जानिए किस महान क्रिकेटर की माँ की आँखों से छलके आंसू

भारत को 2011 का वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने इसकी घोषणा की। इस दौरान युवराज भावुक भी हो गए। उनकी माँ तो इस मौके पर रो पड़ी।

जानिए किस महान क्रिकेटर की माँ की आँखों से छलके आंसू
Pic of Crickter Yuvraj Singh
जानिए किस महान क्रिकेटर की माँ की आँखों से छलके आंसू
जानिए किस महान क्रिकेटर की माँ की आँखों से छलके आंसू
जानिए किस महान क्रिकेटर की माँ की आँखों से छलके आंसू

देश एक ओर जहां क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को मिली लगातार दूसरी जीत का जश्न मना रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ी युवराज सिंह के संन्यास से लोग परेशान हैं। युवराज के चाहनेवालों में मायूसी है। उनके फैन्स का मानना है कि उन्हे क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास नहीं लेना चाहिए था, युवराज में भी काफी क्रिकेट बचा था और वो टीम इंडिया के लिए आगे भी खेल सकते थे। 

दरअसल, भारत को 2011 का वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। मुंबई में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने इसकी घोषणा की। इस दौरान युवराज भावुक भी हो गए। उनकी माँ तो इस मौके पर रो पड़ी। 

2011 वर्ल्ड कप में निभाई अहम भूमिका 

आपको बताते चलें कि युवराज सिंह ने 2011 के वर्ल्ड कप में अहम भूमिका निभाई थी। युवराज ने 9 मैच में 90.50 के औसत से 362 रन और 15 विकेट लिए थे। वे उस वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द सीरीज भी चुने गए थे। 2011 वर्ल्ड कप के दौरान युवराज कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि, उन्होंने किसी को इस बात का पता नहीं चलने दिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल से पहले डॉक्टरों ने उनको नहीं खेलने की सलाह दी थी, लेकिन वे न सिर्फ मैदान में उतरे, बल्कि भारत की जीत के हीरो भी रहे। उन्होंने उस मैच में 57 रन की शानदार पारी खेली थी।

युवराज ने के 17 शतक बनाए

युवराज सिंह ने 40 टेस्ट की 62 पारियों में 33.92 के औसत से 1900 रन बनाए हैं। इसमें 3 शतक और 11 अर्धशतक भी शामिल हैं। उन्होंने 304 वनडे की 278 पारियों में 36.55 के औसत से 8701 रन बनाए। उन्होंने वनडे इंटरनेशनल में 14 शतक और 52 अर्धशतक लगाए हैं। युवराज सिंह ने 58 टी-20 इंटरनेशनल भी खेले,जिसमें 28.02 के औसत से 1177 रन बनाए। उन्होंने टेस्ट में 9, वनडे में 111 और टी-20 इंटरनेशनल में 28 विकेट भी लिए हैं।

वर्ल्ड कप जीतना युवराज का था सपना

संन्यास का ऐलान करते हुए युवराज सिंह ने कहा कि वो बचपन से ही अपने पिता के नक्शेकदम पर चले और देश के लिए खेलने के उनके सपने का पीछा किया। उनके फैन्स जिन्होंने हमेशा उनका समर्थन किया, वो उनका शुक्रिया अदा करना चाहते हें। उन्होंने कहा कि उनके लिए 2011 वर्ल्ड कप जीतना, मैन ऑफ द सीरीज मिलना सपने की तरह था। इसके बाद उन्हें कैंसर हो गया। यह आसमान से जमीन पर आने जैसा था। उस वक्त उनका परिवार और उनके मेरे फैन्स उनके साथ थे।

कभी सोचा नहीं था कि देश के लिए खेलूंगा - युवराज

पत्रकारों से बातचीत में युवराज सिंह ने कहा कि एक क्रिकेटर के तौर पर सफर शुरू करते वक्त मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी भारत के लिए खेलूंगा। लाहौर में 2004 में मैने पहला शतक लगाया था। टी-20 वर्ल्ड कप में 6 गेंदों में 6 छक्के लगाना भी यादगार था। 2014 में टी-20 फाइनल मेरे जीवन का सबसे खराब मैच था। तब मैंने सोच लिया था कि मेरा क्रिकेट करियर खत्म हो गया है। तब मैं थोड़ा रुका और सोचा कि क्रिकेट खेलना शुरू क्यों किया था।

छक्का लगाकर की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वापसी 

युवराज ने कहा कि डेढ़ साल बाद मैंने टी-20 में वापसी की। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी ओवर में छक्का लगाया। 3 साल बाद मैंने वनडे में वापसी की। 2017 में कटक में मैंने 150 रन बनाए, जो मेरे करियर का सबसे बड़ा वनडे स्कोर है। मैंने हमेशा खुद पर भरोसा रखा। कोई मायने नहीं रखता कि दुनिया क्या कहती है।

न मौके मिल रहे थे न सफलता - युवराज

युवराज सिंह ने कहा कि सौरव गांगुली की कप्तानी में करियर शुरू किया था। सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले और जावगल श्रीनाथ जैसे लीजेंड के साथ खेला। जहीर खान, बीरेंदर सहवाग, गौतम गंभीर और हरभजन सिंह जैसे मैच विनर्स के साथ खेला। संन्यास के फैसले पर युवराज ने कहा कि सफलता भी नहीं मिल रही थी और मौके भी नहीं मिल रहे थे। 2000 में करियर शुरू हुआ था और 19 साल हो गए थे। उलझन थी कि करियर कैसे खत्म करना है। सोचा कि पिछला टी-20 जो जीते हैं, उसके साथ खत्म करता तो अच्छा होता, लेकिन सबकुछ सोचा हुआ नहीं होता। जीवन में एक वक्त आता है कि वह तय कर लेता है कि अब किधर जाना है।

10 हजार रन बनाने के बारे में नहीं सोचा था - युवराज

संन्यास के मौक् पर युवराज सिंह ने कहा कि उनके करियर का सबसे बड़ा लम्हा 2011 वर्ल्ड कप जीतना था। जब उन्होंने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाए थे, तब वह करियर का बड़ा मोड़ था। इसके बाद कई मैच में फेल हुए, लेकिन बार-बार मौके मिले। उन्होंने कभी 10 हजार रन बनाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन वर्ल्ड कप जीतना खास था। मैन ऑफ द सीरीज रहना, 10 हजार रन बनाना, इससे ज्यादा खास था वर्ल्ड कप जीतना। यह केवल उनका नहीं, बल्कि पूरी टीम का सपना था।

संन्यास से पहले मां-पत्नी से भी की बात

युवराज ने कहा कि मैं 2 साल से संन्यास पर मां और पत्नी से बात कर रहा था। पिता ने कहा कि जब कपिल देव को वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया होगा, तो उन्होंने क्या सोचा होगा, लेकिन जब तुमने वर्ल्ड कप जीता था, तब वे कितने खुश हुए होंगे। मेरे पिता को मेरे संन्यास लेने के फैसले पर कोई परेशानी नहीं हुई।