चौथी जाति का आदमी करता था। अमूमन हर सभा में सात से आठ जातियों के वक्ता होते थे, मुसलमान जरूर होते थे। किस जाति की कितनी संख्या है, ये जरूरी बात नहीं होती थी। सबको जोड़ने का ख्याल होता था। हर सभा में कम से कम 12 से 15 जातियों के हाथ में माइक होती थी। आज की तरह एक नेता का भाषण नहीं होता था।
आंध्र में जगन मोहन रेड्डी ने भी मान्यवर कांशीराम स्टाइल में राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने एक दलित गृह मंत्री और पांच पिछड़े जातियों के विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाया हैं। मान्यवर काशीराम की हर सभा में ज्यादा से ज्यादा जातियों की भागीदारी सुनिश्चित होती थी. जगन मोहन रेड्डी लम्बी पारी खेलना चाहते हैं और उनमे दूर दृष्टि हैं. लेकिन ये बहुजन राजनीति कर रहे दूसरे नेताओं और पार्टियों को समझना होगा। यही वजह हैं कि बिहार, उत्तर प्रदेश में तमाम गुना -भाग असफल साबित हुए।
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