Corona Effect : जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी तीन महीने और बढ़ी,NC नेता अली मोहम्मद सागर और PDP नेता सरताज मदनी भी हिरासत में रहेंगे
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष को कम से कम तीन महीना और हिरासत में ही रहना होगा। जन सुरक्षा कानून यानी पीएसए के तहत उनकी हिरासत में रखने की अवधि को तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष को कम से कम तीन महीना और हिरासत में ही रहना होगा। जन सुरक्षा कानून यानी पीएसए के तहत उनकी हिरासत में रखने की अवधि को तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
महबूबा मुफ्ती के साथ ही पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता और मुफ्ती के रिश्तेदार सरताज मदनी की हिरासत को भी तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने को अविश्वसनीय रुप से क्रूर और पीछे की ओर धकेलने वाला फैसला बताया है।
ज्ञात हो कि कोरोना संकट को देखते हुए महबूबा मुफ्ती को अस्थायी जेल से उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया है,लेकिन हिरासत से राहत नहीं मिली है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले से पहले उन्हें हिरासत में लिया गया था। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने निष्प्रभावी कर दिया था।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से पहले राज्य के सैकड़ों नेताओं को हिरासत में लिया गया था। हालात सामान्य होने के साथ अधिकतर लोगों को रिहा किया जा चुका है। उनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं। इन दोनों के ऊपर भी पीएसए लगाया गया था,जिसे वापस ले लिया गया गया है।
फारूक और उमर अब्दु्ल्ला ने महबूबा मुफ्ती सहित नजरबंद सभी नेताओं को रिहा करने की अपील की थी। लेकिन महबूबा को अभी कम से कम तीन महीने तक हिरासत में रखने का निर्णय लिया गया है। महबूबा मुफ्ती बीजेपी के साथ राज्य में गठबंधन सरकार भी चला चुकी हैं। वह अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर कई बार गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुकी थीं।
आपको बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर में 1978 में अस्तित्व में आए जन सुरक्षा कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल के ही 6 महीने जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार इस अवधि को 2 साल तक बढ़ा सकती है। दरअसल,इसमें दो प्रावधान हैं। पहला लोक व्यवस्था और दूसरा राज्य की सुरक्षा को खतरा। पहले प्रावधान के तहत किसी को बिना मुकदमा छह महीने और दूसरे प्रावधान के तहत दो साल तक जेल में रखा जा सकता है।
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