Corona Update : गाजियाबाद प्रशासन ने बरती और सख्ती,सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक दिल्ली और केंद्र सरकार की गाड़ियों की नहीं होगी एंट्री
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय राजधानी से सटे गाजियाबाद प्रशासन ने थोड़ी और सख्ती बरती है। जिला प्रशासन द्वारा दिल्ली और केंद्रीय कर्मियों की आवाजाही पर लॉकडाउन के दौरान सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक रोक लगा दी गई है। गाजियाबाद प्रशासन ने इस संबंध में रविवार को परामर्श जारी किया है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय राजधानी से सटे गाजियाबाद प्रशासन ने थोड़ी और सख्ती बरती है। जिला प्रशासन द्वारा दिल्ली और केंद्रीय कर्मियों की आवाजाही पर लॉकडाउन के दौरान सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक रोक लगा दी गई है। गाजियाबाद प्रशासन ने इस संबंध में रविवार को परामर्श जारी किया है।
गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने कहा कि अकसर देखा गया है कि काम के घंटों के दौरान कर्मचारियों के वाहन आते-जाते रहते हैं,इस तरह से लॉकडाउन निष्प्रभावी हो जाता है। उन्होंने कहा कि नया दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
परामर्श में जिला प्रशासन ने कहा कि दिल्ली और गाजियाबाद के बीच आवाजाही करने वाले कर्मचारी सुबह नौ बजे तक दिल्ली में प्रवेश सुनिश्चित करें। काम के बाद घर लौटने के दौरान गाजियाबाद की सीमा में शाम छह बजे के बाद ही प्रवेश मिलेगा। परामर्श के मुताबिक इन वाहनों को सुबह नौ बजे से शाम छह बजे के बीच जिले की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी जो पालियों में काम करते हैं,उन्हें अपने विभागाध्यक्ष से पास लेना होगा और दिल्ली एवं केंद्र सरकार के कार्यालय द्वारा जारी वैध पास के बिना उन्हें दिल्ली से लौटते समय गाजियाबाद की सीमा से गुजरने की अनुमति नहीं होगी। उप सचिव से ऊपर के केंद्र सरकार के अधिकारियों को उनके विभागीय पहचानपत्र के आधार पर जाने की अनुमति दी जाएगी।
परामर्श के मुताबिक मीडियाकर्मियों, चिकित्सकों, पैरामेडिकलकर्मी, पुलिसकर्मी और बैंककर्मी को पहचान पत्र दिखाने पर गाजियाबाद में आने-जाने की अनुमति होगी। सामान से भरे वाहनों की जिले में प्रवेश करने के दौरान जांच नहीं की जाएगी। जिला प्रशासन के मुताबिक यह कदम लॉकडाउन को और प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में रविवार तक कोरोना संक्रमण के कुल मामले 1843 सामने आए हैं। इनमें से 289 मरीज उपचार के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं और 29 लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो गई है। मृतकों में अधिकांश या तो बुजुर्ग थे या फिर पहले से किसी न किसी गंभीर रोग से ग्रस्त थे।
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