निर्भया मामला : दोषी विनय शर्मा की फांसी का रास्ता हुआ साफ,सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज,राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका की अस्वीकृति को दी थी चुनौती
निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दषियों में से एक विनय शर्मा की फांसी का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विनय की याचिका को खारिज कर उसके फांसी से बचने के सभी रास्तों को बंद कर दिया है। अब उसके पास फांसी की सजा टालने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। विनय शर्मा की ओर से राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।
निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दषियों में से एक विनय शर्मा की फांसी का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विनय की याचिका को खारिज कर उसके फांसी से बचने के सभी रास्तों को बंद कर दिया है। विनय की याचिका खारिज होने के बाद अब उसके पास फांसी की सजा टालने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। विनय शर्मा की ओर से राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना के साथ न्यायमूर्ति आर. बानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है। विनय शर्मा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिए यह दावा किया था कि उसके मुवक्किल की जेल में यातना के कारण दिमागी हालत खराब हो गई है। याचिका में मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विनय मनोवैज्ञानिक रूप से फिट है और उसकी मेडिकल स्थिति स्थिर है।
उधर,दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एक दिन पहले यानी गुरुवार को निर्भया दुष्कर्म मामले में डेथ वारंट जारी करने की याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। कोर्ट ने माना कि दोषी अपने कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने के हकदार हैं और उनके मौलिक अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
अदालत ने गुरुवार को ही निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में अधिवक्ता रवि काजी को दोषियों में से एक पवन गुप्ता की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया है। चारों दोषियों में से सिर्फ पवन के पास ही सुधारात्मक और दया याचिका का विकल्प है।
पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा, “मैं समझता हूं कि पवन के कानूनी वकील को भी थोड़ा समय मिलना चाहिए, ताकि वह मुवक्किल का प्रभावी प्रतिनिधित्व कर सकें और दोषी को कानूनी सहायता महज दिखावा या सतही कार्रवाई जैसी नहीं लगे।”
आपको बताते चलें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक नाबालिग भी शामिल था। इस मामले में नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
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