ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आएंगे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग? जानिए अटकलों में कितना है दम
2006 में समूह के गठन के बाद से भारत ने तीसरी बार अध्यक्षता संभाली है। भारत को तीसरी बार यह मौका ऐसे समय पर मिला है जब नई दिल्ली और बीजिंग का रिश्ता बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहा है। पिछले 9 महीने से सीमा पर दोनों देशों के सैनिक टकराव की पोजिशन में हैं। हालांकि, हाल ही में लद्दाख के पैंगोंग झील के किनारे से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे हैं और इसके बाद अन्य जगहों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए बातचीत चल रही है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आने की संभावनाओं पर फिलहाल साउथ ब्लॉक का कहना है कि सम्मेलन के लिए ना तो अभी तक तारीख तय है और ना ही अभी यह फाइनल है कि फॉर्मेट क्या होगा, क्योंकि महामारी से अभी राहत मिलती नहीं दिख रही है।
शी के संभावित दौरे को लेकर चर्चा उस समय शुरू हो गई जब चीनी प्रवक्ता ने सोमवार को भारत के साथ रिश्ते पर सकारात्मक टिप्पणी की तो भारत की मेजबानी का भी समर्थन किया। हालांकि, प्रवक्ता ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या शी नई दिल्ली जाएंगे। गौरतलब है कि BRICS समूह में भारत और चीन के अलावा रूस, ब्राजील और साउथ अफ्रीका हैं।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि अभी कुछ कहना काफी जल्दबाजी होगी। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''ब्रिक्स सम्मेलन की तारीफ अभी तय नहीं है। एक बार जब भारत की ओर से डेट और फॉर्मेट (वर्चुअल या फिजिकल) तय कर लिया जाता है तब रूस, चीन, साउथ अफ्रीका और ब्राजील के साथ विचार-विमर्श होगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अभी वैश्विक महामारी की वजह से देश से बाहर की यात्रा नहीं कर रहे हैं।
मॉस्को में मौजूद डिप्लोमैट्स ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने रूसी वार्ताकारों के साथ बातचीत में ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर तारीख का जिक्र नहीं किया है। एक सीनियर डिप्लोमैट ने कहा, ''महामारी की वजह से वार्षिक भारत-रूस सम्मेलन की तारीख भी तय नहीं है।'' भारत ने 1 जनवरी 2021 से ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली है। पिछला ब्रिक्स सम्मेलन नवंबर 2020 में वर्चुअल हुआ था।
2006 में समूह के गठन के बाद से भारत ने तीसरी बार अध्यक्षता संभाली है। भारत को तीसरी बार यह मौका ऐसे समय पर मिला है जब नई दिल्ली और बीजिंग का रिश्ता बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहा है। पिछले 9 महीने से सीमा पर दोनों देशों के सैनिक टकराव की पोजिशन में हैं। हालांकि, हाल ही में लद्दाख के पैंगोंग झील के किनारे से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे हैं और इसके बाद अन्य जगहों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए बातचीत चल रही है।
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