कोरोनाकाल में बच्चों में लगी मोबाइल की आदत से अभिभावक चिंतित, निजात के लिए शुरू हुई पहल

कोरोनाकाल में बच्चों में लगी मोबाइल की आदत से अभिभावक चिंतित, निजात के लिए शुरू हुई पहल

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में मोबाइल की लत एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है। बच्चे किताबों से ज्यादा मोबाइल पर समय दे रहे हैं। अभिभावक इससे चिंतित हैं क्योंकि मोबाइल पर पढ़ाई लिखाई के अलावा और भी कंटेंट्स उपलब्ध होते हैं। मोबाइल का ज्यादा उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। ऐसे में मुजफ्फरपुर की एक आर्ट संस्था ने अच्छी पहल की है। इसमें आर्ट लर्निंग के जरिए बच्चों को मोबाइल से अलग करने का प्रयास किया जा रहा है। संस्था के संचालक सुधीर कुमार एक सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं।

लायनेस क्लब और संरचना आर्ट थिएटर ने मिलकर यह प्रयोग किया है। आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग से कोरोना में लगी मोबाइल की लत से बच्चों का पीछा छुड़वाया जा रहा हैं। बच्चे मोबाइल की बजाए कुछ रचनात्मक गतिविधि से जुड़ें, इसे लेकर शिक्षक सुधीर कुमारने इन बच्चों को आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग देने की शुरुआत की है। और अब अलग-अलग कला से जुड़े कई शिक्षक इसमें जुड़ गए हैं।

कोरोना काल में मोबाइल के करीब आए बच्चे: मुजफ्फरपुर में रविवार को इन बच्चों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आए अभिभावकों और शिक्षकों ने कहा कि कोरोना के कारण लॉकडाउन और सभी शिक्षण संस्थाओं का लगभग दो वर्षों से बंद होना और शिक्षण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत बच्चों को मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन क्लास का कॉन्सेप्ट एक अलग व्यवस्था के रूप में सामने आया। 

स्कूल से लौटकर मोबाइल में लग जाते हैं बच्चे: अब शिक्षण संस्थान खुल गए हैं। क्लास चल रही है, मगर मोबाइल का नशा कुछ इस कदर बच्चों पर हावी हो गया है कि बच्चे विद्यालय से जाते ही खाना-पीना छोड़कर सीधे मोबाइल फोन में लग जाते हैं। इंटीग्रेटेड लर्निंग के रिसोर्स पर्सन सुधीर कुमार ने शहर के गोला रोड में लायनेस क्लब और संरचना आर्ट थिएटर के संयोजन में आयोजित कार्यशाला में कहा कि यहां बच्चों को फ्री कम्प्यूटर एजुकेशन के साथ आर्ट की पढ़ाई से जोड़ा जा रहा है, ताकि बच्चों को मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाया जा सके।