मनोवांछित वर,श्रेष्ठ संतान तथा अखंड सौभाग्य का व्रत है 'हरियाली तीज'
सावन के महीने में पड़ने वाली तीज को हरियाली तीज कहा जाता है। हरियाली तीज दिनांक 3 अगस्त दिन शनिवार को प्रारम्भ हो रही है। इसका शुभ मुहूर्त शनिवार दोपहर 03:37 से रात 10:21 बजे तक का है। इस शुभ मुहूर्त में महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकती हैं।
कुंवारी कन्याओं और सुहागिन महिलाओं के जीवन में हरियाली जीत का अत्यंत गहन महत्व है। महिलाओं के जीवन में महत्पूर्ण स्थान रखने वाला यह व्रत कल यानी शनिवार को देशभर में मनाया जा रहा है। अखंड सौभाग्य का पर्व हरियाली तीज पूरी श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनायी जाएगी। इसकी तैयारियां कुछ दिनों पहले से ही शुरु हो चुकी हैं। तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार सुहागिनों का मुख्य त्योहार है। इसमें वर्ती महिलाएं दिनभर का निर्जला उपवास करती हैं और सूर्यास्त के उपरांत पति की लंबी आयु की कामना के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की संपूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
सावन के महीने में पड़ने वाली तीज को हरियाली तीज कहा जाता है। हरियाली तीज दिनांक 3 अगस्त दिन शनिवार को प्रारम्भ हो रही है। इसका शुभ मुहूर्त शनिवार दोपहर 03:37 से रात 10:21 बजे तक का है। इस शुभ मुहूर्त में महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकती हैं। पूजा के दौरान सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार करती हैं। इस दिन लड़कियां अपने हाथों पर महेंदी लगाती है, हाथों में हरी-हरी चूड़ियां पहनती है और नई साड़ी और नए सूट पहनकर मेले में जाती हैं। इस दिन महिलाएं झूला भी झूलने जाती है।
कठिन परंतु सर्वफलदायी है ‘हरियाली तीज’
हरियाली तीज सुहागिनों का सबसे कठिन व्रत होता है। इस व्रत में निद्रा का पूर्णतः निषेध रहता है। तीज की सुबह माताएं-बहनें नदी या सरोवर में स्नान करती हैं। हाथ में दूब लेकर 108 बार डुबकी लगाती हैं। तत्पश्चात् शिव-पार्वती की प्रतिमाओं की विल्ब पत्र, दूब, दूध, बेर,धतूरा, पुष्प आदि से पूजन करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आरती एवं संकीर्तन किया जाता है। माँ पार्वती की शिव को वर रूप में पाने के लिए की गई तपस्या की कथा का श्रवण किया जाता है।
श्रेष्ठ संतान, सुख और सौभाग्य की होती है पूर्ती
तीज व्रत इच्छित वर की प्राप्ति, श्रेष्ठ संतान, सुख और सौभाग्य की कामना से किया जाता है। माताएं-बहनें अन्न-जल का त्याग कर शिव-पार्वती का विधिवत पूजन करती हैं। रात्रि में जागरण करती हैं। सुहागिनें स्वयं भी श्रृंगार करती हैं और माता पार्वती को भी सोलह श्रृगांर अर्पित करती हैं। रात्रि जागरण के पश्चात ब्रह्म मुहूर्त में शिव-पार्वती की प्रतिमाओं को विधिवत नदी-तालाब में विसर्जन किया जाता है।
हरियाली तीज के व्रत का नियम
महिलाओं को व्रत रखने के दौरान जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्रत करते समय किसी का भी बुरा नहीं सोचना चाहिए। व्रत करने वाली महिला को पति से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिये। नहीं तो व्रत अधूरा रह जाता है। अगर आप इस व्रत को रख रही हैं, तो किसी बुजुर्ग का अपमान न करें। व्रत में सोना नहीं चाहिये। यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है। रात के वक्त भजन-कीर्तन किया जाता है।
सभी मनोकामनाओं की होती है पूर्ति
हरियाली तीज के दिन सुबह ही स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद पूजा घर साफ करना चाहिए। उसके बाद गंगा जल से घर का शुद्धिकरण करना चाहिए। सुहागन स्त्रियों को स्नान करने के बाद पूरे 16 श्रृंगार करने चाहिए। कहते हैं इस दिन सुहागन महिलाएं अगर 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे मन से पूजा करे,तो भगवान शिव और माता पार्वती उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाओं के मायके से मिठाइयां तथा श्रृंगार का सामान भी आता है।
ऐसे करें हरियाली तीज की पूजा
पूजा करने के लिए महिलाएं सबसे पहले किसी मंदिर या खुले स्थान पर एकत्रित होकर मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाती हैं। इसके बाद अर्धगोले का आकार बनाकर मां की मूर्ति बीच में रख कर पूजा की जाती है। व्रतियों में से ही एक महिला सभी को कथा सुनाती है। जिसके बाद महिलाएं मां पार्वती से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। उसके बाद सुहागिन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं।
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