UP Election 2022: अखिलेश ने की शिवपाल संग एकता दिखाने की कोशिश, लोग बोले- चाचा को रथ में भी सीट नहीं; BJP ने भी ली चुटकी
समाजवादी पार्टी (सपा) को 2017 में जब विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तो माना गया था कि परिवार में कलह की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ। मुलायम की विरासत को लेकर अखिलेश यादव और उनके चाचा बीच झगड़े के बाद शिवपाल यादव ने अलग पार्टी भी बना ली। पांच साल तक दोनों के बीच दूरी बरकरार रही। हालांकि, इस विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव की दखल से अखिलेश चाचा शिवपाल यादव को साथ लाने में कामयाब रहे।
समाजवादी पार्टी (सपा) को 2017 में जब विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तो माना गया था कि परिवार में कलह की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ। मुलायम की विरासत को लेकर अखिलेश यादव और उनके चाचा बीच झगड़े के बाद शिवपाल यादव ने अलग पार्टी भी बना ली। पांच साल तक दोनों के बीच दूरी बरकरार रही। हालांकि, इस विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव की दखल से अखिलेश चाचा शिवपाल यादव को साथ लाने में कामयाब रहे। लेकिन महज 1 सीट मिलने को लेकर शिवपाल ने जिस तरह असंतोष जाहिर किया है, उससे एक बार फिर कई तरह के सवाल उठने लगे। संभवत: इनपर विराम लगाने की कोशिश के तहत गुरुवार को जब अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव केस साथ इटावा में रोड शो किया तो बस में शिवपाल यादव भी सवार थे।
6 साल बाद किसी चुनावी कार्यक्रम में मुलायम परिवार के तीन सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे एक फ्रेम में नजर आए हैं। मान जा रहा है कि अखिलेश यादव ने इसके जरिए कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि इस बार परिवार एकजुट है। अखिलेश, मुलायम और शिवपाल यादव की साथ प्रचार की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। एक तरफ कुछ लोगों को इसमें परिवार की एकता दिख रही है तो कुछ लोग शिवपाल यादव को बस में कुर्सी नहीं दिए जाने और उनके हावभाव को लेकर दावा कर रहे हैं कि शिवपाल की नाराजगी और बेबसी उनके चेहरे पर दिख रही है।
अखिलेश बोले- चाचा के आने से मामला ठीक हो गया है:
अखिलेश यादव ने इटावा में रथ के ऊपर शिवपाल यादव के साथ खड़े होकर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ''वैसे तो चाचा के आने से मामला अब ठीक हो गया है। और उससे भी ज्यादा अच्छा हो गया है कि साइकिल पर चुनाव लड़ रहे हैं।'' गौरतलब है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव को सपा गठबंधन से एकमात्र जसवंत नगर की सीट मिली है और जिस पर शिवपाल यादव चुनाव लड़ रहे हैं। वह सपा के साइकिल चुनाव चिह्न पर ही चुनाव लड़ रहे हैं।
बीजेपी ने ली चुटकी:
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी शिवपाल को बस में बैठने की जगह नहीं दिए जाने पर चुटकी ली है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ''चाचा को ना चुनाव लड़ने के लिए सीट मिली ना रथ में बैठने के लिए…वैस भतीजे को भी 10 मार्च को अपनी सीटें ढूंढ़ना मुश्किल हो जाएगा।''
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