अब ठेले और रेहड़ीवालों के भी आने वाले हैं अच्छे दिन, मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम
केंद्रीय कैबिनेट की पिछली बैठक में केंद्र सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण कराने का जो फैसला लिया था, वो अगले 6 महीनों में पूरा हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, पांच सालों में होने वाला आर्थिक सर्वेक्षण अब हर तीन सालों पर किया जाएगा।
क्या ठेले और रेहड़ीवालों दिन अब बहुरने वाले हैं? क्या अब उनकी आर्थिक तंगी खत्म होने वाली है? क्या केंद्र सरकार की ओर से उन्हें कोई तोहफा मिलने वाला है? क्या स्वरोजगार करनेवालों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार कोई नई योजना ला रही है? जी हां, ये सब कुछ होने वाला है। नरेंद्र मोदी सरकार-2.0 ने देशव्यापी आर्थिक सर्वेक्षण कराने का फैसला जो लिया है, उससे ये सब होने वाला है।
अभी तक रोजगार को लेकर जो देशव्यापी स्थिति स्पष्ट नहीं थी, वह सरकार के इस निर्णय से असमंजस की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट की पिछली बैठक में केंद्र सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण कराने का जो फैसला लिया था, वो अगले 6 महीनों में पूरा हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, पांच सालों में होने वाला आर्थिक सर्वेक्षण अब हर तीन सालों पर किया जाएगा।
वैसे तो यह सातवां आर्थिक सर्वेक्षण होगा, लेकिन यह सर्वेक्षण अपने आप में अनूठा होगा। क्योंकि पहली बार स्वरोजगार, चाहे वो किसी भी रूप में हो, उसकी गणना की जाएगी और पूरे देश के सामने पेश किया जाएगा। रोजगार को लेकर अमूमन हर सरकार विपक्ष के निशाने पर रहा है। नरेंद्र मोदी की पहली सरकार भी इससे अछूता नहीं रही। इसीलिय मोदी सरकार-2.0 ने इसको लेकर हो रही सियासत को खत्म करने का फैसला लिया है। अब हर उस शख्स की आर्थिक गणना होगी, जो अपने पैर पर खड़ा है।
अभी तक सरकारी नौकरी को ही रोजगार मानने वाले को पता चल जाएगा कि देश में रोजगार की स्थिति क्या है। साथ ही सरकार के पास भी पुख्ता डाटा आ जाएगा कि देश में कौन और कितने लोग बेरोजगार हैं। इसके लिए राज्यों से भी डाटा मांगा गया है। आर्थिक सर्वेक्षण को बिल्कुल जनसंख्या गणना की तरह पूरा किया जाएगा।
अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने पकड़ी रफ्तार
लगभग 12 लाख से सर्वेक्षणकर्ताओं को ट्रेनिंग देकर इस सर्वेक्षण के लिए तैयार कर लिया गया है। उनको इसके लिए एक परफोर्मा दिया जाएगा। उसके आधार पर डाटा तैयार कर रोजगार की सही स्थिति के बारे में पता चल पाएगा। उन सर्वेक्षणकर्ताओं की रिपोर्ट को NSSO के अधिकारी आकलन करेंगे। इसमें राज्य सरकार और MSME के अधिकारियों की भी सहायता ली जाएगी।
चालू वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ रेट 7.1 फीसदी रहने का अनुमान : FICCI
जानकारों के मुताबिक इस आर्थिक सर्वेक्षण से अनाज का उत्पादन, वृक्षारोपण, रक्षा, लोक प्रशासन और आवश्यक सामाजिक सुरक्षा सेवा बाहर रखा गया है। इसके लिए हाल ही में दिल्ली में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे। इसी तरह के कार्यक्रम पूरे देश में 6000 जगहों पर हुआ। महत्वपूर्ण बात है कि इस सर्वेक्षण में तकनीक का भरपूर उपयोग किया जाएगा। आपको बता दें कि देश में अभी तक 6 बार आर्थिक सर्वेक्षण और गणना हो चुकी है।
Comments (0)