गुरु पूर्णिमा पर पड़ने वाले चंद्रग्रहण का आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव ?
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परंब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
अर्थात सद्गुरु ही ब्रहमा हैं। सद्गुरु ही विष्णु हैं। सद्गुरु ही शंकर हैं। सद्गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे सद्गुरु को मैं प्रणाम करता हूं। गुरु को ब्रह्मा कहा गया है, क्योंकि गुरु शिष्य को बनाता है। शिष्य को नव जीवन देता है। गुरु विष्णु भी है क्योंकि वह शिष्य की रक्षा करता है। गुरु साक्षात महेश्वर भी है क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करता है। उसी ब्रह्मा, विष्णु और शिव रूपी सद्गुरु के प्रति श्रद्धा, भक्ति और कृत्ज्ञता व्यक्त करने का पावन पर्व गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को देशभर में मनाया जा रहा है।
प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन सद्गुरु की पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा सद्गुरु के प्रति नतस्तक होकर कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। सग्दुरु सम्मान हेतु आषाढ़ पूर्णिमा से बढ़कर कोई और तिथि नहीं हो सकती है। अतः गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर हमें अपने गुरुजनों के श्रीचरणों में अपनी समस्त श्रद्धा और भक्ति अर्पित कर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करनी चाहिए। सद्गुरु के सानिध्य में शिष्य अपने जीवन को सरल, सुगम, सफल और सार्थक बनाता है।
परंतु गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर चंद्रग्रहण लगने वाला है। यह खण्डग्रास चंद्रग्रहण भारत में विभिन्न हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में ये ग्रहण 16-17 जुलाई की रात्रि लगभग 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू हो जाएगा। ग्रहण का मध्य समय रात्रि 3 बजकर 1 मिनट रहेगा और प्रातः लगभग 4 बजकर 30 मिनट पर ग्रहण खत्म हो जाएगा। संपूर्ण ग्रहण की अवधि 2 घंटा और 59 मिनट है। चंद्रग्रहण के दौरान ग्रहण प्रारंभ होने से 9 घंटे पहले सूतक होता है, जो कि 16 जुलाई को दिन में लगभग 4:30 बजे प्रारम्भ हो जाएगा और ग्रहण के साथ ही खत्म होगा। अतः गुरु पूर्णिमा उत्सव, गुरु पूजन और अन्य शुभ कार्य सूतक काल यानी शाम लगभग 4:30 से पूर्व ही कर लेना ठीक रहेगा।
गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ
चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा पावन पर्व इस बार एक साथ होगा। गुरु पूर्णिमा पर यह लगातार दूसरे वर्ष चंद्रग्रहण लग रह है। इससे पूर्व 2018 में 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर ही खण्ग्रास चंद्रग्रहण लगा था। पिछले वर्ष इस ग्रहण की अवधि 3 घंटे 51 मिनट थी। इस बार ग्रहण की अवधि 2 घंटा .59 मिनट रहेगी। गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ होने पर गुरु पूजा का कार्यक्रम भी सूतक लगने से पहले तक ही कर लेने होंगे।
चंद्रग्रहण कहां-कहां दिखेगा?
भारत के अलावा यह चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, एशिया (उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर), अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग में दिखाई देगा। चन्द्रास्त के समय ग्रहण का प्रारम्भ न्यूजीलैण्ड के कुछ भाग, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी भाग, उत्तर तथा दक्षिण कोरिया, चीन के उत्तरी भाग तथा रूस के कुछ भाग में दिखाई देगा। चन्द्रोदय के समय ग्रहण का अन्त अर्जेन्टिना, चिली, बोलीविया, ब्राजील के पश्चिमी भाग, पेरु तथा, उत्तरी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा।
चंद्रग्रहण के समय क्या न करे?
1. ग्रहण की अवधि में तेल लगाना भोजन करना, जल ग्रहण करना, सोना, बाल संवारना, रति क्रीडा करना, मंजन करना, वस्त्र धोना व नीचोड़्ना, ताला खोलना, वर्जित किए गए हैं ।
2. ग्रहण के समय सोने से रोग बढ़ते हैं, मल त्यागने से पेट में कृमि रोग होने की संभावना बढ़ती है, मालिश या उबटन भी नहीं करना चाहिए।
3. देवी भागवत में लिखा है कि सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य पेट के रोगों से परेशान रहता है। ऐसे मनुष्य को आंख और दांत के रोग भी होते हैं।
4. चंद्रग्रहण में तीन प्रहर पहले भोजन कर लेना चाहिए (1 प्रहर यानी 3 घंटे) । बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पहले भोजन कर सकते हैं।
5. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
6. स्कंद पुराण के अनुसार ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट हो जाता है ।
7. ग्रहण के समय कोई भी शुभ अथवा नवीन कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए।
ग्रहण काल में क्या कर सकते हैं?
1. ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप एवं तप करना चाहिए ।
2. चंद्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।
3. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवाना के नामों का जप जरूर करें।
4. ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके श्रद्धा के अनुसार ब्राम्हण को दान देना चाहिए ।
5. ग्रहण के बाद पुराना पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन पकाया जाता है और ताजा जल भरना चाहिए।
6. ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चंद्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
7. ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए बाद में उसे धो देना चाहिए तथा खुद भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
8. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रादि दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
गर्भवती महिलाएं क्या बरतें सावधानियां ?
गर्भवती स्त्री को सूर्य तथा चंद्रग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन जाता है । गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए गर्भवती के उदर भाग यानी पेट पर गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहु-केतु उसका स्पर्श न करें।
ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने को मना किया जाता है, और किसी वस्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है । ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं या फिर सिल (जुड़) जाते हैं ।
इन 8 राशियों पर पड़ेगा अशुभ प्रभाव
मेष, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु और मकर राशि वाले लोगों पर इस ग्रहण का अशुभ असर रहेगा। इन 8 राशि वाले लोगों को संभलकर रहना चाहिए। कर्क, तुला, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर इस चंद्रग्रहण का अशुभ असर नहीं पड़ेगा।
Comments (0)