मोदी सरकार करो तैयारी, अब है पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान की बारी!

अगर भारत को जम्मू-कश्मीर के बारे में बातचीत करने की जरूरत है,तो वह पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन भी है। इसके ऊपर देश में चर्चा होनी चाहिए। पाक अधिकृत कश्मीर का गिलगित वह एकमात्र स्थान है जो पांच देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, पाकिस्तान, भारत और तिब्बत यानी चीन भी शामिल है। "वास्तव में जम्मू-कश्मीर का महत्व जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण भी नहीं है। अगर इसका महत्व है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण।

मोदी सरकार करो तैयारी, अब है पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान की बारी!
Pic of Gilgir-Baltistan Map
मोदी सरकार करो तैयारी, अब है पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान की बारी!
मोदी सरकार करो तैयारी, अब है पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान की बारी!
मोदी सरकार करो तैयारी, अब है पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान की बारी!

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से एक ओर जहां पाकिस्तान बौखलाया हुआ है, वहीं दूसरी ओर नियंत्रण रेखा के पार यानी गिलगिट-बाल्टिस्तान के लोगों ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारत सरकार के फैसले को गिलगिट-बाल्टिस्तान में भी पुरजोर समर्थन मिल रहा है। वहां के लोगों का कहना है कि वे भारत का हिस्सा हैं और भारतीय संसद में उन्हें भी प्रतिनिधित्व  मिलना चाहिए। ताकि भारत इस क्षेत्र पर अपनी दावेदारी को और मजबूत बना सके। लोगों का कहना है कि भारत को अपने संवैधानिक ढांचे में इस क्षेत्र को शामिल करना चाहिए और इसे संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यिसभा में प्रतिनिधित्व देना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी लोकसभा में अनुच्छेद 370 पर जवाब देते हुए कहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर भी जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है। क्योंकि जम्मू-कश्मीर जब अलग राज्य था तब यहां की विधानसभा में भी पीओके क्षेत्र के लोगों के प्रतिनिधित्व के लिए अलग से 24 सीटें आरक्षित थीं और अब जबकि जम्मू-कश्मीर को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है तो भी यहां की विधानसभा में पीओके क्षेत्र के लोगों के लिए सीटें आरक्षित रखी गई हैं।

दरअसल, अगर भारत को जम्मू-कश्मीर के बारे में बातचीत करने की जरूरत है,तो वह पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन भी है। इसके ऊपर देश में चर्चा होनी चाहिए। पाक अधिकृत कश्मीर का गिलगित वह एकमात्र स्थान है जो पांच देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, पाकिस्तान, भारत और तिब्बत यानी चीन भी शामिल है। "वास्तव में जम्मू-कश्मीर का महत्व जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण भी नहीं है। अगर इसका महत्व है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण। इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आज तक, वो चाहे शक, हूण, कुषाण या फिर हों मुग़ल वे सभी गिलगित से ही हुए। हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे। उनको पता था कि अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान से उस पार ही रखना होगा।

किसी समय इस गिलगित में अमेरिका बैठना चाहता था। ब्रिटेन अपना बेस गिलगित में बनाना चाहता था। रूस भी गिलगित में बैठना चाहता था। यहां तक कि पाकिस्तान ने 1965 में गिलगित को रुस को देने का वादा तक कर लिया था। आज चीन गिलगित में बैठना चाहता है। वह अपने पैर पसार भी चुका है। पाकिस्तान तो खैर बैठना चाहता ही था।दुर्भाग्यवश इस गिलगित के महत्व को सारी दुनिया समझती है। केवल एक उसको छोड़कर जिसका वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान है और वह है भारत। क्योंकि हमको इस बात की कल्पना तक नहीं है। मैं तो कहता हूं कि अगर भारत को सुरक्षित रहना है तो गिलगित-बाल्टिस्तान हमें किसी भी हालत में चाहिए।

