यदि आपकी सलाना आमदनी 5 लाख रुपये से है कम, तो सुप्रीम कोर्ट में मिलेगी मुफ्त कानूनी मदद
सुप्रीम कोर्ट ने गरीबों को दी जाने वाली मुफ्त कानूनी मदद के लिए आय की सीमा बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने भी इसे अधिसूचित भी कर दिया है। अब शीर्ष अदालत में पांच लाख रुपये तक सालाना आय वाले अपनी पैरवी के लिए वकील की मुफ्त सेवा ले पाएंगे। इससे पहले यह सीमा 1.25 लाख रुपये थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह बदलाव मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से सलाह के बाद किया है।
अगर आपकी आमदनी 5 लाख रुपये से कम है यानी आप सलाना पांच लाख रुपये से कम कमाते हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है। दरअसल, देश की सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने गरीबों को दी जाने वाली मुफ्त कानूनी सहायता के लिए आय की सीमा बढ़ा दी है। अब पांच लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट में अपने केस की पैरवी के लिए वकील की मुफ्त मिलेगी। पहले यह सीमा 1.25 लाख रुपये थी।
आय सीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में संशोधन कर दिया है। इन्हें केंद्र सरकार ने अधिसूचित भी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह संशोधन मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद किए हैं। इसमें महंगाई सूचकांक, न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी और लंबा समय गुजरने जैसे कई कारकों को ध्यान में रखा गया है। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस रुल 7 में किया गया है, जिसमें मुफ्त कानूनी सेवा के लिए योग्यता बढ़ाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिलेंगे ये फायदे
लीगल सर्विस अथॉरिटी एक्ट,1987 के नियमों में किए इस बदलाव से अब और ज्यादा वादी अदालतों में केस दायर कर सकेंगे। इनमें कोर्ट फीस का भुगतान, केस पेपर तैयार करना, तथा पंजीकरण और वकील द्वारा मुफ्त बहस करना शामिल है। इस कानून से अब तक करीब 1.80 करोड़ लोग लाभ उठा चुके हैं।
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