महाराष्ट्र के राज्यपाल ने की राष्ट्रपति शासन की सिफारिश, केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा, फैसले के खिलाफ शिवसेना की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सरकार गठन को लेकर बनी असमंजस की स्थिति के बीच राज्यपाल ने यह कदम उठाया है। राष्ट्रपति शासन लगाने की राज्यपाल की सिफारिश को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। केंद्र सरकार ने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी प्रयासों के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। सरकार गठन को लेकर बनी असमंजस की स्थिति के बीच राज्यपाल ने यह कदम उठाया है। राष्ट्रपति शासन लगाने की राज्यपाल की सिफारिश को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। केंद्र सरकार ने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया।
कैबिनेट की बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई थी, जब महाराष्ट्र में पिछले महीने विधानसभा के लिये हुए चुनाव के बाद अब तक कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना पाई है और इसके कारण प्रदेश में राजनीतिक संकट की स्थिति बन रही है। कैबिनेट की इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए हैं।
इस पूरे मामले के खिलाफ पर शिवसेना ने की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। शिवसेना ने कहा था कि अगर राज्यपाल ऐसा कदम उठाते हैं,तो वो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और अहमद पटेल से बातचीत भी की है। सिब्बल शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर सकते हैं।
दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए दावा पेश करने के लिए शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया है। कोश्यारी ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन करने का दावा पेश करने के लिए अपनी इच्छा और सामर्थ्य का संकेत देने के लिए बुलाया था। उससे पहले 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी ने राज्य में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने का फैसला किया था।
शिवसेना ने सोमवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करने के लिए और समय मांगा था जिसे देने से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इनकार कर दिया था। शिवसेना नेताओं का कहना है कि राज्यपाल ने बीजेपी को तीन दिनों का समय दिया था। इसके बाद तीसरे सबसे बड़े दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से राज्यपाल ने सरकार बनाने की इच्छा के बारे में पूछा। एनसीपी ने कहा कि हमें मंगलवार रात 8:30 बजे तक का वक्त दिया गया है।
राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था, लेकिन वह कांग्रेस के फैसले का इंतजार कर रही है। एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस साथ-साथ चुनाव लड़ा है, इसलिए सरकार बनने का फैसला उनकी पार्टी अकेले नहीं ले सकती। सोमवार 10 बजे से शाम 7 बजे तक वे उनके पत्र की राह देखते रहे, लेकिन शाम तक वह नहीं मिला। उनकी पार्टी का अकेले पत्र देना ठीक नहीं था।उन्होंने कहा कि उनके पास कुल 98 विधायक हैं।
अजित ने कहा, ‘‘पवार साहब को अहमद पटेल ने फोन कर दिल्ली बुलाया था। लेकिन हमारे विधायक मुंबई में हैं और पवार साहब का दिल्ली जाना मुश्किल है। इसलिए हमने यहां चर्चा का मन बनाया है। कांग्रेस और एनसीपी ने साथ चुनाव लड़ा है, इसलिए हम एक-दूसरे पर आरोप नहीं लगा सकते। कांग्रेस हमें संदेश दिया दिया था कि हम महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें बता दें। आज शाम को एनसीपी और कांग्रेस नेताओं की मुंबई में बैठक होगी।’’
राष्ट्रपति शासन के सवाल पर अजित ने कहा- अगर हम एक साथ चर्चा कर रहे हैं, तो आगे किसी चीज का कोई सवाल ही नहीं उठता। इस बीच, शरद पवार ने मंगलवार को लीलावती अस्पताल में भर्ती शिवसेना नेता संजय राउत से मुलाकात की। पवार ने एनसीपी और कांग्रेस नेताओं की मुलाकात पर कहा कि इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं।
वहीं, मंगलवार को मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘कांग्रेस और एनसीपी ने चुनाव से पहले गठबंधन किया था। अंतिम फैसला मिलकर ही लिया जाएगा। शरद पवार जी के साथ बातचीत चल रही है।’’इससे पहले सोमवार शाम शिवसेना नेता आदित्यज ठाकरे ने भगत सिंह कोश्याररी से मुलाकात के दौरान सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगा था, जिसे राज्य पाल ने देने से मना कर दिया।
दरअसल, महाराष्ट्र में कांग्रेस के 40 विधायक पिछले चार दिनों से जयपुर के एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं। इन विधायकों ने शिवसेना को सत्ता के फेर में फंसा दिया है, क्योंकि कुछ विधायक चाहते हैं कि वे सरकार में शामिल हों, जबकि कुछ का कहना है कि इस फैसले के लिए पार्टी को कुछ और वक्त लेना चाहिए। इस दौरान दिन में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने दो बार विधायकों से मोबाइल पर बात की, लेकिन एकराय नहीं बन पाई। यही वजह रही कि कांग्रेस ने शिवसेना को सोमवार शाम 7:30 बजे तक समर्थन का पत्र नहीं सौंप पाई।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं, जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।
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