बुजुर्गों की सेवा से बरसेगी श्री शनिदेव की अनुकंपा
श्री शनिदेव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है। जिस घर में माता-पिता और वृद्धजनों का सम्मान होता है,उस घर से श्री शनिदेव प्रसन्न होते हैं। जबकि जिस घर में वृद्धजनों का अपमान होता है, उस घर से श्री शनिदेव रुष्ठ हो जाते हैं। उस घर से खुशहाली दूर भागती है।
नवग्रहों में श्री शनिदेव को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। स्वयं महादेव ने शनिदेव को संसार का सर्वोच्च न्यायाधीश नियुक्त किया है। अतः श्री शनिदेव न्याय के देवता हैं। मनुष्य तो मनुष्य देवताओं को भी शनिदेव की न्याय प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। यही कारण है कि श्री शनिदेव की महिमा वेदों, पुराणों में भी गाई गई है। श्री शनिदेव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है। जिस घर में माता-पिता और वृद्धजनों का सम्मान होता है,उस घर से श्री शनिदेव प्रसन्न होते हैं। जबकि जिस घर में वृद्धजनों का अपमान होता है, उस घर से श्री शनिदेव रुष्ठ हो जाते हैं। उस घर से खुशहाली दूर भागती है। वास्तव में कोई व्यक्ति जैसे-जैसे वृद्ध होता है,उसे भूख कम लगने लगती है। नींद कम आती है। वह सांसारीक मोह-माया से दूर हो जाता है। उसमें लोक कल्याण की भावना जाग्रत हो जाती है। और ये सभी गुण देवताओं के हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि वृद्ध अवस्था में व्यक्ति देवत्व को प्राप्त करता है। अतः देवाधिदेव श्री शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए वृद्धजनों की सेवा सर्वोपरि है। माता-पिता का सम्मान करो। बुजुर्गों की सेवा करो। धर्मानुकूल आचरण करो और अपने राष्ट्र के प्रति वफादार रहो। श्री शनिदेव सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे। श्री शनिदेव को दरिद्र नारायण भी कहते हैं। अतः दरिद्रों, गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने से भी वे प्रसन्न होते हैं। असाध्यों, निशक्तों और असहायों की मदद करने वालों पर श्री शनिदेव की विशेष कृपा होती है। श्री शनिदेव को काला रंग, काला कपड़ा, काला चना, काला उड़द, नारियल और गुड़ बहुत प्रिय है। इसलिए शनिवार, शनि अमावस्या और शनि जयंती के पावन पर्व पर श्री शनिदेव को ये सभी सामग्रियां अर्पित की जाती हैं। श्री शनिदेव की पूजा, उपासना और तेलाभिषेक करने के साथ शनि मंदिर में बैठकर 'ऊँ शं शनैश्चराय' जैसे मंत्रों का निरंतर जप करने से समस्त समस्याओं का शमन हो जाता है।
श्री शनिदेव, भगवान शिव, भगवान विष्णु और श्री हनुमान की पूजा-उपासना करने, शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, श्रीहनुमान बाहुक और हनुमान चालीसा का पाठ करने से समस्त कष्टों, क्लेशों एवं व्याधियों से मुक्ति मिलती है और शनिभक्तों को सर्वसिद्धियों की प्राप्ति होती है। श्री शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि संबंधी कथा का पाठ करना और पीपल पेड़ के पास दीपक प्रज्जवलित करना लाभप्रद होता है। संपूर्ण शास्त्रोक्त विधि से श्री शनिदेव का व्रत और अनुष्ठान करने से भक्तों पर श्री शनिदेव की अपार कृपा होती है।
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