आज हम आर्थिक शक्ति बनने की सोच रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है गिलगित से सड़क मार्ग से आप विश्व के अधिकांश कोनों में जा सकते हैं। सड़क के रास्ते गिलगित से दुबई की दूरी महज 5000 किलोमीटर, दिल्ली 1400 किलोमीटर, मुंबई 2800 किलोमीटर, रुस 3500 किलोमीटर, चेन्न्ई 3800 किलोमीटर और की दूरी सिर्फ 8000 किलोमीटर है। जब हम सोने की चिड़िया थे, तो हमारा इन सारे देशों से व्यापार चलता था। लगभग 85 फीसदी जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी। सेंट्रल एशिया, यूरेशिया, यूरोप और अफ्रीका, इस सभी जगह हम सड़क मार्ग से जा सकते हैं, अगर गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे पास हों।

क्या है कि आज हम पाकिस्तान के सामने आईपीआई यानी इरान-पाकिस्तान-इंडिया गैस पाइप लाइन बिछाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं। ये तापी की परियोजना है, जो कभी पूरी नहीं होगी। अगर हमारे पास गिलगित होता तो गिलगित के आगे तज़ाकिस्तान था। हमें किसी के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने पड़ते। हिमालय की जो 10 बड़ी चोटियों है,वो हमारी हैं। क्योंकि इन 10 में से 8 गिलगित-बाल्टिस्तान में हैं और गिलगित-बाल्टिस्तान हमारा है। तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जितने भी पानी के वैकल्पिक स्त्रोत हैं, वह सारे गिलगित-बाल्टिस्तान में हैं। आप हैरान हो जाएंगे गिलगित-बाल्टिस्तान में बड़ी-बड़ी 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं।

जब आप पाक अधिकृत कश्मीर के मिनरल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट पढ़ेंगे तो आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे। क्योंकि वहां खनीज के अकूत भंडार हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग जो हैं वो पूरी तरह से पाकिस्तान विरोधी हैं। वो पाकिस्तान की मुखाल्फत करते रहते हैं। वो दिल से भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं। वो भारत का होना चाहते हैं। दुर्भाग्य क्या है कि हम हमेशा कश्मीर बोलते हैं। जम्मू-कश्मीर नहीं बोलते हैं। कश्मीर कहते ही जम्मू, लद्दाख,गिलगित-बाल्टिस्तान दिमाग से निकल जाता है। ये जो पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर है, उसका क्षेत्रफल 79000 वर्ग किलोमीटर है। उसमें कश्मीर का हिस्सा तो सिर्फ 6000 वर्ग किलोमीटर है। 9000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा जम्मू का है और 64000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा लद्दाख का है, जो कि गिलगित-बाल्टिस्तान है।

यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था। यह लद्दाख का हिस्सा था। सच्चाई यही है। यह जो पाकिस्तान बार-बार कश्मीर का राग अलापता रहता है उसको कोई यह तो पूछे कि गिलगित-बाल्टिस्तान और जम्मू का हिस्सा जिस पर तुमने कब्ज़ा कर रखा है क्या ये भी कश्मीर का ही भाग है? आपको कोई जवाब नहीं मिलेगा। क्या आपको पता है गिलगित-बाल्टिस्तान,लद्दाख के रहने वाले लोगों की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है। यहां के लोग विश्व के अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा दिनों तक जीते है। बात कुछ वर्ष पूर्व की है।

