बिहार: लॉकडाउन में छूट के साथ शुरू हुआ रिवर्स माइग्रेशन, बिहार सरकार कह रही है कि घर में ही रहिए, यहीं रोजगार मिल जाएगा।
राज्य के सूचना सचिव अनुपम कुमार के मुताबिक 14850 स्पेशल ट्रेनों से 20 लाख 51 हजार श्रमिक बिहार लौटे हैं। राज्य सरकार उनके लिए नियोजन का इंतजाम कर रही है। सरकार की विभिन्न योजनाओं में इनके लिए श्रम दिवस सृजित किए जा रहे हैं। श्रमिकों के हुनर की जांच हो रही है। इसका डाटा बैंक बन रहा है। उद्यमियों को कहा जा रहा है कि वे अपनी जरूरत के हिसाब से इन हुनरमंद श्रमिकों को नियोजित करें।
कोरोना संकट के दौर में घर लौटने को मजबूर हुए राज्य के श्रमिक इन दिनों जॉब ऑफर से परेशान हैं। दूसरे राज्यों के किसान उनके लिए वातानुकूलित बसें भेज रहे हैं। तेलांगना और तमिलनाडु की रीयल एस्टेट कंपनियां तो हवाई जहाज भेज रही हैं। इस रिवर्स माइग्रेशन के बीच बिहार सरकार कह रही है कि घर में ही रहिए, यहीं रोजगार मिल जाएगा। श्रमिक दुविधा में हैं। फिर भी उनका बड़ा हिस्सा काम की पुरानी जगह पर लौटने का मन बना रहा है। कुछ लोग लौट भी रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं- मजबूरी में कोई श्रमिक बाहर नहीं जाएगा। हां, विशेष हुनर वाले श्रमिकों को कहीं ऑफर मिले तो जा सकते हैं।
रिवर्स माइग्रेशन की शुरूआत तीन मई को ही हो गई थी। उस दिन प्रवासियों को लेकर पहली ट्रेन तेलांगना से खगडि़या आई थी। लौटती में उसी ट्रेन पर सवार होकर 222 श्रमिक तेलांगना लौट गए थे। ये श्रमिक होली की छुट्टी में गांव आए थे। लॉकडाउन हुआ तो घर पर ही रह गए। इनके लिए रेल टिकटों का बंदोबस्त तेलांगना के उस चीनी मिल मालिकों ने किया था, जिसमें वे काम करते थे।
श्रमिकों के पास कुछ राज्यों का बुरा अनुभव है। इनमें महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं। बाकी राज्यों के बारे में उनकी अच्छी राय है। खासकर पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल की सरकारों ने कोरोना काल में भी इन श्रमिकों के साथ अच्छा और मानवीय व्यवहार किया था। नई स्थिति में ये श्रमिक इन राज्यों में जाने से कतई घबरा नहीं रहे हैं। हां, महाराष्ट्र और गुजरात जाने के नाम पर जरूर इनका मन छोटा हो जाता है।
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