चंद्रयान-2 को लेकर खुशखबरी,ज्योतिर्विद पंडित शील भूषण शर्मा की भविष्यवाणी,ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ का दोबारा होगा संपर्क!
सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद और वास्तु विशेषज्ञ पंडित शील भूषण शर्माजी जी ने भरोसा जताया है कि देशवासियों को चंद्रयान-2 को लेकर खुशखबरी मिलने वाली है। लैंडर विक्रम का ऑर्बिटर से जल्द ही दोबारा संपर्क स्थापित हो सकेगा। चंद्रयान की यात्रा के वक्त मध्यलोचन नक्षत्र ज्येष्ठा पर लग्लेश चन्द्रमा का संचार, नीचराशिस्थ चंद्र पर राशीश मंगल की दृष्टि और चंद्र-गुरु युति बन रही थी और ये ज्योतिषीय योगों का विश्लेषण यात्रा की पूर्ण सफलता की सूचना देता है।
क्या इसरो का मिशन चंद्रयान-2 असफल हो गया? क्या इसरो के वैज्ञानिकों की तकनीक फेल हो गई? क्या इसरो का मिशन चंद्रयान-2 सफल होगा? क्या एक बार फिर ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम का संपर्क स्थापित हो सकेगा? क्या इसरो के वैज्ञानिक मिशन चंद्रयान-2 को सफल बना सकेंगे? इस तरह के तमाम सवाल देश और दुनिया भर के लोगों के मन में उठ रहे हैं। वो जानना चाहते हैं कि इसरो के अति महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का क्या होगा?
देश और दुनिया भर के लोगों को मैं द इंडिया प्लस के माध्यम से बता देना चाहता हूं कि चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के बारे में जानकारी मिल गई है। विक्रम लैंडर चांद की सतह पर ही है। आर्बिटर द्वारा थर्मल इमेज से साफ है कि विक्रम लैंडर चांद की सतह पर नियत जगह से करीब 500 मीटर दूर गिरा है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या विक्रम लैंडर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है? विज्ञान और तकनीक के जानकारों के मुताबित इस सवाल का जवाब हां और ना दोनों में है। परंतु भारतीय ज्योतिष शास्त्र और उसके जानकारों की मानें तो इसरो का मिशन चंद्रयान-2 सफल होगा।
सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद और वास्तु विशेषज्ञ पंडित शील भूषण शर्मा जी को पूरा विश्वास है कि इसरो को कामयाबी मिलेगी। ज्योतिष गणणाओं के आधार पर उन्होंने भरोसा जताया है कि इसरो के वैज्ञानिकों को जल्द ही चंद्रयान-2 को लेकर खुशखबरी मिलने वाली है। नवग्रहों की चाल,12 राशियों के मेल और 27 नक्षत्रों के खेल के आधार पर पंडित शील भूषण शर्मा जी ने भरोसा जताया है कि लैंडर विक्रम का ऑर्बिटर से जल्द ही संपर्क स्थापित हो सकेगा।
पंडित शील भूषण शर्मा जी ने बताया कि दिनांक 06.09.019 की रात्रि 2 बजकर 15 मिनट पर जब लैंडर विक्रम ने ऑर्बिटर से संपर्क खोया,उस वक्त लग्न में कर्क और नक्षत्र ज्येष्ठा था। ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम का संपर्क टूटने के समय भारत के पूर्वी क्षितिज पर मिथुन राशि अस्त हो रही थी और कर्क राशि का उदय हो रहा था।
उन्होंने बताया कि मध्यलोचन नक्षत्र ज्येष्ठा पर लग्लेश चन्द्रमा का संचार, नीचराशिस्थ चंद्र पर राशीश मंगल की दृष्टि और चंद्र-गुरु युति बन रही थी। ऐसे में चंद्रायन-2 की यात्रा प्रारम्भ होने के ज्योतिषीय योगों का विश्लेषण यात्रा की पूर्ण सफलता की सूचना देता है। पंडित शील भूषण शर्मा जी द्वारा किए गए ज्योत्षीय गणणाओं के अनुसार ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम का संबंध जरूर जुड़ेगा, परंतु इस संपर्क के अल्पकालिक होने की संभावना है।
आपको बताते चलें कि अगर इसरो सेंटर से विक्रम लैंडर का संपर्क स्थापित हो गया तो वो अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रायन-2 के डाटा परीक्षण के अबतक जो सूचना पाई है, उसके अनुसार चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग की वजह से लैंडर विक्रम का एंटीना दब गया जिसकी वजह से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है। संपर्क स्थापित करने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही है, जिससे कि विक्रम से संपर्क स्थापित हो सके। अगर ऐसा हुआ तो प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर निकल सकेगा और चांद की सतह की महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकेंगी।
दरअसल, विक्रम लैंडर के नीचे की तरफ पांच थर्स्टर और उसके चारों तरफ भी थ्रस्टर लगे हैं। ये थ्रस्टर्स अतंरिक्ष में उसकी दिशा निर्धारित करने के लिए उपयोग में लाया जाना था। अच्छी बात ये है कि सभी थ्रस्टर्स सुरक्षित है। लैंडर के जिस भाग में एंटीना दबा हुआ है उसी में ये थ्रस्टर्स हैं। अगर एंटीना से कमांड आर्बिटर को मिला तो इसरो सेंटर विक्रम को कमांड दे सकेगा। यही नहीं वो अपने पैरों पर भी खड़ा हो सकता है। अगर सबकुछ योजना के मुताबित चला होता तो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान 14 दिनों तक चांद की सतर पर अपना काम करते और 14 दिन के बाद वहीं पर नष्ट हो जाते है। फिलहाल दो दिन बीत चुके हैं और वैज्ञानिकों के हाथ में 12 दिन हैं।
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