चिंताजनक : देश में लगातार बढ़ रही है बेरोजगारी,सितंबर से दिसंबर के बीच 7.5 फीसदी तक पहुंची,उच्च शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर 60 फीसदी,CMIE के आंकड़ों से हुआ खुलासा
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। बेरोजगारी की स्थिति भी बेहद चिंताजनक हो गई है। इसका खुलासा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई की ओर से जांरी आंकड़े से होता है। आंकड़ों के अनुसार बिते वर्ष सितंबर से दिसंबर तक के चार महीनों में देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.5 फीसदी पहुंच गई।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। बेरोजगारी की स्थिति भी बेहद चिंताजनक हो गई है। इसका खुलासा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई की ओर से जांरी आंकड़े से होता है। आंकड़ों के अनुसार बिते वर्ष सितंबर से दिसंबर तक के चार महीनों में देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.5 फीसदी पहुंच गई। उच्च शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच गई है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ ने भी अनुमान जताया गया है कि इस साल बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़कर लगभग 2.5 अरब हो जाएगा।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट में कहा गया है, मई से अगस्त 2017 के बाद लगातार सातवीं बार बेरोजगारी बढ़ी है। मई से अगस्त 2017 में बेरोजगारी की दर 3.8 फीसदी थी। ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में बेरोजगारी की दर ज्यादा है। यह सर्वे 1,74,405 परिवार के राय पर तैयार की गई है। इसके अनुसार, सिंतबर से दिसंबर महीने के दौरान शहरी भारत में बेरोजगारी की दर 9 फीसदी तक पहुंच गई। यानी शहरों में बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। वहीं, ग्रामीण भारत में इस दौरान बेरोजगारी 6.8 फीसदी रही। यह हाल तब है जब कुल बेरोजगारी में करीब 66 फीसदी हिस्सा ग्रामीण भारत का होता है।
सीएमआईई की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में बेरोजगारी की दर कम है और इसका देश की समूची बेरोजगारी पर बड़ा असर है। हालांकि गांवों में जो रोजगार है उसका स्तर भी बहुत खराब है। रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में शिक्षित युवओं में बेरोजगारी की दर उच्च्तम स्तर पर है। वहीं, 20 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी की दर 37 फीसदी है। ग्रेजुएट में बेरोजगारी की औसत दर साल 2019 में 63.4 फीसदी तक पहुंच गई है।
सीएमआईई की रिपोर्ट में बताया गया हा कि उच्च शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की दर पिछले तीन साल के मुकाबले सबसे खराब है। साल 2016 में उच्च शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की दर 47.1 प्रतिशत थी। वहीं, 2017 में यह 42 प्रतिशत और 2018 में 55.1 प्रतिशत थी। यानी 2019 में सबसे खराब दौर रहा है।
देश में 20 से 29 साल के ग्रेजुएट युवाओं में बेरोजगारी की दर 42.8 पहुंच गई है। वहीं, सभी उम्र के ग्रेजुएट के लिए औसत बेरोजगारी दर 18.5 फीसदी पर पहुंच गई जो इसका उच्चतर स्तर है। यही हाल पोस्ट-ग्रेजुएट के लिए भी है। लेकिन 2016 के बाद से यह खराब नहीं है, जब यह 24.6 प्रतिशत था। कॉलेज से निकलर जॉब मार्केट में आने वाले युवओं की स्थिति भी बेहतर नहीं है। 20 से 24 साल के उम्र के युवओं के बीच सितंबर से दिसंबर के दौरान बेरोजगारी की दर दोगुनी होकर 37 फीसदी पर पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार इस साल बेरोजगारों की संख्या लगभग 25 लाख बढ़ जाएगी। ‘वर्ल्ड इंप्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक : ट्रेंड्स 2020’ की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में लगभग आधा अरब लोगों के पास अपेक्षित वैतनिक काम नहीं हैं या कह सकते हैं उन्हें पयार्प्त रूप से वैतनिक काम नहीं मिल पा रहे हैं।
रोजगार और सामाजिक रुझान पर आईएलओ की रिपोर्ट बताती है कि बढ़ती बेरोजगारी और असमानता के जारी रहने के साथ सही काम की कमी के कारण लोगों को अपने काम के माध्यम से बेहतर जीवन जीना और मुश्किल हो गया है। दुनियाभर में बेरोजगार माने गए 18.8 करोड़ लोगों में 16.5 करोड़ लोगों के पास अपयार्प्त वैतनिक कार्य हैं और 12 करोड़ लोगों ने या तो सक्रियता से काम ढूंढ़ना छोड़ दिया है या श्रम बाजार तक उनकी पहुंच नहीं है।
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