असम में NRC की जारी आखिरी सूची जारी, 19 लाख से अधिक लोगों को नहीं मिली जगह
देश के पूर्वोत्तर राज्य असम में नेशनल सिटिज़न रजिस्टर यानी एनआरसी की आखिरी सूची जारी हो चुकी है। इस सूची में कुल 3,11,21,004 (तीन करोड़ ग्यारह लाख इक्कीस हजार और चार) लोगों को शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 (उन्नीस लाख छह हजार छह सौ सत्तावन) लोगों के नाम शामिल नहीं हैं
देश के पूर्वोत्तर राज्य असम में नेशनल सिटिज़न रजिस्टर यानी एनआरसी की आखिरी सूची जारी हो चुकी है। इस सूची में कुल 3,11,21,004 (तीन करोड़ ग्यारह लाख इक्कीस हजार और चार) लोगों को शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 (उन्नीस लाख छह हजार छह सौ सत्तावन) लोगों के नाम शामिल नहीं हैं। एनआरसी की सूची जारी होने के वाह से पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। गुवाहाटी सहित संवेदनशील स्थानों पर धारा 144 लागू कर दी गई है। राज्य पुलिस बलों के अलावा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त बलों की 218 कंपनियों को भी तैनात की गई हैं।
स्टेट कोऑर्डिनेटर ने क्या कहा?
एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 19 लाख 6 हजार 657 लोगों में ऐसे लोग भी शामिल हैं,जिन्होंने कोई दावा पेश नहीं किया था। 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को वैध करार दिया गया है। अगर कोई लिस्ट से सहमत नहीं है, तो वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। पिछले साल 21 जुलाई को जारी की गयी सूची में 3.29 करोड़ लोगों में से 40.37 लाख लोगों का नाम नहीं शामिल था। अंतिम सूची में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं। आवेदन रसीद संख्या (ARN) का इस्तेमाल कर लोग अपना नाम ऑनलाइन देख सकते हैं।
लाखों लोगों के भविष्य का होगा फैसला
आपको बताते चलें कि एनआरसी सूची से लाखों लोगों के भाग्य का फैसला होगा। क्योंकि सूची असम में रहने वाले उन नागरिकों को अलग कर देगी जिन्होंने 1971 के बाद बांग्लादेश से अवैध रूप से राज्य में प्रवेश किया था। गृह मंत्रालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि एनआरसी में किसी व्यक्ति का नाम शामिल न करने से उसे 'विदेशी' घोषित नहीं किया जाएगा।
CM ने की है शांति की अपील
प्रदेश के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस कदम के दूरगामी निहितार्थों को ध्यान में रखते हुए राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया है। सोनोवाल ने कहा है कि जिन लोगों के नाम प्रस्तावित एनआरसी से बाहर रखे गए हैं, उन्हें अपील दायर करने का मौका मिलेगा और विदेशी ट्रिब्यूनल में सुना जाएगा।
SC ने बढ़ाई थी प्रकाशन की समय सीमा
गौरतलब है कि 30 जुलाई 2018 को जब एनआरसी का मसौदा जारी किया गया था, तब इसमें से 40.7 लाख लोगों को बाहर करने पर भारी विवाद हुआ था। एनआरसी के मसौदे में कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 2.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एनआरसी के अंतिम प्रकाशन की समय सीमा को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया था।
क्या है NRC?
वास्तव में एनआरसी से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है। इसके हिसाब से 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है। एनआरसी भारतीय नागरिकों के नाम वाला एक रजिस्टर है, जिसे 1951 में ही तैयार किया गया था। असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है।
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