आइए शब्दशः पढ़िए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने से लोगों को क्या-क्या लाभ मिलेंगे। कैसे विकास में गति आएगी। प्रधानमंत्री 40 मिनट लंबे अपने भाषण के दौरान विकास, अनुच्छेद 370, नौकरियां, ईद, आतंकवाद और पाकिस्तान समेत कई मसलों पर अपनी बात रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने से लोगों को क्या-क्या लाभ मिलेंगे। कैसे विकास में गति आएगी। प्रधानमंत्री 40 मिनट लंबे अपने भाषण के दौरान विकास, अनुच्छेद 370, नौकरियां, ईद, आतंकवाद और पाकिस्तान समेत कई मसलों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में क्या-क्या कहा, आइए उसे शब्दशः पढ़ते और समझते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों,
एक राष्ट्र के तौर पर,
एक परिवार के तौर पर,
आपने,
हमने,
पूरे देश ने
एक ऐतिहासिक फैसला लिया है।
एक ऐसी व्यवस्था,
जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे,
जो उनके विकास में बड़ी बाधा थी,
वो अब दूर हो गई है।
जो सपना सरदार पटेल का था,
बाबा साहेब अंबेडकर का था,
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का था,
अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का था,
वो अब पूरा हुआ है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक
नए युग की शुरुआत हुई है।
अब देश के सभी नागरिकों के हक भी समान हैं,
दायित्व भी समान हैं।
मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को,
लद्दाख के लोगों को और प्रत्येक देशवासी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
समाज जीवन में कुछ बातें,
समय के साथ इतनी घुल-मिल जाती हैं
कि कई बार उन चीजों को स्थाई मान लिया जाता है।
ये भाव आ जाता है कि,
कुछ बदलेगा नहीं,
ऐसे ही चलेगा।
अनुच्छेद 370 के साथ भी ऐसा ही भाव था।
उससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों की,
हमारे बच्चों की जो हानि हो रही थी, उसकी चर्चा ही नहीं होती थी।
हैरानी की बात ये है कि आप किसी से भी बात करें,
तो कोई ये भी नहीं बता पाता था कि अनुच्छेद 370 से जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में क्या लाभ हुआ।
भाइयों और बहनों,
अनुच्छेद 370 और 35-ए ने
जम्मू-कश्मीर को
अलगाववाद-
आतंकवाद-
परिवारवाद और व्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया।
इन दोनों अनुच्छेद का देश के खिलाफ, कुछ लोगों की भावनाएं भड़काने के लिए पाकिस्तान द्वारा एक शस्त्र के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।
इसकी वजह से पिछले तीन दशक में लगभग
42 हजार निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी,
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास उस गति से नहीं हो पाया,
जिसका वो हकदार था।
अब व्यवस्था की ये कमी दूर होने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का वर्तमान तो सुधरेगा ही,
उनका भविष्य भी सुरक्षित होगा।
साथियों,
हमारे देश में कोई भी सरकार हो,
वो संसद में कानून बनाकर,
देश की भलाई के लिए काम करती है।
किसी भी दल की सरकार हो,
किसी भी गठबंधन की सरकार हो,
ये कार्य निरंतर चलता रहता है।
कानून बनाते समय काफी बहस होती है,
चिंतन-मनन होता है,
उसकी आवश्यकता,
उसके प्रभाव को लेकर गंभीर पक्ष रखे जाते हैं।
इस प्रक्रिया से गुजरकर जो कानून बनता है,
वो पूरे देश के लोगों का भला करता है।
लेकिन कोई कल्पना नहीं कर सकता कि संसद इतनी बड़ी संख्या में कानून बनाए और वो देश के एक हिस्से में लागू ही नहीं हों।
यहां तक कि,
पहले की जो सरकारें,
एक कानून बनाकर वाहवाही लूटती थीं,
वो भी ये दावा नहीं कर पाती थीं कि उनका बनाया कानून
जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा।
जो कानून देश की पूरी आबादी के लिए बनता था,
उसके लाभ से
जम्मू-कश्मीर के
डेढ़ करोड़ से ज्यादा
लोग वंचित रह जाते थे।
सोचिए,
देश के अन्य राज्यों में बच्चों को शिक्षा का अधिकार है,
लेकिन
जम्मू-कश्मीर के बच्चे इससे वंचित थे।
देश के अन्य राज्यों में बेटियों को जो सारे हक मिलते हैं,
वो सारे हक जम्मू-कश्मीर की बेटियों को नहीं मिलते थे।
देश के अन्य राज्यों में सफाई कर्मचारियों के लिए सफाई कर्मचारी एक्ट लागू है,
लेकिन
जम्मू-कश्मीर के सफाई कर्मचारी इससे वंचित थे।
देश के अन्य राज्यों में दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए सख्त कानून लागू है,
लेकिन
जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था।
देश के अन्य राज्यों में अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण के लिए माइनॉरिटी एक्ट लागू है, लेकिन
जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था।
देश के अन्य राज्यों में श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए
Minimum Wages (वेजेस) Act
लागू है,
लेकिन
जम्मू-कश्मीर में काम करने वाले श्रमिकों को ये सिर्फ कागजों पर ही मिलता था।
देश के अन्य राज्यों में चुनाव लड़ते समय अनुसूचित जनजाति के भाई-बहनों को आरक्षण का लाभ मिलता था,
लेकिन
जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था।
साथियों,
अब आर्टिकल 370 और 35-ए, इतिहास की बात हो जाने के बाद, उसके नकारात्मक प्रभावों से भी जम्मू-कश्मीर जल्द बाहर निकलेगा, इसका मुझे पूरा विश्वास है।
भाइयों और बहनों,
नई व्यवस्था में केंद्र सरकार की ये प्राथमिकता रहेगी कि राज्य के कर्मचारियों को, जम्मू-कश्मीर पुलिस को, दूसरे केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों और वहां की पुलिस के बराबर सुविधाएं मिलें।
अभी केंद्र शासित प्रदेशों में, अनेक ऐसी वित्तीय सुविधाएं जैसे LTC, House Rent Allowance,
बच्चों की शिक्षा के लिए Education Allowance, हेल्थ स्कीम, जैसी अनेक सुविधाएं दी जाती हैं,
जिनमें से अधिकांश जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों को नहीं मिलती।
ऐसी सुविधाओं का review कराकर, जल्द ही जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों और वहां की पुलिस को भी ये सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
साथियों, बहुत जल्द ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सभी केंद्रीय और राज्य के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इससे स्थानीय नौजवानों को रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे।
साथ ही केंद्र सरकार की पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कंपनियों को भी रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने के लिए,
प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसके अलावा,
सेना और अर्धसैनिक बलों द्वारा,
स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए रैलियों का आयोजन किया जाएगा।
सरकार द्वारा प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप योजना का भी विस्तार किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके।
जम्मू-कश्मीर में राजस्व घाटा भी बहुत ज्यादा है।
केंद्र सरकार ये भी सुनिश्चित करेगी की इसके प्रभाव को कम किया जाए।
भाइयों और बहनों, केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही, अभी कुछ कालखंड के लिए जम्मू-कश्मीर को सीधे केंद्र सरकार के शासन में रखने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया है।
इसके पीछे की वजह समझना भी आपके लिए महत्वपूर्ण है।
जब से वहां गवर्नर रूल लगा है, जम्मू-कश्मीर का प्रशासन, सीधे केंद्र सरकार के संपर्क में है।
इसकी वजह से बीते कुछ महीनों में वहां Good Governance और Development का और बेहतर प्रभाव जमीन पर दिखाई देने लगा है।
जो योजनाएं पहले सिर्फ कागजों में रह गई थीं,
उन्हें अब जमीन पर उतारा जा रहा है।
दशकों से लटके हुए प्रोजेक्ट्स को नई गति मिली है।
हमने जम्मू-कश्मीर प्रशासन में एक नई कार्यसंस्कृति लाने,
पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है।
इसी का नतीजा है कि
IIT, IIM, एम्स, हों, तमाम इरिगेशन प्रोजेक्ट्स हो,
पावर प्रोजेक्ट्स हों,
या फिर एंटी करप्शन ब्यूरो,
इन सबके काम में तेजी आई है।
इसके अलावा वहां कनेक्टिविटी से जुड़े प्रोजेक्ट हों,
सड़कों और नई रेल लाइनों का काम हो,
एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण हो,
सभी को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है।
साथियों,
हमारे देश का लोकतंत्र इतना मजबूत है।
लेकिन आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि
जम्मू-कश्मीर में दशकों से,
हजारों की संख्या में ऐसे भाई-बहन रहते हैं,
जिन्हें लोकसभा के चुनाव में तो वोट डालने का अधिकार था, लेकिन वो विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते थे।
ये वो लोग हैं जो 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे।
क्या इन लोगों के साथ अन्याय ऐसे ही चलता रहता?
