शहरों के बाद गांवों में जिंदगियां लील रहा कोरोना संक्रमण, कई जगह खत्म कर दिए परिवार
देश के बड़े शहरों में तबाही मचाने के बाद कोरोना संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में जिंदगियां लील रहा है। सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ने जा रहे देश के गांवों में अधिकांश आबादी रहती है, लेकिन अधिकतर गांवों में संक्रमण से बचाने वाला स्वास्थ्य ढांचा मौजूद नहीं है।
राजधानी से करीब 1.5 घंटे की दूरी पर मौजूद बासी गांव की आबादी 5,400 है। इसमें से करीब तिहाई आबादी बीमार है और पिछले 3 सप्ताह में 30 से अधिक की मौत हो चुकी है। यहां ना तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है ना कोई डॉक्टर और ना ही ऑक्सीजन। शहरी लोगों की तरह ये ट्विटर पर मदद भी नहीं मांग सकते हैं।
कृषक समुदाय के नवनिर्वाचित प्रमुख संजीव कुमार ने कहा, ''गांव में अधिकतर मौत इसलिए हुई है क्योंकि ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। मरीजों को जिला मुख्यालय लाया जाता है तो गंभीर मरीजों को चार घंटे की यात्रा करनी पड़ती है और कई की मौत वहां पहुंचने से पहले हो जाती है।''
यह स्थिति पूरे भारत की है। 18 से अधिक कस्बों और गांवों के प्रतिनिधियों, अधिकारियों ने बताया है कि किस तरह उनके इलाकों में लोग मारे गए हैं। कई परिवार में तो एक भी सदस्य नहीं बचा। कहीं शव गंगा में फेंके जा रहे हैं तो कहीं सैकड़ों शव नदी किनारे रेत में दबा दिए गए।
कई लोगों का कहना है कि संकट उससे कहीं अधिक बड़ी है जितनी आधिकारिक आंकड़ों में बताई जा रही है। बुखार होने पर भी गांव के लोग घर छोड़ने से डर रहे हैं और स्थानीय प्राधिकरण संक्रमितों और मृतकों की सही संख्या दर्ज नहीं कर पा रहे हैं। मंगलवार को भारत में रिकॉर्ड 4,329 मौतें हुईं तो वहीं संक्रमितों की संख्या 2.5 करोड़ के पार जा चुकी है।
स्वास्थ्य ढांचा तैयार नहीं करने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर स्थानीय प्रशासन तक के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। बासी और उत्तर प्रदेश के अन्य इलाकों में पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी को स्थानीय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। सबसे अधिक आबादी वाले सूबे में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं और जमीन पर जो माहौल बन रहा है उससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जिन्हें पीएम मोदी का उत्तराधिकारी भी समझा जाता है।
बासी में 72 वर्षीय साहब सिंह कहते हैं, ''हम मोदी और योगी को पूरा समर्थन देते हैं, लेकिन अब चाहे जो हो हम बीजेपी को बाहर करेंगे।'' हाल ही में संपन्न स्थानीय चुनाव में कई चुनाव कर्मी संक्रमित हो गए। 59 वर्षीय कुमरसैन नाइन और 31 वर्षीय उनका बेटा संक्रमित हो गए। उनके दूसरे बेटे प्रवीण कुमार ने बताया कि सांस में तकलीफ के बाद नाइन परिवार उन्हें पास के अस्पताल में ले गया, लेकिन उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट वाला एंबुलेंस नहीं मिला।
प्रवीण ने कहा, ''जब हम अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने कहा कि हमारे पिता की मौत हो चुकी है। लेकिन मौत का कारण कोविड-19 लिखने की बजाय उन्होंने हार्ट अटैक से मौत बताया। डॉक्टर ने हमें कहा कि मौत हो चुकी है, इसलिए अब यह जांचने की कोई जरूरत नहीं है कि वह पॉजिटिव थे या नहीं।'' कुछ देर बाद ही यहां से करीब 30 मिनट की दूरी पर एक अन्य क्लीनिक में भर्ती उनके भाई की भी मौत हो गई। यहां भर्ती अन्य छह मरीजों की भी मौत हो गई। कुमार ने कहा, ''मुझे शंका है कि अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गया था और इस वजह से मौतें हुईं। वह यह भी कहते हैं कि यह जानते हुए कि कोरोना केस बढ़ रहे हैं, चुनाव कराना एक आपराधिक काम था।
प्रधानमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार किया। पीएम मोदी ने 14 मई को कई मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के बाद कहा, ''मैं कोरोना को लेकर आप लोगों को सतर्क करना चाहता हूं। संक्रमण गांवों में तेजी से फैल रहा है।''
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