बजट से पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का महत्वपूर्ण बयान,कहा-भारतीय अर्थव्यवस्था में है सुस्ती,पर मंदी नहीं, नरेंद्र मोदी सरकार उठा रही सकारात्मक कदम
भारत की अर्थव्यवस्था सुस्ती की दौर से गुजर रही है। साल 2019 में अर्थव्यवस्था पर बड़े आर्थिक सुधारों जैसे जीएसटी और इससे कुछ साल पहले नोटबंदी का असर देखने को मिला। अर्थव्यवस्था में आज जो कुछ भी दिख रहा है उसे आर्थिक मंदी नहीं कहा जा सकता। ये बाते अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्ट क्रिस्टलिनिया जॉर्जीवा ने कही है।
भारत की अर्थव्यवस्था सुस्ती की दौर से गुजर रही है। साल 2019 में अर्थव्यवस्था पर बड़े आर्थिक सुधारों जैसे जीएसटी और इससे कुछ साल पहले नोटबंदी का असर देखने को मिला। अर्थव्यवस्था में आज जो कुछ भी दिख रहा है उसे आर्थिक मंदी नहीं कहा जा सकता। ये बाते अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्ट क्रिस्टलिनिया जॉर्जीवा ने कही है।
आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर कहा कि भारत आर्थिक सुधारों के लिए कई बहुत महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, लेकिन इसके परिणाम दीर्घकालिक होंगे। हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार कुछ ऐसे कदम भी उठा रही है जिसका तात्कालिक परिणाम देखने के मिले।
जॉर्जीवा ने कहा,“भारतीय अर्थव्यवस्था ने वास्तव में 2019 में अचानक मंदी का अनुभव किया है। हमें अपने विकास अनुमानों को संशोधित करना पड़ा, जो पिछले वर्ष के लिए चार प्रतिशत से नीचे था। जॉर्जीवा ने शुक्रवार को यहां विदेशी पत्रकारों के एक समूह को बताया कि हम 2020 में 5.8 प्रतिशत (विकास दर) और फिर 2021 में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।
जॉर्जीवा ने कहा कि भारत ने कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए हैं जो कि दीर्घावधि में देश के लिए फायदेमंद होंगे, लेकिन उनका कुछ अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, एकीकृत कर प्रणाली, और होने वाले डिमेनेटाइजेशन के साथ। ये ऐसे कदम हैं जो समय के साथ फायदेमंद हैं, लेकिन निश्चित रूप से वे अल्पावधि में कुछ हद तक विघटनकारी हो सकते हैं।
आईएमएफ के प्रबंध निदेशक ने कहा कि भारत में बहुत अधिक राजकोष के लिए स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, 'लेकिन हम यह भी समझते हैं कि राजकोषीय पक्ष पर सरकार की नीतियां विवेकपूर्ण रही हैं। हम देखेंगे कि कल बजट को कैसे पेश किया जाता है, बजट प्रस्तुत किया जाता है।
प्रबंध निदेशक ने कहा कि भारत के लिए एक बात महत्वपूर्ण है कि बजटीय राजस्व लक्ष्य से नीचे रहा है और इस बात को भारत और उनकी वित्त मंत्री जानती हैं। वित्त मंत्री को बजट के मुताबिक राजस्व संग्रह बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि वे भारत की वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकें। भारत के हाथ अभी खर्च करने के लिए तंग है, लेकिन राजस्व पक्ष में संग्रह को बेहतर बनाने के लिए जगह है।
आपको बताते चलें कि बजट से पहले आई आर्थिक समीक्षा- 2020 में वित्तवर्ष 2021 के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 6-6.5% विकास का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में माना गया है कि इस साल राजस्व में कमी के चलते सरकार को वित्तीय घाटे के मोर्चे पर कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। सरकार का मानना है कि फूड सब्सिडी में कटौती से घाटे को कम किया जा सकता है।
Comments (0)