साथियों,
जम्मू-कश्मीर के अपने भाई-बहनों को मैं एक महत्वपूर्ण बात और स्पष्ट करना चाहता हूं।
आपका जनप्रतिनिधि आपके द्वारा ही चुना जाएगा, आपके बीच से ही आएगा।
जैसे पहले MLA होते थे, वैसे ही MLA आगे भी होंगे।
जैसे पहले मंत्रिपरिषद होती थी, वैसी ही मंत्रिपरिषद आगे भी होगी।
जैसे पहले आपके सीएम होते थे, वैसे ही आगे भी आपके सीएम होंगे।
साथियों, मुझे पूरा विश्वास है कि इस नई व्यवस्था के तहत हम सब मिलकर आतंकवाद-अलगाववाद से जम्मू-कश्मीर को मुक्त कराएंगे।
जब धरती का स्वर्ग, हमारा जम्मू-कश्मीर फिर एक बार विकास की नई ऊंचाइयों को पार करके पूरे विश्व को आकर्षित करने लगेगा, नागरिकों के जीवन में Ease of Living बढ़ेगी, नागरिकों को जो उनके हक का मिलना चाहिए, वो बेरोक-टोक मिलने लगेगा, शासन-प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं जनहित कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाएंगी, तो मैं नहीं मानता कि केंद्र शासित प्रदेश की व्यवस्था जम्मू कश्मीर के अंधर चलाए रखने की जरूरत पड़ेगी।
भाइयों और बहनों, हम सभी चाहते हैं कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव हों,
नई सरकार बने, मुख्यमंत्री बनें।
मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा देता हूं कि आपको बहुत ईमानदारी के साथ, पूरे पारदर्शी वातावरण में अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर मिलेगा।
जैसे बीते दिनों पंचायत के चुनाव पारदर्शिता के साथ संपन्न कराए गए, वैसे ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भी चुनाव होंगे।
मैं राज्य के गवर्नर से ये भी आग्रह करूंगा कि ब्लॉक डवलपमेंट काउंसिल का गठन, जो पिछले दो-तीन दशकों से लंबित है, उसे पूरा करने का काम भी जल्द से जल्द से जल्द किया जाए।
साथियों,
ये मेरा खुद का अनुभव है कि चार-पाँच महीने पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पंचायत चुनावों में जो लोग चुनकर आए, वो बहुत बेहतरीन काम कर रहे हैं।
कुछ महीनों पहले जब मैं श्रीनगर गया था, तो वहां मेरी उनसे लंबी मुलाकात भी हुई थी।
जब वो यहां दिल्ली आए थे, तब भी मेरे घर पर, मैंने उनसे काफी देर तक बात की थी।
पंचायत के इन साथियों की वजह से जम्मू-कश्मीर में बीते दिनों ग्रामीण स्तर पर बहुत तेजी से काम हुआ है।
हर घर बिजली पहुंचाने का काम हो या फिर राज्य को ODF बनाना हो, इसमें पंचायत के प्रतिनिधियों की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
मुझे पूरा विश्वास है कि अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद,
जब इन पंचायत सदस्यों को नई व्यवस्था में काम करने का मौका मिलेगा तो वो कमाल कर देंगे।
मुझे पूरा विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर की जनता अलगाववाद को परास्त करके नई आशाओं के साथ आगे बढ़ेगी।
मुझे पूरा विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर की जनता, Good Governance और पारदर्शिता के वातावरण में,
नए उत्साह के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगी।
साथियों, दशकों के परिवारवाद ने जम्मू-कश्मीर के मेरे युवाओं को नेतृत्व का अवसर ही नहीं दिया।
