क्या अब पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में बनेगी बीजेपी की सरकार?
पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम से बड़ा सियासी उलटफेर सामने आया है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को छोड़कर सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के सभी विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 10 विधायकों ने मंगलवार को बीजेपी का दामन थाम लिया।
भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में भी बड़ा उलटफेर करते हुए सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के सभी 14 विधायकों को अपने पाले में कर लिया है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को छोड़कर उनकी पार्टी एसडीएफ के सभी विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। मंगलवार को 10 विधायकों ने दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी महासचिव राम माधव भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि इसी साल मई तक राज्य में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ही सत्तासीन था और पार्टी के पिछले 25 वर्ष के शासनकाल में पवन चामलिंग ही मुख्यमंत्री रहे। देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद संभालने वाले राजनेताओं में शुमार पवन चामलिंग की पार्टी इसी साल लोकसभा चुनाव के साथ कराए गए विधानसभा चुनाव में 32 सीटों वाले राज्य में बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी और 15 विधायकों के साथ विपक्ष में बैठी थी। चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीटें हासिल हुई थीं और प्रेम सिंह तमांग मुख्यमंत्री बने थे।
तमांग ने चुनाव आयोग लगाई थी गुहार
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने चुनाव आयोग से उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराये जाने को माफ करने का अनुरोध किया था। तमांग के सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने हाल के सिक्किम विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी और उन्होंने 27 मई को मुख्यमंत्री की कमान संभाली थी। हालांकि, वह चुनाव नहीं लड़ सकते। क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें अपने पद बने रहने के लिए मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के अंदर विधानसभा चुनाव लड़ना होगा।
जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 11 के इस्तेमाल का अनुरोध
तमांग ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव लड़ने के लिए उनकी अयोग्यता माफ करने के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून धारा 11 का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया है। उन्हें 1990 के दशक के भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया और वह 2017 से एक साल के लिए जेल में थे। उन्हें अगस्त 2018 को रिहा किया गया था। धारा 11 के तहत चुनाव आयोग किसी भी व्यक्ति के चुनाव लड़ने के लिए उसे अयोग्य ठहराए जाने संबंधी अवधि घटा सकता है या उसे खत्म कर सकता है।
चुनाव आयोग ने अभी नहीं लिया है कोई निर्णय
यह धारा कहती है, ‘‘ चुनाव आयोग उन कारणों के लिए जो दर्ज किए जाएंगे, इस अध्याय के तहत किसी को अयोग्य ठहराए जाने को खत्म कर सकता है या उसकी अवधि घटा सकता है।’’ जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत तमांग सात साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। उसमें कैद का एक साल और उसके बाद के छह साल हैं। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले पर विचार चल रहा है लेकिन अबतक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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