जानिए, देश की जनता ने इस चुनाव में राजनीतिक दलों को क्या दिया संदेश?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ किया कि इस बार खासकर हरियाणा में कहीं न कहीं सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। हालांकि पिछली बार की तुलना में 3 फीसदी बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी भी हुई है, लेकिन सीटें 7 कम रह गईं। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि हरियाणा और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर का पहला अनुभव था। महाराष्ट्र में जहां बीजेपी-शिवसेना को बहुमत हासिल हुआ है,वहीं हरियाणा में बीजेपी को 90 में से 40 सीटें मिली हैं।
देश के दो राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव और 18 राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजे आ गए हैं। महाराष्ट्र में जहां बीजेपी-शिवसेना को बहुमत हासिल हुआ है,वहीं हरियाणा में बीजेपी को 90 में से 40 सीटें मिली हैं। हरियाणा में बीजेपी सबसे बड़ा दल है। सवाल यह कि हरियाणा में अब क्या बीजेपी निर्दलीय के सहारे सत्ता में आएगी या फिर उसे जेजेपी का समर्थन प्राप्त होगा।
खबर है कि 6 निर्दलीय विधायक बीजेपी को समर्थन देने को तैयार हैं। अगर ये समर्थन बीजेपी को हासिल हो जाता है, तो सरकार बनाने के लिए जेजेपी के समर्थन की जरूरत नहीं होगी। इस बीच हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता गोपाल कांडा ने कहा है कि सभी निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को अपना समर्थन दे दिया है।
निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत ने भी बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है। इससे पहले हरियाणा के निर्दलीय विधायकों की बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात हुई। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी जेपी नड्डा से उनके घर पर मुलाकात की है।
हरियाणा में ये हैं निर्दलीय विधायक
गोपाल कांडा (सिरसा), चौधरी रणजीत चौटाला (रानिया), राकेश दौलताबाद (बादशाहपुर), नयनपाल रावत (पृथला), सोपबीर सांगवान (दादरी) बलराज कुंडू (महम)। इनमें बलराज कुंडू, नयनपाल रावत,सोमबीर सांगवान इन तीनों ने बीजेपी से टिकट न मिलने पर चुनाव से पहले पार्टी छोड़ी थी।
महाराष्ट्र में बनेगी बीजेपी-शिवसेना की सरकार
महाराष्ट्र में एक बार फिर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना तय है। महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 104 पर जीत मिली है, वहीं सहयोगी शिवसेना को 56 सीटे हासिल हुई हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 54 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 43 सीटें गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ किया कि इस बार खासकर हरियाणा में कहीं न कहीं सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। हालांकि पिछली बार की तुलना में 3 फीसदी बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी भी हुई है, लेकिन सीटें 7 कम रह गईं। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि हरियाणा और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर का पहला अनुभव था।
बीजेपी अध्यक्ष ने की दोनों मुख्यमंत्रियों की तारीफ
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में और हरियाणा में मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र जी का भी और खट्टर जी का भी पहला अनुभव, ये दोनों लोग कभी किसी सरकार में मंत्री भी नहीं थे। इन दोनों ने 5 वर्ष तक हरियाणा और महारष्ट्र की जो सेवा की उसका परिणाम है कि इन्हें जनता ने दुबारा चुना। आने वाले 5 वर्ष महाराष्ट्र के और हरियाणा के विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने वाला कार्यकाल रहेगा। ऐसा मुझे पूरा विश्वास है।'
प्रियंका कांग्रेस के प्रदर्शन पर खुश
इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दोनों राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर खुशी का इजहार किया है। साथ ही प्रियंका ने गुड़गांव में काउंटिंग के दौरान गड़बड़ी होने का आरोप लगाया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक सीट पर भी काउंटिक के दौरान गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए प्रशासन से जांच कराने की मांग की है।
क्या रहे उपचुनाव के नतीजे?