भारत में आयोजित एक सेमिनार में गिलगित-बाल्टिस्तान के एक बड़े नेता को बुलाया गया था। सेमिनार को संबंधित करते हुए उसने कहा कि "we are the forgotten people of forgotten lands of BHARAT" l उन्होंने कहा कि देश हमारी बात ही नहीं जानता। किसी ने उनसे सवाल किया कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं? तो उन्होंने कहा कि 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT, IIM में दाखिला दीजिए। AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए। हमें यह लगे तो सही कि भारत हमारी चिंता करता है। हमारी बात करता है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है। लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है। आप हमें ये अहसास तो दिलाइए कि आप हमारे साथ हैं। मैं खुद आपसे यह पूछता हूं कि आप सभी ने पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में हर सहायता उपलब्ध कराते हुए देखा होगा। वह बार-बार कहता है कि हम कश्मीर की जनता के साथ हैं। कश्मीर की आवाम हमारी है। लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भी भारत के नेता, मंत्री या सरकार ने यह कहा हो कि हम पाक अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के साथ हैं। वह हमारी आवाम है। उनको जिस प्रकार की सहायता की जरूरत होगी, हम उपलब्ध करवाएंगे। आपने यह कभी नहीं सुना होगा।

कांग्रेस सरकार ने कभी पाक अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान को दोबारा भारत में लाने के लिए कोई बयान तक नहीं दिया। प्रयास तो बहुत दूर की बात है। हालांकि पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के समय पाक अधिकृत कश्मीर का मुद्दा उठाया गया। उसके बाद 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और फिर से नरेंद्र मोदी जी की सरकार आने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया। आप अगर आज किसी को गिलगित के बारे में पूछेंगे, तो उसे यह पता नहीं है कि यह जम्मू कश्मीर का ही भाग है। वह यह पूछेगा क्या यह कोई चिड़िया का नाम है? वास्तव में हमें जम्मू-कश्मीर के बारे में जो गलत नजरिया है उसको बदलने की जरूरत है।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि अब करना क्या चाहिए? तो पहली बात है सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है। इसपर अनावश्यक वाद-विवाद नहीं होना चाहिए। एक अनावश्यक वाद-विवाद चलता है कि जम्मू-कश्मीर में इतनी सेना क्यों है? तो बुद्धिजीवियों को बता दिया जाए कि जम्मू-कश्मीर का 2800 किलोमीटर का बॉर्डर है, जिसमें 2400 किलोमीटर पर लाइन ऑफ कंट्रोल है। आजादी के बाद भारत ने पांच युद्ध लड़े। वह सभी जम्मू-कश्मीर से लड़े। भारतीय सेना के 18 लोगों को परमवीर चक्र मिला और वह 18 के 18 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं।14000 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें से 12000 जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हैं। अब सेना बॉर्डर पर नहीं, तो क्या मध्यप्रदेश में रहेगी? क्या जो सेना की इन बातों को नहीं समझते वही यह सब अनर्गल चर्चा करते हैं?

वास्तव में जम्मू-कश्मीर पर बातचीत करने के जो मुख्य बिंदु हैं, वो पाक अधिकृत कश्मीर, वेस्ट पाक रिफ्यूजी, कश्मीरी हिंदू समाज, आतंक से पीड़ित लोग, धारा 370 और 35A का दुरूपयोग, गिलगित-बाल्टिस्तान का वह क्षेत्र जो आज पाकिस्तान और चीन के कब्जे में हैं। जम्मू-कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में अधिकांश जनसंख्या शिया मुसलमानों की है और वह सभी पाक विरोधी हैं। वह आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं,पर भारत उनके साथ है ऐसा उनको महसूस कराना चाहिए। देश कभी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ है। जम्मू-कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदलना चाहिए। जम्मू-कश्मीर को लेकर सारे देश में सही जानकारी देने की जरूरत है। इसके लिए एक इंफॉर्मेशन कैंपेन चलना चाहिए। देशभर 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर का दिवस मनाना चाहिए और सबसे बड़ी बात यह है कि जम्मू-कश्मीर को राष्ट्रवादियों की नजर से देखना होगा। जम्मू-कश्मीर की चर्चा हो तो वहां के राष्ट्रभक्तों की चर्चा होनी चाहिए। 

विनय कुमार सिंह, पत्रकार, एड. सीधी (मध्यप्रदेश)

Refrences :-
INDIA INDEPENDECE ACT 1947
INDIAN CONSTITUTION ACT 1950
JAMMU & KASHMIR ACT 1956 
INDIAN GOVT. ACT 1947.