जानिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व समुदाय से क्या किया आह्वान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को अप्रत्यक्ष रूप से आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आतंकवादियों को किसी भी तरीके से धन और हथियार नहीं मिलने देने चाहिए। इस मकसद को पूरा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र लिस्टिंग और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जैसे मशीनीकरण के राजनीतिकरण से बचा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बहुपक्षीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को संस्थागत रूप देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत मित्र देशों के क्षमता निर्माण और पहले से जारी सहयोग को बढ़ाने के लिए काम करेगा।
दुनिया में कहीं भी होने वाले आतंकवादी हमले को बड़ा या छोटा या फिर अच्छा या बुरा नहीं माना जाना चाहिए। आतंकवादी हमले को आतंकवादी कार्रवाई ही माना जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को न्यूयार्क में आतंकवाद और हिंसक कट्टरपंथी विमर्श पर रणनीतिक प्रतिक्रिया से संबंधित नेतृत्व वार्ता को संबोधित करते हुए ये बातें कही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को अप्रत्यक्ष रूप से आड़े हाथों लिया और कहा कि आतंकवादियों को किसी भी तरीके से धन और हथियार नहीं मिलने देने चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मकसद को पूरा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र लिस्टिंग और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जैसे मशीनीकरण के राजनीतिकरण से बचा जाना चाहिए।
74वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से अलग वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री ने बहुपक्षीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को संस्थागत रूप देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत मित्र देशों के क्षमता निर्माण और पहले से जारी सहयोग को बढ़ाने की खातिर काम करेगा।
बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) ए गितेश शर्मा ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि आतंकवादियों को पैसा और हथियार हासिल नहीं होने दिए जाएं। मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची और वित्तीय कार्य योजना बल (एफएटीएफ) जैसी प्रणालियों का राजनीतिकरण नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन प्रणालियों को लागू करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाले आतंकवादी हमले को '' आतंकवाद ही माना जाना चाहिए, इसे 'बड़ा या छोटा अथवा 'अच्छा या बुरा नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और क्षेत्रीय ढांचे के जरिए खुफिया जानकारी साझा करने की प्रक्रिया और जारी सहयोग में 'गुणात्मक सुधार की जरूरत है।
भारत के अनुभव को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों, विविधता और समावेशी विकास, आतंकवाद, कट्टरपंथ और अतिवाद को बढ़ावा देने वाली विचारधाराओं के खिलाफ बेहद अहम हथियार हैं। मोदी ने कहा कि जिस तरह दुनिया ने जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई है उसी तरह आतंकवाद के खिलाफ भी वैश्विक एकता और इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए।
बैठक में आतंकवाद तथा हिंसक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाली ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री को खत्म करने के लिए 'क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन के बारे में भी चर्चा हुई। भारत ने भी आतंकवाद, घृणा और हिंसा को बढ़ावा देने वाली सामग्री से साइबर स्पेस को मुक्त करने से जुड़े 'क्राइस्ट चर्च कॉल का समर्थन किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने क्राइस्ट चर्च कॉल का समर्थन करने पर भारत की प्रशंसा की और कहा कि भारत के समर्थन से यह संपूर्ण पहल एक नए स्तर पर पहुंच गई है।
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