क्या ट्रंप और इमरान के ‘नापाक’ इदारों को भांप लिया था भारत?
भारतीय जनता पार्टी यह तो हमेशा से कहती आ रही थी कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटेगा। बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र में भी यह शामिल रहा। लेकिन अनुच्छेद 370 को जिस तरह से से हटाया गया है, उसकी उम्मीद शायद किसी को नहीं रही होगी। अगर सरकार को 370 हटाना ही था तो वह अमरनाथ यात्रा के खत्म होने के बाद हटा सकती थी। हजारों यात्रियों को घबराहट में डालकर आनन-फानन में यह करना साफ संकेत है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोलाल्ड ट्रंप की मिटींग में पिछले दरवाजे कुछ गहरी साजिश रची गयी थी।
जरा सोचिए, विदेश दौरे पर सेनाध्यक्ष को साथ कौन ले जाता है? इमरान खान ले गये थे। और वहां ट्रंप का झुठ कहना कि नरेंद्र मोदी जी ने मुझे कश्मीर मामले में मध्यस्तता करने को कहा है। यह साफ संकेत था कि कुछ नापाक इरादे ट्रंप और इमरान खान ने साथ मिलकर बनाए हैं। भारत हमेशा से कहता आया था कि कश्मीर मुद्दे पर जो भी बात होगी, वह शिमला समझौते के तहत होगी और सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच होगी। किसी भी प्रकार का अंतराष्ट्रीय दखल मंजूर नहीं होगा। उसके बाद भी ट्रंप ने इतना बड़ा झुठ कहा। आखिर ट्रंप ने झूठ क्यों बोला? क्या ट्रप से झूठ बोलवाया गया? ट्रप के झूठ बोलने के पीछे का क्या है कारण?
दरअसल, 2020 में अमेरिका में चुनाव है। ट्रंप के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है और उसे जीतने के लिए हर मोर्चे पर विफल ट्रंप को किसी सफलता की तलाश है। इसलिए ट्रंप चाहता है कि वह अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस ले जा सके, जो कि वाकई एक बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना जाते ही तालिबान अफगानिस्तान को चबा जाएगा, जिससे अमेरिका की बहुत बड़ी किरकिरी होगी। लिहाजा,ट्रंप चाहता है कि पाकिस्तान की मदद से तालिबान और अफगान सरकार के बीच में ऐसा समझौता हो जाए जिससे तालिबान और वहां की सरकार मिलकर अपना देश शांति से चलायें और अमेरिकी सैनिक वहां से लौट सकें। अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से सोचे जा रहे इस कार्य को करने के लिए पाकिस्तान बहुत ज्यादा आवश्यक है। लेकिन बदले में पाकिस्तान को क्या मिलेगा? पाकिस्तान मुफ्त में मदद कयूं करें? तो बदले में ट्रंप ने पाकिस्तान को कश्मीर में साथ देने का भरोसा दिया होगा।
गौरतलब है कि आइएमएफ यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण तले दबे और द फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स के ग्रे लिस्ट में शामिल और ब्लैक लिस्ट में जाने के डर में जी रहे बरबाद और भिखारी पाकिस्तान में इतना दम तो है नहीं कि वह भारत को उंगली दिखाने की सोच भी सके। युद्ध की उसकी चाह तो है लेकिन औकात नहीं है। पाकिस्तान तो यह चाहेगा कि कश्मीर में कोई आंतकि बारदात तक न हो, वरना भारत फिर सर्जिकल स्ट्राइक कर देगा। लेकिन इतने कमजोर पाकिस्तान को ताकत दी है अमेरिका ने और उस अमेरिकी ताकत के बल पर पाकिस्तान जरूर कुछ हिमाकत करने की सोच बैठा था, जिससे अंतराष्ट्रीय पटल पर कश्मीर मुद्दा उठे और ट्रंप को मध्यस्तता का मौका मिले। 51 मुस्लिम देशों के संगठन OIC ने भी भारत के खिलाफ ट्वीट किया था और इन सब साजिशों की भनक भारत को लग गयी थी। लिहाजा, भारत की ओर से समय रहते ये कदम उठाए गए और अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया।
अब आप समझ चुके होंगे कि भारत नें इन्हीं सब कारणों से यह कार्य इस तरह आनन-फानन में, लेकिन पूरी तरह से सोच-समझकर किया। अब तक भले ही हम कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानते आये हों, लेकिन 370 की वजह से वह हमेशा हमसे अलग ही था। कश्मीर के भारत से अलग होकर एक नया राष्ट्र बनने या पाकिस्तान में शामिल होने की एक उम्मीद थी। लेकिन आज वह नापाक उम्मीद हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दी गई है। डोनाल्ड ट्रंप और इमरान खान के इरादों और कश्मीरी नेताओं की धमकी, विशेषकर अलगाववादियों की यानी सबको कुचल दिया गया। विशेष राज्य अब राज्य भी नहीं रहा। अब कश्मीर वाकई भारत का अभिन्न अंग है, इसे अलग करना हो तो पाकिस्तान के पास सिर्फ और सिर्फ युद्ध ही एकमात्र रास्ता है। बातचीत और मध्यस्तता की कोई गुंजाईश हमेशा के लिए समाप्त कर दी गई है।
Comments (0)