महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका,शिवसेना कोटे से राज्यमंत्री अब्दुल सत्तार ने दिया इस्तीफा, कैबिनेट मंत्री नहीं बनाये जाने हैं नाराज
अब्दुल सत्तार महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार के बाद से ही नाराज चल रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें राज्य मंत्री की शपथ दिलवा दी गई। इससे नाराज सत्तार ने मंत्री पद ही छोड़ दिया, हालांकि वह अब भी शिवसेना के विधायक हैं।
महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार में महज एक महीने बाद ही विधायकों और मंत्रियों की नाराजगी सामने आने लगी है। गठबंधन सरकार बने अभी कुछ दिन ही हुए हैं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उन्हीं की पार्टी के एक मंत्री ने जोर का झटका दे दिया है। औरंगाबाद से शिवसेना के विधायक और राज्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अब्दुल सत्तार ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, अभी तक शिवसेना की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
उद्धव ठाकरे सरकार में राज्य मंत्री के तौर पर शामिल किए गए अब्दुल सत्तार की मांग थी कि उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर का रैंक दिया जाए। अभी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सत्तार का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। माना जा रहा है कि उन्हें उनकी पसंद का मंत्रालय देकर मनाया जा सकता है।
बताया जा रहा है कि अब्दुल सत्तार महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार के बाद से ही नाराज चल रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें राज्य मंत्री की शपथ दिलवा दी गई। इससे नाराज सत्तार ने मंत्री पद ही छोड़ दिया, हालांकि वह अब भी शिवसेना के विधायक हैं।
ज्ञात हो कि अब्दुल सत्तार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना में शामिल हुए थे। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान सत्तार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया था। कांग्रेस ने जालना और औरंगाबाद में जिन लोगों को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया था,उनसे सत्तार नाखुश थे। उन्होंने औरंगाबाद लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार हर्षवर्धन जाधव को अपना समर्थन दिया था। इसके बाद तब सिल्लोड विधानसभा सीट से विधायक और पूर्व मंत्री अब्दुल सत्तार को कांग्रेस ने पार्टी से निकाल दिया था।
दरअसल, मराठवाड़ा में औरंगाबाद के जमीनी नेता के रूप में अब्दुल सत्तार की पहचान रही है। इन दिनों महाराष्ट्र में जिला परिषद के चुनाव हो रहे हैं और जिला परिषद अध्यक्ष पद पर अब्दुल सत्तार अपने उम्मीदवार को जिताना चाहते हैं। हालांकि, महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल शिवसेना, एनसीपी और काग्रेंस में सहमति बनी है कि जिला परिषद अध्यक्ष का पद कांग्रेस को दिया जाए। सत्तार अघाड़ी के इस फैसले से भी नाराज बताए जाते हैं।
वास्तव में सत्तार नहीं चाहते कि औरंगाबाद में कोई कांग्रेसी जिला परिषद का अध्यक्ष बने। औरंगाबाद जिला परिषद में शिवसेना के पास इतना संख्या बल है कि वह अपना अध्यक्ष बना सकती है। खबर है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मराठवाड़ा के बड़े नेता अर्जुन खोतकर को अब्दुल सत्तार को मनाने के लिए भेजा है।
इस बीच महाराष्ट्र् में उद्धव ठाकरे सरकार के शपथ लेने के बाद भी मंत्रियों के विभागों के बंटवारे का मामला सुलझता नहीं दिख रहा है। मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर एनसीपी और कांग्रेस में ठन गई है। एनसीपी और शिवसेना अपने कोटे से एक भी मंत्री पद कांग्रेस से अदला-बदली करने के लिए तैयार नहीं है। एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के बीच जारी विवाद के कारण दोनों दलों के नेता बैठक बीच में ही छोड़कर चलते बने। यहां तक कि एक अशोक चव्हाण और अजित पवार के बीच काफी बहस भी हुई। इस पर अजित पवार बड़बड़ाते हुए बैठक से बाहर निकल गए।
आपको बताते चलें कि शिवसेना के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता संजय राउत भी नाराज चल रहे हैं। वह अपने भाई सुनील राउत को महाराष्ट्र कैबिनेट में शामिल करवाना चाहते थे,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राउत शायद इसी वजह से नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे। कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनवाने में संजय राउत की अहम भूमिका रही है।
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