केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने का किया अनुरोध
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने का आग्रह किया है। उन्होंन कहा कि देश इस साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में उन्हें बहुगुणा को भारत रत्न देना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
केजरीवाल द्वारा शनिवार को लिखे गए पत्र में कहा गया है, "हमारा मानना है कि सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने से पुरस्कार को ही सम्मान मिलेगा।" उत्तराखंड के पहाड़ी राज्य में प्रकृति के संरक्षण के लिए आजीवन अपने काम के लिए पहचाने जाने वाले बहुगुणा ने पेड़ों को काटने से बचाने के लिए "चिपको आंदोलन" शुरू किया जो अन्य राज्यों में भी फैल गया। इस साल 21 मई को 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में विश्व विख्यात पर्यावरणविद् को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें भारत रत्न की मांग उठाई थी।
पत्र में लिखा है, "देश की आजादी के इस 75वें वर्ष में जब हम स्वतंत्रता सेनानियों और देश को सही दिशा देने वाली उन प्रतिष्ठित हस्तियों को सम्मानित कर रहे हैं, मैं दिल्ली सरकार की ओर से सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध करता हूं।"
केजरीवाल ने कहा कि बहुगुणा ने दुनियाभर के लिए आसन्न खतरे को भांपते हुए खुद को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने आगाह किया था कि मानव ने प्रकृति को निजी संपत्ति मानने की गलती की है और अनियंत्रित शोषण विभिन्न विसंगतियों और समस्याओं का कारण बनने वाला है। केजरीवाल ने मोदी को लिखा, "मुझे उम्मीद है कि आप दिल्ली सरकार के इस अनुरोध पर विचार करेंगे और इस संबंध में जल्द से जल्द उचित निर्णय लेंगे।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भारत के लोगों का सौभाग्य है कि सुंदरलाल बहुगुणा जैसे व्यक्तित्व का जन्म यहां हुआ क्योंकि उनका पूरा जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने ऐसे समय में उत्तराखंड के बहुगुणा के लिए भारत रत्न की मांग की है, जब उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। पार्टी चुनाव की तैयारियों में सक्रियता से जुटी हुई है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में बहुगुणा का चित्र लगाया गया है ताकि उनका जीवन और पर्यावरण संरक्षण का कार्य दिल्ली के नीति निर्माताओं को प्रेरित और मार्गदर्शन कर सके।
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