आत्मसम्मान और अभिमान का जीवंत रूप 'लीना' में
हम सलाम करते है लीना के हौसले को, उसके जैसी लड़कियाँ ही महिलाओं को लेकर समाज की सोच को बदलती हैं। हम लीना के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि वो ज़िन्दगी में वो सब कुछ हासिल करे, जिसे पाने के लिए वो दिन रात इतनी मेहनत करती है। प्रभाकर ज्योति की रिपोर्ट -
ये बोर्ड जितना छोटा है, उतनी ही छोटी ये दुकान है, नाम है 'हिना ट्रेडर्स', पर इस छोटी सी दुकान की जो कहानी है, वो समाज को एक बहुत बड़ी प्रेरणा प्रदान करती है। दिल्ली के खारी बावली में स्थित ये मेवों और मसालों की 2.5x10 फिट की दुकान है लीना सूर्यवंशी की, दूकान इतनी छोटी है कि इसमें बैठने की जगह नहीं है। लीना रोज़ 10 घंटे अपनी दुकान पर खड़ी होकर काम करती है, अगल बगल की बड़ी दुकानों के बीच अपना वजूद बनाए हुए है।
लीना अपने घर की ज़िम्मेदारी अकेले संभालती है, वो घर की एकमात्र कमाने वाली सदस्य है। दुकान चलाकर वो ना सिर्फ़ अपना घर संभाल रही है, बल्कि अपनी 2 बहनों की पढाई का खर्च भी उठा रही है। लीना की एक बहन CA का कोर्स कर रही है और दूसरी डायटीशियन का। इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी निभा रही है लीना पर वो हँसना नहीं भूलती है। लीना कहती है कि वो शादी भी उसी से करेगी, जो उसे दुकान चलाने दे, लीना कहती है, "इतना वक़्त लगाया है इस बाज़ार में, इतना कुछ सीखा है, ऐसे ही घर कैसे बैठ जाउंगी।"
लीना की दुकान साल के 365 दिन खुली रहती है, वो बचपन से ही वो दुकान संभाल रही है, छोटी उम्र में ही पिता की मृत्यु के बाद लीना ने अपने परिवार को संभाला है। दुकान संभाले उसे 12 साल हो गए और इन 12 सालों में उसने बहुत कुछ देखा है, लीना चाहती है कि जो दिन उसने देखे हैं, वो उसकी बहनें ना देखें। अगर आप खारी बावली की ओर जा रहे हैं तो लीना से ज़रूर मिलिएगा, आपको आत्मसम्मान और अभिमान दोनों का जीवांत रूप देखने को मिल जाएगा।
कोई यदि कहता है कि दुकान बहुत छोटी है तो लीना हँसकर कहती है, "दुकान डाइटिंग करती है, इसलिए इतनी छोटी है।"
हम सलाम करते है लीना के हौसले को, उसके जैसी लड़कियाँ ही महिलाओं को लेकर समाज की सोच को बदलती हैं। हम लीना के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि वो ज़िन्दगी में वो सब कुछ हासिल करे, जिसे पाने के लिए वो दिन रात इतनी मेहनत करती है।
Comments (0)