अब मेरे ये युवा, जम्मू-कश्मीर के विकास का नेतृत्व करेंगे और उसे नई ऊंचाईयो पर ले जाएंगे।
मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नौजवानों,
वहां की
बहनों-बेटियों से विशेष आग्रह करूंगा कि अपने क्षेत्र के विकास की कमान खुद संभालिए।
साथियों,
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में दुनिया का सबसे बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है।
इसके लिए जो वातावरण चाहिए, शासन प्रशासन में जो बदलाव चाहिए, वो किए जा रहे हैं लेकिन मुझे इसमें हर देशवासी का साथ चाहिए।
एक जमाना था, जब बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर पसंदीदा जगह थी।
उस दौरान शायद ही कोई फिल्म बनती हो, जिसकी कश्मीर में शूटिंग न होती हो।
अब जम्मू-कश्मीर में स्थितियां सामान्य होंगी, तो देश ही नहीं, दुनिया भर के लोग वहां फिल्मों की शूटिंग करने आएंगे।
हर फिल्म अपने साथ कश्मीर के लोगों के लिए रोजगार के अनेक अवसर भी लेकर आएगी।
मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, तेलगू और तमिल फिल्म इंडस्ट्री और इससे जुड़े लोगों से आग्रह करूंगा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में निवेश के बारे में, फिल्म की शूटिंग से लेकर थिएटर और अन्य साधनों की स्थापना के बारे में जरूर सोचें।
जो टेक्नोलॉजी की दुनिया से जुड़े लोग हैं, चाहे वो प्रशासन में हों या फिर प्राइवेट सेक्टर में,
उनसे भी मेरा आग्रह है कि अपनी नीतियों में, अपने फैसलों में इस बात को प्राथमिकता दें कि जम्मू-कश्मीर में कैसे टेक्नोलॉजी का और विस्तार किया जाए।
जब वहां डिजिटल कम्यूनिकेशन को ताकत मिलेगी, जब वहां BPO सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर बढ़ेंगे, जितना ज्यादा टेक्नोलॉजी का विस्तार होगा, उतना ही जम्मू-कश्मीर के हमारे भाई-बहनों का जीवन आसान होगा,
उनकी आजीविका और रोजी-रोटी कमाने के अवसर बढ़ेंगे।
साथियों,
सरकार ने जो फैसला लिया है, वो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उन नौजवानों को भी मदद करेगा, जो स्पोर्ट्स की दुनिया में आगे बढ़ना चाहते हैं।
नई स्पोर्ट्स एकैडमीज, नए स्पोर्ट्स स्टेडियम, साइंटिफिक इनवायर्नमेंट में ट्रेनिंग, उन्हें दुनिया में अपना टैलेंट दिखाने में मदद करेगी।
साथियों, जम्मू-कश्मीर के केसर का रंग हो या कहवा का स्वाद सेब का मीठापन हो या खुबानी का रसीलापन,
कश्मीरी शॉल हो या फिर कलाकृतियां, लद्दाख के ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स हों या फिर हर्बल मेडिसिन इसका प्रसार दुनियाभर में किए जाने का जरूरत है।
मैं आपको एक उदाहरण देता हूं।
लद्दाख में सोलो नाम का एक पौधा पाया जाता है।
जानकारों का कहना है कि ये पौधा,
High Altitude पर रहने वाले लोगों के लिए, बर्फीली पहाड़ियों पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए संजीवनी का काम करता है।
कम ऑक्सीजन वाली जगह पर शरीर के इम्यून सिस्टम को संभाले रखने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका है।
