देश के किसानों ने दिखाया दम,इस वर्ष गेहूं और चना की रिकॉर्ड पैदावार होने के आसार,आलू-प्याज का उत्पादन भी पिछले सीजन से ज्यादा हुआ
किसानों की कड़ी मेहनत रंग लाई है। कृषि के जानकारों को अनुमान है कि इस साल गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड तोड़ 10.62 करोड़ टन तक पहुंचने वाला है। यानी पिछले साल के मुकाबले इस बार 40 लाख टन ज्यादा गेहूं होगा। इतना गेहूं 6.30 करोड़ लोगों की सालभर की जरूरत पूरी कर सकता है। देश के गोदामों में पहले से ही गेहूं और चावल का बफर स्टॉक है, लिहाजा, भविष्य में खाद्यान्न पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहेगा।
देश इन दिनों कोरोना की मार झेल रहा है। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। अन्नदाता यानी किसानों की समस्या ज्यादा बड़ी है, क्योंकि उनकी तौयार फसल खेतों में खड़ी है। पर लॉकडाउन के बीच राहतभरी खबर भी है। वह यह कि इस रबी सीजन में गेहूं और चना से लेकर आलू और प्याज की भी बंपर पैदावार होने की उम्मीद है।
किसानों की कड़ी मेहनत रंग लाई है। कृषि के जानकारों को अनुमान है कि इस साल गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड तोड़ 10.62 करोड़ टन तक पहुंचने वाला है। यानी पिछले साल के मुकाबले इस बार 40 लाख टन ज्यादा गेहूं होगा। इतना गेहूं 6.30 करोड़ लोगों की सालभर की जरूरत पूरी कर सकता है। देश के गोदामों में पहले से ही गेहूं और चावल का बफर स्टॉक है, लिहाजा, भविष्य में खाद्यान्न पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहेगा।
दरअसल, रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं होती है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भी 2019-20 में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है। वर्ष 2020 जनवरी के अंत तक तीन करोड़ 36.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई थी,जबकि पिछले साल इसी दौरान गेहूं का यह रकबा दो करोड़ 99.3 लाख हेक्टेयर था।
कृषि मंत्रालय की फरवरी में आई रिपोर्ट में बताया गया था कि अच्छी बरसात और ज्यादा बुआई से देश में गेहूं की पैदावार 2019-20 में 10 करोड़ 62.1 लाख टन तक पहुंच सकती है। यह गेहूं का अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन होगा। वर्ष 2018-19 में 10 करोड़ 36 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जो रिकॉर्ड था।
केंद्र सरकार ने 90 हजार टन गेहूं के निर्यात का फैसला भी कर लिया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि देश में पैदा होने वाले कुल गेहूं में से 85 से 90 फीसदी की खपत होती है। देश में सालाना करीब 9 करोड़ टन गेहूं लग जाता है और एक से डेढ़ करोड़ टन से ज्यादा गेहूं की बचत होगी। देशभर में कुल पैदा होने वाले गेहूं का 83 फीसदी पांच राज्यों में होता है। इनमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा शामिल हैं। 17 फीसदी उत्पादन देश के अन्य राज्यों में होता है।
केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि सर्दी अधिक पड़ने से हरियाणा और पंजाब में फसल 7 से 10 दिन देरी से पकी है। सामान्य तौर पर यहां गेहूं की कटाई 10 से 20 अप्रैल के बीच होती है। कंबाइन से कटाई तेजी से होती है और सरकार ने कंबाइन से कटाई की इजाजत दे दी है। यहां 15 अप्रैल से कटाई शुरू हो जाएगी। कंबाइन से एक एकड़ का गेहूं 20 मिनट में काटकर ट्राली में लाद दिया जाता है। इसमें ड्राइवर समेत केवल 3 लोगों की जरूरत होती है, इसलिए लॉकडाउन से कटाई प्रभावित नहीं होगी।
वास्तव में इस वर्ष सर्दी अधिक पड़ने से गेहूं अच्छी तरह पका है और दाने की गुणवत्ता भी अच्छी है। फसल कटने में भी देरी नहीं हुई है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिनी उत्तर प्रदेश में अब फसल तैयार हुई है। गेहूं की खड़ी फसल के दाने खेत पर नहीं गिरते हैं। जैसे सरसों के पकने के एक-दो दिन में गिरने लगते हैं। इसलिए नुकसान नहीं होगा।
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