महाराष्ट्र में बीजेपी और अजित पवार क्या जुटा पाएंगे बहुमत का जादुई आंकड़ा? राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवास सरकार को 30 नवंबर तक का दिया है समय
बीजेपी और एनसीपी ने मिलकर सरकार तो बना ली है। लेकिन राजनीतिक समीकरणों को उलझा दिया है। नवनियुक्त सरकार को 30 नवंबर तक बहुमत साबित करना है। इसी बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला अजित पवार का है न कि पार्टी का। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एनसीपी के कितने विधायक पार्टी से अलग होकर अजित पवार के साथ जाएंगे और कितने विधायक शरद पवार के साथ बने रहेंगे।
महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को जो हुआ वो बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। महाराष्ट्र की सियासत में इतना बड़ा उलटफेर हो जाएगा इसका अंदाजा किसी को नहीं था। सभी जगह शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन की सरकार बनने की चर्चाएं चल रही थीं। इसी बीच शनिवार सुबह राजभवन में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी को हैरान कर दिया। इस गठबंधन के बारे में किसी को कानों कान खबर तक नहीं थी। अब दोनों के सामने विधानसभा में बहुमत साबित करने की सबसे बड़ी चुनौती है।
बीजेपी और एनसीपी ने मिलकर सरकार तो बना ली है। लेकिन राजनीतिक समीकरणों को उलझा दिया है। नवनियुक्त सरकार को 30 नवंबर तक बहुमत साबित करना है। इसी बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला अजित पवार का है न कि पार्टी का। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एनसीपी के कितने विधायक पार्टी से अलग होकर अजित पवार के साथ जाएंगे और कितने विधायक शरद पवार के साथ बने रहेंगे।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं। 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के आए नतीजों में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 54 सीटों पर जीत हासिल हुई है। इसके अलावा बहुजन विकास अघाड़ी के खाते में 3 सीटें गई हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमिन, प्रहर जनशक्ति पार्टी और समाजवादी पार्टी को 2-2 सीटों पर जीत हासिल हुई। वहीं राज्यभर से 13 निर्दलीय उम्मीदवारों को चुना गया है।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। किसी भी पार्टी को सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए 145 का जादुई आंकड़ा चाहिए। चुनाव परिणाम में बीजेपी 105 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं। यदि दोनों पार्टियों के आंकड़े को मिला दिया जाए, तो यह 159 होता है, जो बहुमत से ज्यादा है। लेकिन एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का कहना है कि बीजेपी के साथ सरकार बनाना गलत है। ऐसे में बीजेपी को बहुमत साबित करने में परेशानी हो सकती है।
यदि राज्य के ताजा घटनाक्रम पर नजर डाली जाए जो एनसीपी की राह से अलग जाकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले अजित पवार के पास जरूरी संख्या मौजूद है। शरद पवार का साफ कहना है कि बीजेपी के साथ जाना अजित का व्यक्तिगत निर्णय है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी को एनसीपी के सभी 54 विधायकों का समर्थन नहीं मिलने वाला है। हालांकि, बताया यह भी जा रहा है कि अजित के पास एनसीपी के आधे से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। वहीं बीजेपी दावा कर रही है कि उसे 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
आपको बताते चलें कि एनसीपी के 54 उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में जीत मिली है। दल-बदल कानून के प्रावधान के तहत अलग गुट को मान्यता हासिल करने के लिए दो तिहाई विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होती है। इस तरह अजित पवार की चुनौती 36 विधायकों का समर्थन हासिल करना है। यदि वह 36 या इससे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल कर लेते हैं, तो उन्हें नई पार्टी बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन ऐसा न होने की स्थिति में बागी विधायकों की विधानसभा सदस्यता खत्म हो सकती है।
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