सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दी राहत, शर्तों के साथ बालू खनन से रोक हटाई, कहा- निर्माण कार्यों के लिए जरूरी है रेत
उच्चतम न्यायालय ने बिहार में खनन पर लगी पूर्ण रोक के एनजीटी के आदेश में संशोधन कर दिया है जिससे राज्य में बालू खनन पर लगी रोक कुछ प्रतिबंधों के साथ समाप्त कर दी गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 हफ्तों के बाद होगी। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने यह आदेश बिहार सरकार की अपील पर गुरुवार को दिया। अदालत ने कहा कि खनन पर पूर्ण रोक लगने से अवैध खनन को बढ़ावा मिलता है इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है। जब खनन को बैन किया जाता है इससे अवैध खनन में तेजी आती है जिससे रेत माफियाओं में भी टकराव होता है, क्षेत्र का अपराधीकरण होता है और लोगों की जान भी जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि निर्माण कार्यों के लिए रेत की बहुत जरूरत है।
एनजीटी ने 14 अक्तूबर 2020 को दिए आदेश में कहा था कि राज्य विशेषज्ञ संस्तुति प्राधिकार और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन समिति बालू खनन के लिए जिला सर्वे रिपोर्ट को मंजूरी नहीं देती है तब तक खनन नहीं किया जाएगा। इस आदेश को बिहार सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा कि बिहार में रेत खनन के लिए सभी जिला सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) ताजा रूप में तैयार की जाएंगी। यह रिपोर्ट एसडीएम, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण कमेटी, वन विभाग, भूगर्भ विभाग या माइनिंग अधिकारी की सबडिविजनल कमेटी द्वारा तैयार की जाएंगी।
ये रिपोर्ट छह हफ्ते में तैयार की जाएंगी। रिपोर्ट तैयार होने के बाद जिला मजिस्ट्रेट संस्तुति के लिए उन्हें राज्य विशेषज्ञ संस्तुति कमेटी (एसईएसी) के पास भेजेंगे। कमेटी उसकी छह हफ्ते में जांच करेगी। उसके बाद उसे राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार (एसईआईएए) के पास भेजा जाएगा। ये प्राधिकार जिला सर्वे रिपोर्ट को मंजूरी देने के लिए छह हफ्ते लेगा। अदालत ने कहा कि इन संस्तुतियों को राज्य विशेषज्ञ संस्तुति कमेटी और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार आवश्यक रूप से जनवरी 2020 की नीतियों के अनुसार खनन को मंजूरी देगा। अगले आदेश तक बिहार को स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन के जरिये माइनिंग करने की अनुमति होगी। इस दौरान राज्य सरकार पर्यावरण के मुद्दों का ध्यान रखेगी जिससे पर्यावरण का क्षति न हो।
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