जानिए,महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट के दौरान प्रोटेम स्पीकर कैसे साबित हो सकते हैं गेमचेंजर और अजित पवार की क्या होगी भूमिका?
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर पिछले एक महीने से चल रहे सियासी नाटक का अब पटाक्षेप होने वाला है। सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद बुधवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट में सबसे अहम भूमिका प्रोटेम स्पीकर की होगी। प्रोटेम स्पीकर ही तय करेगा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी विधायक दल का नेता अजित पवार को माना जाए या फिर जयंत पाटिल को?
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर पिछले एक महीने से चल रहे सियासी नाटक का अब पटाक्षेप होने वाला है। सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद बुधवार को फ्लोर टेस्ट होने वाला है। फ्लोर टेस्ट के दौरान सबसे अहम भूमिका प्रोटेम स्पीकर की होगी। प्रोटेम स्पीकर ही तय करेगा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी विधायक दल का नेता अजित पवार को माना जाए या फिर जयंत पाटिल को?
कौन बनता है प्रोटेम स्पीकर?
दरअसल,किसी भी राज्य के राज्यपाल ही विधानसभा का सत्र बुलाते हैं। हालांकि,कर्नाटक जैसे कई उदाहरण हैं, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी फ्लोर टेस्ट कराया गया है। फ्लोर टेस्ट के लिए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होती है। इस प्रक्रिया के तहत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी प्रोटेम स्पीकर को चुनेंगे और उन्हें शपथ दिलाएंगे। परंपरा कहती है कि सदन के वरिष्ठतम सदस्य को इस पद के लिए चुना जाता है। लेकिन इसमें बदलाव भी होता रहा है। उदाहरण के लिए पिछली बार महाराष्ट्र में पीजेंट्स एंड वर्क्स पार्टी के गणपतराव देशमुख नौ बार के विधायक थे। लेकिन उनकी जगह सात बार के एमसीपी विधायक जीवा गवित ने नए विधायकों को प्रोटेम स्पीकर के नाते शपथ दिलाई। 2018 में कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी के केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई, जबकि कांग्रेस के आरवी देशपांडे उस समय वरिष्ठतम विधायक थे।
इस बार कौन हो सकता है प्रोटेम स्पीकर?
महाराष्ट्र के मौजूदा विधानसभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात सबसे वरिष्ठ हैं। वे आठवीं बार विधायक बने हैं। सियासी विवाद के केंद्र में मौजूद एनसीपी के बागी विधायक अजित पवार भी सात बार के विधायक हैं। चूंकि बीजेपी 105 विधायकों के साथ सदन में सबसे बड़ी पार्टी है,इसलिए छह-छह बार के विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल या हरिभाऊ बागाड़े के प्रोटेम स्पीकर बनने की संभावना ज्यादा नजर आ रही है। विधानसभा सचिवालय राज्यपाल को कुछ नामों की सिफारिश भेजेगा। इस पर राज्यपाल नाम तय करेंगे। हरिभाऊ बागाड़े पिछली विधानसभा में स्पीकर थे। नया स्पीकर चुने जाने तक प्रभार उनके पास रहेगा। इसलिए उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
अब क्या है अजित पवार की स्थिति?
सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश दे चुका है। बीजेपी का कहना है कि अजित पवार ही एनसीपी विधायक दल के नेता हैं, क्योंकि 30 अक्टूबर को एनसीपी की बैठक में उन्हें इस पद पर चुना गया था और चीफ व्हिप बनाया गया था। हालांकि, विधानसभा के सेक्रेटरी इन-चार्ज राजेंद्र भागवत का कहना है कि हमें एनसीपी से पत्र मिला है, जिसमें विधायक दल के नए नेता के चयन के बारे में सूचित किया गया है। लेकिन स्पीकर, जिसका प्रभार बीजेपी के हरिभाऊ बागाड़े के पास प्रभार है, को इस बारे में फैसला करना होगा। बताया जा हा है कि अजित पवार की जगह जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नेता माने जाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
आखिर किसका माना जाएगा व्हिप?
महाराष्ट्र मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि एनसीपी विधायक के दल के बागी नेता अजित पवार का व्हिप माना जाए या नहीं? प्रोटेम स्पीकर की इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वे एनसीपी के पत्र के मुताबिक जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नेता मान सकते हैं। वहीं, वे ये भी कह सकते हैं कि एनसीपी ने किसी बैठक में कम से कम 50 फीसदी विधायकों की लिखित मंजूरी के बिना अजित पवार की जगह जयंत पाटिल को अपना नेता चुना। इसलिए जयंत पाटिल का व्हिप मान्य नहीं होगा। संविधान विशेषज्ञ उल्हास बापट कहते हैं कि अगर एनसीपी ने अजित पवार को हटाकर जयंत पाटिल को नेता चुना है,तो विधानसभा में उनका पलड़ा ही भारी रहेगा। संविधान में किसी व्यक्ति विशेष से ज्यादा एक दल को महत्व दिया गया है।
क्या होगा यदि अजित पवार का व्हिप माना गया?
अगर अजित पवार का व्हिप माना गया, तो इसमें दो स्थितियां बन सकती हैं। पहली यह कि अजित पवार बीजेपी का समर्थन करने के लिए व्हिप जारी करें और एनसीपी विधायक क्रॉस वोटिंग कर दें, तो वे अयोग्य करार दिए जाएंगे। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा और बीजेपी की राह थोड़ी आसान हो सकती है। उदाहरण के लिए अजित पवार को छोड़कर एनसीपी के 53 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, तो उनके वोट अमान्य हो जाएंगे। बहुमत का आंकड़ा 119 रह जाएगा। बीजेपी और अजित पवार (106) को बहुमत के लिए 13 अन्य विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। अगर एनसीपी के विधायक वॉकआउट कर देते हैं तो भी बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा। दूसरी स्थिति में विधानसभा में यह बहस शुरु हो सकती है कि दो-तिहाई से ज्यादा विधायकों की क्रॉस वोटिंग को उस दल का बहुमत माना जाए। इसमें अंतिम फैसला स्पीकर का होगा।
जयंत पाटिल का व्हिप मान्य हुआ तो क्या होगा?
शिवसेना के 56, अजित पवार को छोड़कर एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। यह संख्या 153 होती है। 288 सदस्यीय विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान सभी विधायकों के हाजिर रहने पर बहुमत का आंकड़ा 145 रहेगा। इस स्थिति में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की जीत आसान होगी। वह 145 से भी 17 ज्यादा यानी 162 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है।
क्या सीएम, डिप्टी सीएम इस्तीफा दे सकते हैं?
देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद से तब तक इस्तीफा नहीं देंगे, जब तक कि वो फ्लोर टेस्ट में फेल नहीं हो जाते यानी वो विश्वास मत खो नहीं देते, क्योंकि अगर उन्हें इस्तीफा देना होता तो वे यह कदम उसी दिन उठा लेते, जिस दिन शरद पवार की बैठक में एनसीपी के ज्यादातर विधायक पहंच गए थे। फडणवीस फ्लोर टेस्ट का सामना करना चाहते हैं। यही वजह है कि अजित पवार भी अभी उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे।
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