बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन, आर्थिक सुधारों के लिए जाने जाएंगे जेटली
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर अंतिम सांसें ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 28 दिसंबर 1952 को जन्म लिए अरुण जेटली ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल से प्राप्त की,जबकि स्नातक की पढ़ाई श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से की। उसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और लंबे समय तक एक वकील के तौर पर किया।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर अंतिम सांसें ली। 66 वर्षीय अरुण जेटली पिछले कुछ समय से बीमार थे। अपनी खराब सेहत की वजह से उन्होंने सक्रिय राजनीति से खुद को दूर कर लिया था। हालांकि, फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य थे।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 28 दिसंबर 1952 को जन्म लिए अरुण जेटली ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के ही सेंट जेवियर्स स्कूल से प्राप्त की,जबकि स्नातक की पढ़ाई श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से की। उसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और लंबे समय तक एक वकील के तौर पर कियाष साल 1974 में वो दिल्ली विश्व विद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे।
अरुण जेटली ने 26 मई 2014 को वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उन्होंने खासतौर पर इकोनॉमी को लेकर कई बड़े फैसले किए। जेटली के सबसे बड़े सुधार में जीएसटी का नाम सबसे ऊपर आएगा। सालों से अटका ये आर्थिक सुधार आखिरकार नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के समय ही सच हो पाया।
जीएसटी को बनाने और उसे लागू करवाने में अरुण जेटली ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने संकट मोचन बनकर सभी राज्यों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का काम किया। दरअसल, जीएसटी काउंसिल का पदेन अध्यक्ष वित्त मंत्री ही होता है। जीएसटी से अभी हर महीने सरकार को 90 हजार करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपए का टैक्स आ रहा है।
देश में पेमेंट सेक्टर में डिजिटल पेमेंट क्रांति लाने में भी अरुण जेटली ने बड़ी भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में ही यूपीआई पेमेंट और रुपे कार्ड को नई दिशा दी गई, जिससे डिजिटल पेमेंट में एक क्रांति आ गई। अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को लागू करने में भी महत्वपूर्ण रोल अदा किया। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 1000 और 500 रुपए के नोट बंद करने का फैसला किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई और वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली की देखरेख में ही सरकार की जनधन योजना के जरिए गरीबों के बैंक अकाउंट खोले गए। इससे समाज का सबसे आखिरी तबका भी वित्तीय सेक्टर से जुड़ा। आधार को बैंक अकाउंट से जोड़ने और डायरेक्ट सब्सिडी ट्रांसफर की योजना भी वित्त मंत्रालय से निकली थी। बैंक अकाउंट खुलने के बाद इसमें लोगों को डायरेक्ट सब्सिडी दी गई,जिससे सरकार को हजारों करोड़ रुपए की बचत हुई।
2014 से पहले कारोबार में आसानी के लिहाज से भारत की वर्ल्ड बैंक रैंकिंग में 142वां स्थान था। अब भारत इस रैंकिंग में 77वें स्थान पर है। इस रैकिंग में सुधार की रूपरेखा तैयार करने में वित्त मंत्री के तौर पर अरुण जेटली ने कई बड़े सुधारों का एलान किया था। इसमें सबसे बड़ा कानून दिवालिया कानून था।
इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड को साकार करने में अरुण जेटली ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके जरिए दिवालिया होने वाली कंपनियों के मामले समयबद्ध तरीके से सुलझाए जाते हैं। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में इसके जरिए 70 हजार करोड़ रुपए की रिकवरी हुई।
अरुण जेटली की इसके अलावा रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी को बनाने में भी बड़ी भूमिका रही। विश्व के ज्यादातर देशों में ब्याज दरों से जुड़े फैसले मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी लेती है। जिसमें केंद्रीय बैंक और बाहर के सदस्य होते हैं। भारत में इससे पहले ब्याज दरों से जुड़े फैसले सिर्फ रिजर्व बैंक लेती थी।
2015 के आम बजट में बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एलान किया था कि ब्याज दरों पर फैसले के लिए मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी बनाई जाएगी। अब यही कमेटी ब्याज दरों से जुड़े फैसले लेती है। इसमें रिजर्व बैंक के सदस्यों के साथ ही बाहरी सदस्य भी हैं। अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था के कई पहलूओं को ठीक करने में बड़ी भूमिका निभाई।
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