सोचिए, ऐसी अद्भुत चीज, दुनिया भर में बिकनी चाहिए या नहीं? कौन हिन्दुस्तानी नहीं चाहता है
और साथियों,
मैंने सिर्फ एक का नाम लिया है।
ऐसे अनगिनत पौधे,
हर्बल प्रॉडक्ट जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बिखरे पड़े हैं।
उनकी पहचान होगी,
उनकी बिक्री होगी तो इसका बहुत बड़ा लाभ वहां के लोगों को मिलेगा, वहां के किसानों को मिलेगा।
इसलिए मैं देश के उद्यमियों से, Export से जुड़े लोगों से,फूड प्रोसेसिंग सेक्टर से जुड़े लोगों से आग्रह करूंगा कि
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के स्थानीय Products को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए आगे आएं।
साथियों,
Union Territory बन जाने के बाद अब लद्दाख के लोगों का विकास, भारत सरकार की स्वाभाविक जिम्मेदारी बनता है।
स्थानीय प्रतिनिधियों, लद्दाख और कारगिल की डवलपमेंट काउंसिल्स के सहयोग से केंद्र सरकार,
विकास की तमाम योजनाओं का लाभ अब और तेजी से पहुंचाएगी।
लद्दाख में स्पीरिचुअल टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म और इकोटूरिज्म का, सबसे बड़ा केंद्र बनने की क्षमता है।
सोलर पावर जनरेशन का भी लद्दाख बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है।
अब वहां के सामर्थ्य का उचित इस्तेमाल होगा और बिना भेदभाव विकास के लिए नए अवसर बनेंगे।
अब लद्दाख के नौजवानों की इनोवेटिव स्पिरिट को बढ़ावा मिलेगा, उन्हें अच्छी शिक्षा के लिए बेहतर संस्थान मिलेंगे, वहां के लोगों को अच्छे अस्पताल मिलेंगे, इंफ्रास्ट्रक्चर का और तेजी से आधुनिकीकरण होगा।
साथियों,
लोकतंत्र में ये भी बहुत स्वाभाविक है कि कुछ लोग इस फैसले के पक्ष में हैं और कुछ को इस पर मतभेद है।
मैं उनके मतभेद का भी सम्मान करता हूं और उनकी आपत्तियों का भी।
इस पर जो बहस हो रही है, उसका केंद्र सरकार जवाब भी दे रही है। समाधान करने का प्रयास भी कर रही है
ये हमारा लोकतांत्रिक दायित्व है।
लेकिन मेरा उनसे आग्रह है कि वो देशहित को सर्वोपरि रखते हुए व्यवहार करें और
जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को नई दिशा देने में सरकार की मदद करें। देश कि मदद करें
संसद में किसने मतदान किया, किसने नहीं किया,किसने समर्थन दिया, किसने नहीं दिया,
इससे आगे बढ़कर अब हमें जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के हित में मिलकर, एकजुट होकर काम करना है।
मैं हर देशवासी को ये भी कहना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की चिंता,
हम सबकी चिंता है, 130 करोड़ नागरिकों का चिंता है. उनके सुख-दुःख,
उनकी तकलीफ से हम अलग नहीं हैं।
अनुच्छेद 370 से मुक्ति एक सच्चाई है,
लेकिन सच्चाई ये भी है कि इस समय ऐतिहास के तौर पर उठाए गए कदमों की वजह से जो भी परेशानी हो रही है, उसका मुकाबला भी वही लोग कर रहे हैं।
कुछ मुट्ठी भर लोग,
जो वहां हालात बिगाड़ना चाहते हैं,
उन्हें धैर्यपूर्वक जवाब भी वहां के हमारे भाई बहन दे रहे हैं।
हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तानी साजिशों के विरोध में जम्मू-कश्मीर के ही देशभक्त लोग डटकर खड़े हुए हैं।
