अब क्या करेगी शिवसेना? महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन, राज्यपाल की सिफारिश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज ही इसकी सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार शाम मंजूरी दे दी। राज्यपाल के कार्यालय द्वारा ट्वीट किए गए एक बयान के अनुसार, ''वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है।"अनुच्छेद 356 को जिसे आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह 'राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता' से संबंधित है।
महाराष्ट्र में आखिकार राष्ट्रपति शासन लग ही गया। प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी की शिफारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के इसकी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को स्वीकार करते हुए मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज ही इसकी सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार शाम मंजूरी दे दी। राज्यपाल के कार्यालय द्वारा ट्वीट किए गए एक बयान के अनुसार, ''वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है।"अनुच्छेद 356 को जिसे आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह 'राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता' से संबंधित है।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं, जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए दावा पेश करने के लिए मंगलवार शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया है। कोश्यारी ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन करने का दावा पेश करने के लिए अपनी इच्छा और सामर्थ्य का संकेत देने के लिए बुलाया था। उससे पहले 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी ने राज्य में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने का फैसला किया था। अब सवाल यह है कि शिवसेना क्या करेगी?
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