चैकीदारों की मदद से गांव-गांव तक पहुंचेगी चाइल्ड लाइन सदस्य, बच्चों के देखभाल एवं सुरक्षा को लेकर लौकहा थाना में सामूहिक बैठक
मधुबनी जिले के लौकहा थाना के धनंजय कुमार ने कहा कि ये सीमावर्ती इलाका है और बच्चों के देखभाल एवं सुरक्षा में स्थानीय पुलिस चाइल्ड लाइन टीम की हर संभव मदद करेगी। एसएचओ धनंजय कुमार ने कहा कि चैकीदारों के साथ छोटे समूह की बैठक का आयोजन समय-समय पर किया जाता रहा है।
बिहार के मधुबनी जिले के लौकहा थाना में अंधराठाड़ी सब सेंटर चाइल्ड लाइन के सदस्य और चैकीदारों के बीच सामूहिक बैठक हुई। इस छोटे समूह बैठक की अध्यक्षता लौकहा थाना के एसएचओ धनंजय कुमार ने की। इस बैठक में चैकीदारों को चाइल्ड लाइन के कार्यो के बारे में विस्तार से बताया गया। बैठक में चाइल्ड लाइन टीम की सदस्य कुमारी आभा ने चैकीदारों से कहा कि वो गांव-गांव घूमते हैं। थाने का चैकीदार जरूरतमंद बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण के लिए सबसे मददगार साबित हो सकता है। कुमारी आभा ने कहा कि बाल कल्याण योजनांतर्गत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की परियोजना के तहत चाइल्ड लाइन हेल्प लाइन का संचालन बिहार के मधुबनी के अंधराठाड़ी सब सेेंटर से किया जा रहा है। जरूरतमंद बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण के लिए टोल फ्री चाइल्ड लाइन 1098 हेल्प सेवा गांव-गांव में अपनी पहुंच बनाने में प्रयासरत है और लौकहा थाना के चैकीदार इस कार्य में अहम कड़ी साबित हो सकते हैं।
वहीं मधुबनी जिले के लौकहा थाना के धनंजय कुमार ने कहा कि ये सीमावर्ती इलाका है और बच्चों के देखभाल एवं सुरक्षा में स्थानीय पुलिस चाइल्ड लाइन टीम की हर संभव मदद करेगी। एसएचओ धनंजय कुमार ने कहा कि चैकीदारों के साथ छोटे समूह की बैठक का आयोजन समय-समय पर किया जाता रहा है।
कैसे काम करती है हेल्प लाइन
भारत सरकार की संस्था बाल एवं महिला विकास मंत्रालय के अंतर्गत चाइल्ड लाइन 1098 बच्चों के बेहतर विकास के लिए काम करती है। चाइल्ड लाइन गुमशुदा बच्चे, शोषित बच्चे, घर से भागे हुए बच्चे, खराब हालातों में फंसे बच्चे और देखभाल एवं सुरक्षा की जरूरत वाले सभी की मदद के लिए हेल्प लाइन 24 घंटे कार्यरत है। जैसे ही जिले से कोई बच्चा या व्यक्ति टोल फ्री चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर काॅल करेगा, तो चाइल्ड डेस्क् पर तैनात टीम सदस्य संबंधित की शिकायत के आधार पर मौके पर पहुंचकर संबंधी बच्चे की मदद करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर हेल्प डेस्क पुलिस की मदद भी लेगी। इसके बाद बच्चे को किशोर न्याय बोर्ड के माध्यम से संबंधित परिजनों या फिर बाल शिशुगृह में छोड़ा जाएगा, जहां बच्चे को पुनर्वासन और निरंतर फाॅलोअप प्रदान किया जाता है।
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