भारतीय संविधान पर विश्वास करने वाले हमारे ये सभी-भाई बहन अच्छा जीवन जीने के अधिकारी हैं।
हमें उन सब पर गर्व है।
मैं आज
जम्मू-कश्मीर के इन साथियों को भरोसा देता हूं कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे और उनकी परेशानी भी कम होती चली जाएगी।
साथियों, ईद का मुबारक त्योहार भी नजदीक ही है।
ईद के लिए मेरी ओर से सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
सरकार इस बात का ध्यान रख रही है कि जम्मू-कश्मीर में ईद मनाने में लोगों को कोई परेशानी न हो।
हमारे जो साथी जम्मू-कश्मीर से बाहर रहते हैं और ईद पर अपने घर वापस जाना चाहते हैं, उनको भी सरकार हर संभव मदद कर रही है।
साथियों, आज इस अवसर पर,
मैं
जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा में तैनात अपने सुरक्षा बलों के साथियों का भी आभार व्यक्त करता हूं।
प्रशासन से जुड़े सभी लोग,
राज्य के कर्मचारी और जम्मू-कश्मीर पुलिस जिस तरह से स्थितियों को सँभाल रही है,
वो बहुत बहुत प्रशंसनीय है।
आपके इस परिश्रम ने,
मेरा ये विश्वास और बढ़ाया है , बदलाव हो सकता है।
भाइयों और बहनों,
जम्मू-कश्मीर हमारे देश का मुकुट है। गर्व करते है
इसकी रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के अनेकों वीर
बेटे-बेटियों ने अपना बलिदान दिया है,
अपना जीवन दांव पर लगाया है।
पुंछ जिले के मौलवी
गुलाम दीन,
जिन्होंने 65 की लड़ाई में पाकिस्तानी घुसपैठियों के बारे में भारतीय सेना को बताया था,
उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था,
लद्दाख के कर्नल सोनम वानंचुग जिन्होंने कारगिल की लड़ाई में दुश्मन को धूल चटा दी थी,
उन्हें महावीर चक्र दिया गया था,
राजौरी की रुखसाना कौसर, जिन्होंने एक बड़े आतंकी को मार गिराया था, उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था,
पुंछ के शहीद औरंगजेब, जिनकी पिछले वर्ष आतंकियों ने हत्या कर दी थी और जिनके दोनों भाई अब सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं,
ऐसे वीर बेटे-बेटियों की ये लिस्ट बहुत लंबी है।
आतंकियों से लड़ते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनेक जवान और अफसर भी शहीद हुए हैं।
देश के अन्य भू भाग से भी हज़ारों लोगों को हमने खोया है
इन सभी का सपना रहा है-
एक शांत,
सुरक्षित, समृद्ध
जम्मू-कश्मीर बनाने का।
उनके सपने को हमें मिलकर पूरा करना है।
साथियों,
ये फैसला
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ ही पूरे भारत की आर्थिक प्रगति में सहयोग करेगा।
जब दुनिया के इस महत्वपूर्ण भूभाग में शांति और खुशहाली आएगी, तो स्वभाविक रूप से विश्व शांति के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
मैं जम्मू-कश्मीर के अपने भाइयों और बहनों से, लद्दाख के अपने भाइयों और बहनों से,
आह्वान करता हूं।
आइए, हम सब मिलकर दुनिया को दिखा दें कि इस क्षेत्र के लोगों का सामर्थ्य कितना ज्यादा है, यहां के लोगों का हौसला, उनका जज्बा कितना ज्यादा है।
आइए, हम सब मिलकर,नए भारत के साथ-साथ अब नए जम्मू-कश्मीर और नए लद्दाख का भी निर्माण करें।
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