जानिए, पंचदिवसीय महालक्ष्मी महोत्सव की तिथियों, मुहूर्तों और साधनाओं का मानव जीवन में क्या है महत्व?
श्रीमहालक्ष्मी महोत्सव के पांच दिनों में धनत्रयोदशी अर्थात धनतेरस, रूप चतुर्थी अर्थात श्रीमंगल सुरक्षा साधना, दीपावली अर्थात श्रीअष्टलक्ष्मी महासाधना का विधान है। इसके अतिरिक्त गोवर्धन पूजा अर्थात सर्व सिद्धिदायक श्रीकृष्ण साधना ओर भैय्यादूज अर्थात विद्यादायक श्रीगणपति साधना की जाती है।
देशभर में पंच दिवसीय महालक्ष्मी महोत्सव की तैयारियां प्रारम्भ हो चुकी है। श्रीमहालक्ष्मी महोत्सव के पांच दिनों में धनत्रयोदशी अर्थात धनतेरस, रूप चतुर्थी अर्थात श्रीमंगल सुरक्षा साधना, दीपावली अर्थात श्रीअष्टलक्ष्मी महासाधना का विधान है। इसके अतिरिक्त गोवर्धन पूजा अर्थात सर्व सिद्धिदायक श्रीकृष्ण साधना ओर भैय्यादूज अर्थात विद्यादायक श्रीगणपति साधना की जाती है। इन तिथियों एवं साधनाओं का मानव जीवन में क्या महत्व है, आपके लाभार्थ हम इसका सविस्तार वर्णन कर रहे हैं।
25 अक्टूबर धनत्रयोदशी :-
धनत्रयोदशी अर्थात धनतेरस के पावन अवसर पर श्रीकुबेर की पूजा-अर्चना का विधान है। श्रीकुबेर देवताओं के धनाधिपति एवं धनाध्यक्ष हैं। श्रीकुबेर नवनिधियों के स्वामी भी हैं। श्रीकुबेर भगवान शिव के कृपापात्र हैं। अतः श्रीकुबेर शीघ्र ही प्रसन्न होकर साधकों एवं उपासकों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। धनत्रयोदशी के दिन श्रीकुबेर की साधना से साधकों को धन, वैभव, संपदा, प्रतिष्ठा, सुख, भवन, वाहन, आभूषण एवं रत्न आदि की प्राप्ति होती है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त: 19:10 से 20:15 तक
प्रदोष काल-17:42 से 20:15 तक
वृषभ काल-18:51 से 20:47 तक
26 अक्टूबर रूप चतुर्दशी :-
रूप चतुर्दशी को नरक चौदस, रूप चौदस एवं नरका पूजा के नाम से भी जाना जाता है। रूप चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा-उपासना का विधान है। यमराज की अराधना से मनुष्यों को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। वशीकरण, अज्ञात भय, नजर दोष आदि संकटों से मुक्ति के लिए भी रूप चतुर्दशी के पावन पर्व पर श्रीमंगल सुरक्षा साधना उत्तम है। रूप चतुर्दशी को संध्या बेला में दीपक भी प्रज्जवलित किए जाते हैं।
रूप चतुर्दशी यानी दीपदान का शुभ मुहूर्त
शाम 5:00 बजे से 7:00 बजे तक
27 अक्टूबर दीपावली :-
मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मां लक्ष्मी का प्रभाव समाहित है। मां लक्ष्मी धन, यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, उन्नती, सौभाग्य एवं सुंदरता प्रदायिणी हैं। मां लक्ष्मी के स्वरूपों की गणना करना असंभव है। परंतु मुख्यतः आठ प्रकार की लक्ष्मी धन लक्ष्मी, यश लक्ष्मी, आयु लक्ष्मी, स्थिर लक्ष्मी, गृह लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, भवन लक्ष्मी एवं वाहन लक्ष्मी का महत्व सर्वाधिक है। दीपावली की महानिशा रात्रि पर श्रीअष्टमी महासाधना संपन्न कर अष्टलक्ष्मी का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। श्रीदेवी की कृपा से सत्ता, सम्मान, गौरव, महिमा, सद्गुण, श्रेष्ठता, बुद्धि, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
शाम 18:44 से 20:15 तक
प्रदोष काल- 17:40 से 20:14 तक
वृषभ काल- 18:44 से 20:39 तक
28 अक्टूबर गोवर्धन पूजा :-
गोवर्धन पूजा के अवसर पर गिरिधर, गोपाल, गोवर्धन, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ अन्नकूट उत्सव भी मनाया जाता है। यथा सामर्थ्य छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करने का विशेष महत्व है। जीवन में पारिवारिक कष्ट, क्लेश, मतभेद, मानसिक चिंताएं, तनाव एवं अशांति जैसी समस्याएं हैं, तो सर्व सिद्धिदायक श्रीकृष्ण साधना विधि-विधान के साथ संपन्न करना अति-उत्तम होता है।
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
दोपहर बाद 15:24 बजे से सायं 17:36 बजे तक
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 09:08 बजे (28 अक्टूबर 2019) से
प्रतिपदा तिथि समाप्त -06:13 बजे (29 अक्टूबर 2019) तक
29 अक्टूबर भैय्यादूज :-
भैय्यादूज को भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना का विधान है। श्रीगणपति की साधना एवं उपासना से उपासक को ज्ञान, बुद्धि, विवेक एवं विद्या की प्राप्ति होती है। विघ्न-विनाशक श्रीगणेश साधकों के समस्त विघ्नों का नाश कर उन्हें सुख एवं समृद्धि प्रदान करते हैं। शंकर सुमन, गौरी नंदन भगवान श्रीगणेश की कृपा से स्मरण शक्ति एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। भैयादूज के पावन पर्व पर विद्यादायक श्रीगणपति साधना विधि पूर्वक संपन्न करना चाहिए।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय- 13:11 से 15:25 तक
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