भारत के लिए ऐतिहासिक दिन, राज्यसभा में तीन तलाक बिल हुआ पास
वोटिंग के दौरान राज्यसभा से टीआरएस, जेडयू, एआईएडीएमके जैसे कुछ दल का वॉक आउट करने से सरकार के लिए यह बिल पास कराना और आसान हो गया। इसके साथ ही शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, राम जेठमलानी जैसे दिग्गज इस मौके पर मौजूद नहीं थे। तीन तलाक बिल पर सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव गिरा। न भेजने के पक्ष में 100, जबकि प्रस्ताव भेजने के पक्ष में 80 वोट पड़ें।
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लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद 30 जुलाई को राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा गया था। और गहन मंथन के बाद अंततः पास कर दिया गया। विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर कई खामियां गिनाईं। बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध में 84 वोट पड़े। इस प्रकार मोदी सरकार को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। इसे मुस्लिम महिलाओं की जीत कहा गया है।
वोटिंग के दौरान राज्यसभा से टीआरएस, जेडयू, एआईएडीएमके जैसे कुछ दल का वॉक आउट करने से सरकार के लिए यह बिल पास कराना और आसान हो गया। इसके साथ ही शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, राम जेठमलानी जैसे दिग्गज इस मौके पर मौजूद नहीं थे। तीन तलाक बिल पर सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव गिरा। न भेजने के पक्ष में 100, जबकि प्रस्ताव भेजने के पक्ष में 80 वोट पड़ें।
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि "उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही थी और छोटी-छोटी बातों पर तीन तलाक दिया जा रहा था। जिसके कारण हम कानून लेकर आए हैं। लोगों की शिकायतों के बाद विधेयक में कुछ बदलाव किए गए हैं। अब इसमें जमानत और समझौते के प्रावधान को भी शामिल किया गया है। इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए। यह नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल है। एक तरफ बेटियां लड़ाकू विमान चला रही हैं वहीं दूसरी ओर तीन तलाक पीड़ित बेटियों को फुटपाथ पर नहीं छोड़ा जा सकता है। सभी सासंदों से विनती करता हूं कि इसे पास करें।"
पता हो कि सरकार के पास राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं था. इसलिए सरकार को अपने सहयोगी दलों सहित अन्य दलों को इस विधेयक को पास करवाने के लिए जरूरत थी। लेकिन कई सहयोगी दल जैसे जनता दल यू एवं और अन्य दलों का विरोध करने का एलान करने से मुश्किल में थी। लेकिन सरकार को पहले से उम्मीद थी की विपक्षी दलों के बिखराव की वजह से उसे राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित कराने में कठिनाई नहीं होगी।
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