जानिए, कौन था अबु बकर अल-बगदादी, अमेरिकी कार्रवाई में कब, कैसे और कहां हुआ ISIS सरगना का सफाया?
बगदादी और आईएसआईएस के खात्मे के लिए अमेरिकी और स्थानीय सुरक्षा बल लंबे समय से अपना अभियान चला रहे थे। लेकिन अमेरिका को अब जाकर उसे मारने में सफलता मिली। इराक ने अल-बगदादी के ठिकाने को लेकर गुप्त सूचना दी थी, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। हालांकि अभी भी लोगों में बगदादी के मारे जाने कई तरहके सवाल है, क्यों कि पिछले कुछ वर्षों में कई बार बगदादी की मौत की अफवाहें सामने आयी हैं। लेकिन वह बार बार सामने आकर सबको चौंका देता था।
सीरिया और इराक में आतंक का प्रयाय अबु बकर अल-बगदादी का आखिरकार सफाया हो ही गया। बगदादी का मारा जाना पूरी दुनिया के लिए राहत की बात है,क्योंकि वह अपना 'खलीफा राज' स्थापित करना चाहता था। सीरिया और इराक में उसके अत्याचार और जुल्म ने लाखों लोगों को की जिंदगियां बर्बाद कर दीं। बगदादी और आईएसआईएस के खात्मे के लिए अमेरिकी और स्थानीय सुरक्षा बल लंबे समय से अपना अभियान चला रहे थे। लेकिन अमेरिका को अब जाकर उसे मारने में सफलता मिली।
बताया जा रहा है कि इराक ने अल-बगदादी के ठिकाने को लेकर गुप्त सूचना दी थी, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। हालांकि अभी भी लोगों में बगदादी के मारे जाने कई तरहके सवाल है, क्यों कि पिछले कुछ वर्षों में कई बार बगदादी की मौत की अफवाहें सामने आयी हैं। लेकिन वह बार बार सामने आकर सबको चौंका देता था।
दरअसल,अमेरिका विशेष बलों की कार्रवाई में सेना का उद्देश्य उसे जिन्दा पकड़ना था,लेकिन उसने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। 'वार मानीटर' नाम की संस्था ने यह दावा किया है। सीरिया के मानवाधिकार संस्था के मुताबिक इस कार्रवाई में आठ हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमान शामिल थे।
ब्रिटेन की एक संस्था के मुताबिक बगदादी इदलिब में बारिशा गांव के एक मकान में छुपा हुआ था। चश्मदीदों का हवाला देते हुए संस्था ने कहा कि कार्रवाई के बाद अमेरिका सुरक्षा बल एक शव को बाहर ले जाते दिखे, जो अल-बगदादी का ही माना जा रहा है।
कौन था बगदादी?
दरअसल, बगदादी का पूरा नाम इब्राहिम अव्वाद इब्राहिम अल-बद्री था और इसका जन्म इराकी शहर समारा में 1971 में हुआ था। बगदादी की नजर कमजोर होने के कारण वह इराक की सेना में शामिल नहीं हो सका। वह शुरू में अल-कायदा से प्रभावित हुआ और बाद में इराक में इस संगठन का सरगना बना। आगे चलकर बगदादी ने अल-कायदा से अलग होकर इस्लामिक स्टेट (आईएस) का गठन किया। जुलाई 2014 में इराक और सीरिया में अपना आधिपत्य जमाने के बाद बगदादी ने मोसूल से एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें बगदादी पहली बार दुनिया के सामने नजर आया। इस वीडियो में उसने खुद को दुनिया के मुस्लिमों का धार्मिक नेता 'खलीफा' घोषित किया।
बगदादी ने इस्लामिक स्टडीज में था पीएचडी
बगदादी का सुन्नी परिवार सऊदी अरब से ताल्लुक रखता था और खुद को पैगंबर मोहम्मद के कुरायश समुदाय का उत्तराधिकारी बताता था। बचपन में बगदादी कुछ समय स्थानीय मस्जिदों में रहते हुए कुरान और शरिया की शिक्षा ली। अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बगदादी बगदाद चला गया। बगदाद में उसने इस्लामिक स्टडीज में मास्टर की डिग्री ली और इसके बाद इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ बगदाद से इसी विषय में पीएचडी पूरी की।
10 महीने हिरासत में रहा
साल 2004 की शुरुआत में अमेरिकी बलों ने उसे बगदाद के पश्चिमी शहर फल्लुजा में पकड़ा और उसे कैंप बुक्का में हिरासत में रखा गया। बताया जाता है कि कैंप बुक्का में हिरासत में रहते हुए बगदादी ने आईएस की रूपरेखा तैयार की और साथी कैदियों के साथ आतंकवाद का नेटवर्क और संपर्क स्थापित किया। हिरासत के दौरान वह प्रार्थनाएं और कट्टर धार्मिक उपदेश देता था। बगदादी कैंप में लो-प्रोफाइल रहता था और उसके आचरण को देखते हुए अमेरिका ने उसे 10 महीनों की हिरासत के बाद रिहा कर दिया।
'खलीफा राज' स्थापित करना चाहता था
बगदादी के इस्लाम के घिनौने रूप को दुनिया के ज्यादातर मुस्लिमों देशों ने नकार दिया। हालांकि दुनिया में 'खलीफा राज' स्थापित करने की उसकी योजना ने बड़ी संख्या में दुनिया के मुस्लिम युवकों एवं महिलाओं को अपनी तरफ आकर्षित किया। बगदादी ने कहा था कि उसके राज में शरिया कानून लागू होगा। बगदादी सार्वजनिक रूप से बहुत कम लोगों के सामने आता था लेकिन समय-समय पर वह अपना वीडियो जारी करता था।
बगदादी मोबाइल इस्तेमाल नहीं करता था
इराक और सीरिया में आईएसआईएस के पांव उखड़ जाने के बाद अमेरिकी बलों की नजरों से बचने के लिए बगदादी दर-दर भटक रहा था। वह हाल के दिनों में इराक की सीमा से सटे सीरिया के पूर्वी भाग में छिपा हुआ था। वह अमेरिकी बलों की पकड़ एवं नजर से बचने के लिए कभी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था और अपने ठिकाने लगातार बदला करता था। यहां तक कि पश्चिमी देशों की सेनाओं की नजर से बचने के लिए वह काफिले में भी नहीं चलता था। उसे अंदेशा था कि उसके काफिले को निशाना बनाया जा सकता है।
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