भारतीय जनता पार्टी और इसके सहयोगी दलों ने 18 राज्यों में 51 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में आधी से अधिक सीटों पर जीत हासिल की है। हालांकि उत्तर प्रदेश उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ा फायदा हुआ, एसपी ने सत्तारूढ़ बीजेपी और बीएसपी से एक-एक सीट छीनी है। राज्य में एनडीए ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की। इस तरह उसे एक सीट का नुकसान हुआ। कुल 11 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 7 सात और उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने 1 सीट जीती। एसपी ने जैदपुर सीट बीजेपी से और जलालपुर सीट बीएसपी से छीनकर अपने खाते में डाली। रामपुर सीट पर पार्टी का कब्जा बरकरार रहा। बीजेपी ने बलहा, गंगोह, मानिकपुर, घोसी, इगलास, लखनऊ कैण्ट और गोविन्दनगर सीटों पर जीत हासिल की, जबकि अपना दल (एस) ने प्रतापगढ़ सीट बरकरार रखी।
बिहार में नीतीश को झटका
बिहार की जनता ने सत्तारूढ़ जेडीयू को जोर का झटका दिया है। पार्टी ने विधानसभा उपुचनाव में कुल 5 में से 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन उसे एक पर ही जीत मिली। वहीं आरजेडी ने दो सीटें जीती, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम एक सीट पर विजयी रही। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजेता रहा। बीजेपी के बागी उम्मीदवार करनजीत सिंह ने दरौंदा सीट बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीती। हैदराबाद के सांसद ओवैसी नीत एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीट किशनगंज पर जीत दर्ज कर राज्य में दस्तक दी। जेडीयू सिर्फ नाथनगर सीट ही जीत पाई, जहां उसके उम्मीदवार लक्ष्मीकांत मंडल ने आरजेडी की राबिया खातून को हराया। जिन पांच सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें चार सीटें बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के पास थी, जबकि एक पर कांग्रेस का कब्जा था।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को फायदा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीट झाबुआ मुख्य विपक्षी दल बीजेपी से छीन ली है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भानू भूरिया को हराया। राज्य विधानसभा में कांग्रेस के अब 115 सदस्य हो गए हैं और 230 सदस्यीय विधानसभा में यह सामान्य बहुमत से एक सीट पीछे रह गई है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित चित्रकोट विधानसभा सीट में कांग्रेस के राजमन बेंजाम ने अपने निकटतम बीजेपी के लच्छुराम कश्यप को 17862 मतों से हराया। इस चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अब राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 69 विधायक हो गए हैं और बीजेपी के विधायकों की संख्या घटकर 14 ही रह गई है।
राजस्थान में भी कांग्रेस की जीत
राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मंडावा (झुंझुनू) विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की है। यहां कांग्रेस की रीटा चौधरी ने बाजेपी की सुशीला सींगड़ा को 33,704 मतों से हराया। इस जीत के साथ 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़ कर 107 हो गई, जिसमें वे छह विधायक भी हैं, जो पिछले महीने बीएसपी से दलबदल कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
पंजाब में भी कांग्रेस की बल्लेबल्ले
पंजाब में उपचुनाव के नतीजों के साथ सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी अपनी स्थिति मजबूत की है। जलालाबाद सीट पर पार्टी के उम्मीदवार रमिंदर अवला ने शरोमणि आकाली दल के राज सिंह दीबीपुरा को 16,633 वोटों के अंतर से हराया। इस सीट को अकालियों का गढ़ माना जाता है। इससे पहले शिरोमणि अकाली प्रमुख सुखबीर सिंह बादल इस सीच से प्रतिनिधित्व करते थे, जो मई में हुए आमचुनाव में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। फगवाड़ा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व आईएएस अधिकारी बलविंदर सिंह धालीवाल ने बीजेपी उम्मीदवार राजेश बाघा को 26,116 मतों से हराया। वहीं दाखा सीट पर शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी मनप्रीत सिंह इयाली ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार संदीप सिंह संधू को 14,672 मतों से पराजित कर दिया। कांग्रेस उम्मीदवार इंदु बाला ने मुकेरियां विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी जंगी लाल महाजन को 3,440 वोटों के अंतर से हराया।
गुजरात में बराबर की टक्कर
गुजरात में भी बीजेपी और कांग्रेस ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर राधनपुर से चुनाव हार गए। उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार रघुभाई देसाई ने करीब चार हजार वोटों के अंतर से हराया। बायड और थारड में भी कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे। प्रदेश की खेलारू, लुनावाडा और अमराईवाडी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी दोनों सीटें जीती
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। राज्य में पच्छाड और धर्मशाला सीटों पर इस हफ्ते की शुरूआत में उपचुनाव हुए थे। पच्छाड सीट पर बीजेपी की रीना कश्यप ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार गंगू राम मुसाफिर को 2808 वोटों के अंतर से हराया। धर्मशाला में बीजेपी प्रत्याशी विशाल नेहरिया ने 6,673 मतों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और निर्दलीय उम्मीदवार राकेश कुमार को हरा दिया।
जनता ने क्या दिया साफ संदेश
महाराष्ट्र और हरियाणा यानी इन दोनों राज्यों में आए चुनावी नतीजे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि संघीय ढांचे में लोगों ने विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों की जगह स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी है। अनुच्छेद 370 जैसे राष्ट्रवादी मुद्दे विधानसभा चुनाव में कारगर साबित नहीं होंगे। इसके बाद दिल्ली और झारखंड में चुनाव होने हैं। झारखंड में बीजेपी की सरकार है और वहां रघुबर दास मुख्यमंत्री हैं। ऐसा संभव हैं कि इन चुनावों का असर इन राज्यों पर भी पड़े। यह नतीजे बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए संदेश हैं।
कांग्रेस को करनी होगी कड़ी मेहनत
कांग्रेस को अब दिल्ली में बैठे चमकदार चेहरों से हटकर स्थानीय नेताओं पर विश्वास कर और उन्हें फैसले लेने का अधिकार भी देना होगा। हरियाणा में जिस तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आखिरी समय में कमान सौंपी गई और उनकी अगुवाई में स्थानीय नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में जमकर की मेहनत की है और इसका परिणाम सामने है। लिहाजा, राज्यों में राष्ट्रीय मुद्दे नहीं चलेंगे, राज्यों की जनता को उनकी अपने और असली मुद्दे बताने होंगेष उनको यह बात बताना और समझाना होगा कि हम आपकी आर्थिक स्थिति कैसे सुदृढ करेंगे। हम आपको खेतों तक पानी कैसे पहुंचाएंगे..आदि...आदि।
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