बिहार अब विशेष दर्जा नहीं बल्कि आर्थिक पैकेज की मांग करेगा
बिहार अब विशेष राज्य का दर्जा नहीं बल्कि विशेष पैकेज की ही मांग करेगा। योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने इसे साफ किया है। सोमवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा कि विशेष दर्जे की मांग करते-करते हमलोग थक चुके हैं। इसके लिए कमेटी बनी, जिसकी रिपोर्ट भी आई। पर, कोई नतीजा नहीं निकला। इस मुद्दे पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने भी कहा है कि अब आर्थिक पैकेज की बात हो रही है। जो भी प्रदेश राष्ट्रीय मानक से पीछे हैं, उन्हें विशेष सहायता मिलनी चाहिए। हमारे नेता नीतीश कुमार इस बात को बराबर उठाते रहे हैं। योजना एवं विकास मंत्री ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि हमलोग एक सरकार में हैं और मांग की एक सीमा होती है। सात-आठ सालों तक मांग की। अब कितने दिनों तक अनवरत यही किया जाए, हमलोग अपना काम कर रहे हैं। वहीं उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट को विरोधाभासी बताया और कहा कि बिहार की सही तस्वीर पेश नहीं की गई है।
इधर, दिल्ली में इस मुद्दे पर पत्रकारों के सवाल पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि वित्त आयोग ने जो रिपोर्ट दी है, उसके आधार पर पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विशेष पैकेज की बात हो रही है। हम लोग उस पर मजबूती से अपनी बात रख रहे हैं। फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट के बाद किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल रहा है। फाइनेंस कमीशन ने भी कहा है कि जो पिछड़े राज्य हैं उन्हें आर्थिक पैकेज मिलना चाहिए। इसी सवाल पर केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने पत्रकारों से कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है। जो भी प्रदेश राष्ट्रीय मानक से पीछे हैं, सबको मानक तक आने के लिए अलग-अलग तरीके से आवश्यकता होती है। हमारे नेता नीतीश बाबू इस बात को बराबर उठाते रहे हैं। तो स्वाभाविक है कि यह मांग तो रहेगी। उन्होंने कहा कि जिन-जिन मानकों में हम पीछे हैं, उसमें संसाधनों की मांग हमलोग करते रहे हैं। मांग आगे भी होगी।
नीति आयोग की रिपोर्ट पर दर्ज की कड़ी आपत्ति: जून में वर्ष 2020-21 की नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट, जिसमें बिहार को विभिन्न विकास के मानकों पर संयुक्त रूप से देश में 28 वें नंबर पर रखा गया था, पर राज्य सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। योजना विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बिहार ने सड़कें, पुल-पुलिया, बिजली, गुणवत्ता शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि और गरीबी दर घटाने आदि मामलों में अच्छी प्रगति की है। रिपोर्ट में आयोग ने राज्य की प्रगति को शामिल नहीं किया है। यह बिहार के साथ न्याय नहीं है।
इस संबंध में योजना एवं विकास विभाग ने नीति आयोग को ज्ञापन भेजा है, जिसमें मानक बदलने की भी बात कही गई है। ज्ञापन ने कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में राज्य की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रही है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस वर्ष में 4.2 प्रतिशत रही है। वर्ष 2018-19 में भी यह आंकड़ा क्रमश: 9.3 और 6.1 प्रतिशत रही थी। बिहार ने गरीबी दर में छह सालों में 21 प्रतिशत की कमी की है। वर्ष 2004-05 में गरीबी दर 54.4 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011 में से 33.7 प्रतिशत थी।
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